रायपुर: युवाओं के हाथ में समाज और सत्ता बदलने की कूवत है. राजनीतिक दल इस बात को बखूबी जानते हैं. इसलिए इनकी नजर छत्तीसगढ़ के 3.75 लाख नए मतदाताओं पर है. इन्हें रिझाने और अपने पक्ष में करने की भी होड़ चल पड़ी है. सत्ता पक्ष विकास के साथ ही शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में अपने काम को लेकर युवाओं के बीच जा रही है. वहीं विपक्ष लगातार भ्रष्टाचार और घपले घोटाले का मुद्दा उछालकर सत्ता की नाकामियां युवाओं के सामने रख रही है. कांग्रेस अपने साढ़े चार साल के दौरान किए गए कामों को गिनाकर नए युवा वोटरों को आकर्षित कर रही है. वहीं बीजेपी रमन सरकार के कार्यकाल के दौरान किए गए कार्यों की याद दिलाते हुए इन्हें साधने की तैयारी में है. किसकी रणनीति कितनी कामयाब होगी, आइए जानने की कोशिश करते हैं.
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"यदि बीजेपी ने कुछ किया होता तो 15 साल बेमिसाल 14 सीटों पर ना सिमट जाते. छत्तीसगढ़ के मतदाता और छत्तीसगढ़ का युवा समझ चुका था कि बीजेपी के हाथ में उनका भविष्य सुरक्षित नहीं है. इसलिए उन्होंने कांग्रेस को चुना. प्रदेश का मतदाता और युवा समझ चुका है कि बीजेपी जुमलेबाज है." - अमित श्रीवास्तव, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस
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कांग्रेस के साथ कभी नहीं जाएगा युवा-भाजपा: भाजपा प्रदेश मीडिया प्रमुख अमित चिमनानी ने कहा कि "पहले की भाजपा सरकार ने बड़ी संख्या में भर्तियां निकाली. लोगों को रोजगार दिया. युवाओं के लिए हर जिले में स्किल डेवलपमेंट कॉलेज चलाए, जहां से निकलने वालों को उस क्षेत्र में रोजगार दिलाया जाता था. आज वह सारे कॉलेज आज बंद हैं. कांग्रेस सरकार युवाओं का 15000 करोड़ रुपया दबा कर बैठी हुई है. पीएससी जैसा क्षेत्र, जहां पर युवाओं के साथ उनके मां-बाप की अभिलाषा जुड़ जाती है. मां बाप कर्ज लेकर बच्चों को पढ़ाते हैं, उसमें भी सरकार ने घोटाला कर दिया.
"पढ़े-लिखे बच्चों ने मनरेगा में मजदूरी तक की है. कांग्रेस शासन में 26000 युवाओं ने आत्महत्या कर ली है. कुल मिलाकर युवाओं के साथ शोषण, अन्याय, वादाखिलाफी हुई. जो युवा यह सब झेल रहा है, वह कांग्रेस के साथ कभी नहीं जाएगा. सरकार ने सिर्फ किताबी बातें की हैं. इश्तिहारों तक ही ये सीमित हैं. युवाओं को जो मिलना चाहिए, वह नहीं मिल रहा है." -अमित चिमनानी, प्रदेश मीडिया प्रमुख, भाजपा
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दोनों सरकरों के काम का आंकलन कर नए मतदाता करेंगे वोट: राजनीति के जानकार एवं वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा का मानना है कि फर्स्ट टाइम वोटर को सभी राजनीतिक दल आकर्षित करने की कोशिश करेंगे. उसके कई तरीके हो सकते है. उदाहरण के तौर पर चुनाव में पढ़े-लिखे युवा प्रत्याशियों को उतारने जैसी कवायद फर्स्ट टाइम वोटर्स को आकर्षित कर सकती है. फर्स्ट टाइम वोटर देखेगा कि आपने युवाओं के लिए, उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए क्या किया है. जो उम्मीदवार उतारा गया है, वह कितना पढ़ा लिखा है. करप्शन में सरकार का कितना इंवॉल्वमेंट रहा है. यह बातें यूथ पर अपना प्रभाव छोड़ेंगी.
"नए वोटर लगभग तीन लाख के आसपास में हैं, जो देखेंगे कि किस तरह से शिक्षा के क्षेत्र में विकास हुआ या स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल कॉलेज आ रहे हैं. रोजगार मुहैया कराया जा रहा है. यह कांग्रेस के पक्ष में है. लेकिन जिस तरह से करप्शन को लेकर यूथ में नाराजगी है, यह कहीं न कहीं सरकार के लिए माइनस पॉइंट हो सकता है. हालांकि भूपेश बघेल युवाओं के काफी नजदीक माने जाते हैं." -उचित शर्मा, राजनीति के जानकार एवं वरिष्ठ पत्रकार
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3.50 लाख से ज्यादा है नए युवा मतदाता: छत्तीसगढ़ में कुल वोटरों की संख्या 1.94 करोड़ है. अब तक बढ़े वोटरों की संख्या लगभग 3.75 लाख है. इनमें 3.50 लाख नए युवा मतदाता हैं. वहीं 3.70 लाख नाम मतदाता सूची से हटाए भी गए हैं. हालांकि आगामी विधानसभा चुनाव 2023 के लिए अब तक अंतिम मतदाता सूची जारी नहीं की गई है. इसलिए नए मतदाओं की संख्या में अभी और भी इजाफा हो सकता है.
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2018 में दो चरणों में हुए थे मतदान: 2018 में विधानसभा चुनाव 2 चरणों में हुआ था. पहले चरण में 12 नवंबर 2018 को 18 सीटों के लिए और दूसरे चरण में 20 नवंबर 2018 को 72 सीटों के लिए वोटिंग हुई थी. नतीजे 11 दिसंबर को आए थे, जिसमें कांग्रेस को 68 सीटें मिली थीं और भाजपा महज 15 सीटों पर सिमट गई थी. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ को 5 सीटों से संतोष करना पड़ा तो वहीं 2 सीटें बसपा के खाते में गईं. बाद में हुए उपचुनावों में भाजपा की एक और जनता कांग्रेस की 2 सीटें कांग्रेस के पास चली गई.
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