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त्यागपत्र मामला : महाधिवक्ता कनक तिवारी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया बड़ा बयान, पढ़ें

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Published : Jun 2, 2019, 7:43 PM IST

महाधिवक्ता कनक तिवारी ने अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मिलने और मामले से संबंधित ज्ञापन देने की बातें लिखी हैं.

महाधिवक्ता कनक तिवारी का सोशल मीडिया पोस्ट

रायपुर: महाधिवक्ता कनक तिवारी ने अपने त्यागपत्र मामले में बड़ा बयान जारी किया है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मिलने और मामले से संबंधित ज्ञापन देने की बातें लिखी हैं.

उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट कर लिखा है कि - 'संविधान के प्रावधानों के अनुसार महाधिवक्ता एडवोकेट जनरल का यदि कोई त्यागपत्र होता है, तो उसे राज्यपाल द्वारा ही स्वीकार किया जा सकता है अन्य किसी द्वारा नहीं इसलिए आज मैं छत्तीसगढ़ की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल जी से मिला और मैंने उन्हें ज्ञापन दिया है. उसमें संक्षेप में वे सारी बातें बताई हैं कि किस तरह मेरा त्यागपत्र हुआ ही नहीं. लिखा ही नहीं गया फिर भी कथित हवाला देकर कि मुझे काम करने की अनिच्छा है, एक आदेश करवा दिया गया, जिसमें मुझे महाधिवक्ता ना समझते हुए मेरी जगह अन्य महाधिवक्ता की नियुक्ति कर दी गई. दोनों एक ही अधिसूचना में.

मैंने उन्हें कई नियुक्ति पत्र दिखाए. इसी हाईकोर्ट के एडवोकेट जनरल के संबंध में जब एक पद खाली होता है तब दूसरे की नियुक्ति की जाती है. एक साथ दो नामों की नियुक्ति नहीं की जा सकती. उन्होंने इस बात को ध्यान से सुना समझा और मुझे उम्मीद है कि इस संबंध में आगे मुनासिब कार्रवाई होगी. मुझे कतई राजनीति या दलगत राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है.

महाधिवक्ता पद की संवैधानिकता और उसकी गरिमा के साथ यदि ऐसा कोई आचरण शासन द्वारा भी किया जाएगा, जो संविधान की भावना के प्रतिकूल है, तो मैं उससे सहमत नहीं हो सकता, जितने बरस मैंने वकालत की है उसने बरस की उम्र के एक युवा अधिवक्ता को महाधिवक्ता बनाया गया है. मुझे उनसे कोई नाराजगी नहीं है. मुझे बहुत कुछ तो नहीं आता, लेकिन उम्र और अनुभव तो मेरे साथ हैं. महाधिवक्ता का पद मुगल बादशाहत नहीं है, जिसमें एक बुजुर्ग को अपमानित करके और युवा को पदस्थ किया जाए.

रायपुर: महाधिवक्ता कनक तिवारी ने अपने त्यागपत्र मामले में बड़ा बयान जारी किया है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मिलने और मामले से संबंधित ज्ञापन देने की बातें लिखी हैं.

उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट कर लिखा है कि - 'संविधान के प्रावधानों के अनुसार महाधिवक्ता एडवोकेट जनरल का यदि कोई त्यागपत्र होता है, तो उसे राज्यपाल द्वारा ही स्वीकार किया जा सकता है अन्य किसी द्वारा नहीं इसलिए आज मैं छत्तीसगढ़ की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल जी से मिला और मैंने उन्हें ज्ञापन दिया है. उसमें संक्षेप में वे सारी बातें बताई हैं कि किस तरह मेरा त्यागपत्र हुआ ही नहीं. लिखा ही नहीं गया फिर भी कथित हवाला देकर कि मुझे काम करने की अनिच्छा है, एक आदेश करवा दिया गया, जिसमें मुझे महाधिवक्ता ना समझते हुए मेरी जगह अन्य महाधिवक्ता की नियुक्ति कर दी गई. दोनों एक ही अधिसूचना में.

मैंने उन्हें कई नियुक्ति पत्र दिखाए. इसी हाईकोर्ट के एडवोकेट जनरल के संबंध में जब एक पद खाली होता है तब दूसरे की नियुक्ति की जाती है. एक साथ दो नामों की नियुक्ति नहीं की जा सकती. उन्होंने इस बात को ध्यान से सुना समझा और मुझे उम्मीद है कि इस संबंध में आगे मुनासिब कार्रवाई होगी. मुझे कतई राजनीति या दलगत राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है.

महाधिवक्ता पद की संवैधानिकता और उसकी गरिमा के साथ यदि ऐसा कोई आचरण शासन द्वारा भी किया जाएगा, जो संविधान की भावना के प्रतिकूल है, तो मैं उससे सहमत नहीं हो सकता, जितने बरस मैंने वकालत की है उसने बरस की उम्र के एक युवा अधिवक्ता को महाधिवक्ता बनाया गया है. मुझे उनसे कोई नाराजगी नहीं है. मुझे बहुत कुछ तो नहीं आता, लेकिन उम्र और अनुभव तो मेरे साथ हैं. महाधिवक्ता का पद मुगल बादशाहत नहीं है, जिसमें एक बुजुर्ग को अपमानित करके और युवा को पदस्थ किया जाए.

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त्यागपत्र मामला : महाधिवक्ता कनक तिवारी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया बड़ा बयान, पढ़ें

रायपुर:  महाधिवक्ता कनक तिवारी ने अपने त्यागपत्र मामले में बड़ा बयान जारी किया है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मिलने और मामले से संबंधित ज्ञापन देने की बातें लिखी हैं.



उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट कर लिखा है कि - 'संविधान के प्रावधानों के अनुसार महाधिवक्ता एडवोकेट जनरल का यदि कोई त्यागपत्र होता है, तो उसे राज्यपाल द्वारा ही स्वीकार किया जा सकता है अन्य किसी द्वारा नहीं इसलिए आज मैं छत्तीसगढ़ की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल जी से मिला और मैंने उन्हें ज्ञापन दिया है. उसमें संक्षेप में वे सारी बातें बताई हैं कि किस तरह मेरा त्यागपत्र हुआ ही नहीं. लिखा ही नहीं गया फिर भी कथित हवाला देकर कि मुझे काम करने की अनिच्छा है, एक आदेश करवा दिया गया, जिसमें मुझे महाधिवक्ता ना समझते हुए मेरी जगह अन्य महाधिवक्ता की नियुक्ति कर दी गई. दोनों एक ही अधिसूचना में. 

मैंने उन्हें कई नियुक्ति पत्र दिखाए. इसी हाईकोर्ट के एडवोकेट जनरल के संबंध में जब एक पद खाली होता है तब दूसरे की नियुक्ति की जाती है. एक साथ दो नामों की नियुक्ति नहीं की जा सकती. उन्होंने इस बात को ध्यान से सुना समझा और मुझे उम्मीद है कि इस संबंध में आगे मुनासिब कार्रवाई होगी. मुझे कतई राजनीति या दलगत राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है. 



महाधिवक्ता पद की संवैधानिकता और उसकी गरिमा के साथ यदि ऐसा कोई आचरण शासन द्वारा भी किया जाएगा, जो संविधान की भावना के प्रतिकूल है, तो मैं उससे सहमत नहीं हो सकता, जितने बरस मैंने वकालत की है उसने बरस की उम्र के एक युवा अधिवक्ता को महाधिवक्ता बनाया गया है. मुझे उनसे कोई नाराजगी नहीं है. मुझे बहुत कुछ तो नहीं आता, लेकिन उम्र और अनुभव तो मेरे साथ हैं.  महाधिवक्ता का पद मुगल बादशाहत नहीं है, जिसमें एक बुजुर्ग को अपमानित करके और युवा को पदस्थ किया जाए. 


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