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चरणदास महंत के लोकसभा में दिए गए यादगार भाषण, जो 20 साल बाद भी हैं प्रासंगिक

आज से 20 साल पहले 31 जुलाई 2000 को तात्कालीन कोरबा सांसद चरणदास महंत ने मध्यप्रदेश पुर्नगठन विधेयक पर विचार रखे थे. उनके ये विचार आज भी प्रासंगिक है. छत्तीसगढ़ को पृथक राज्य बनाने के लिए चरणदास महंत ने सहमति जताई थी. वर्तमान छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने उन बातों को याद करते हुए कहा कि पूर्वजों और पुरखों के देखे सपनों को पूरा करना हम सबकी जिम्मेदारी है.

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विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत
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Published : Jul 31, 2020, 7:41 PM IST

Updated : Jul 31, 2020, 9:03 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य गठन के चार महीने पहले यानी 31 जुलाई 2000 को लोकसभा में तात्कालीन कोरबा लोकसभा क्षेत्र से संसदीय सदस्य चरणदास महंत का मध्यप्रदेश पुर्नगठन विधेयक पर रखे गए विचार आज भी प्रासंगिक हैं. 20 साल बाद आज 31 जुलाई 2020 को भी अपने उस विधेयक को याद करते हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत कहते हैं कि पूर्वजों और पुरखों के देखे सपनों को पूरा करना हम सबकी जिम्मेदारी है. हम आपको बताने जा रहे हैं कि 31 जुलाई साल 2000 में लोकसभा में चरणदास महंत ने छत्तीसगढ़ को लेकर कौन से विचार रखे थे.

31 जुलाई 2000 को लोकसभा में चरणदास महंत (भाग-1))

वर्तमान छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत के साल 2000 में लोकसभा में रखे गए विचारों के कुछ मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं.

  • पृथक छत्तीसगढ़ राज्य के प्रणेता और सहभागियों को नमन.
  • छत्तीसगढ़ की माटी में समृद्धि के नए पुष्प खिलेंगे.
  • 2500 वर्ष पुरानी नाट्यशाला प्राचीनतम धरोहर.
  • दक्षिण कौशल में जन्मे भगवान रामचंद्र छत्तीसगढ़वासियों के भांजे.
  • छत्तीसगढ़ का निर्माण किसी वर्ग विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए नहीं.
  • खेत जोतकर और फसल काटकर भी अपने परिवार के लालन-पालन से वंचित वर्ग के लिए है छत्तीसगढ़.
  • उर्वरा माटी से समृद्धशाली राज्य के रूप में उभर रहा छत्तीसगढ़.
  • छत्तीसगढ़ एक समृद्धशाली राज्य बनेगा.
  • एक पृथक राज्य के लिए जो मूलभूत आधार चाहिए, वह सभी आधार पर छत्तीसगढ़ राज्य के लिए विद्यमान है.
  • वन, खनिज, सभ्यता, राजनीति, धर्म, बोली-भाषा से लेकर पुरातन संस्कृति और प्रकृति की निकटता ही छत्तीसगढ़ की पूंजी है जो छत्तीसगढ़ को समृद्धशाली राज्य बनाने में पूरी तरह सक्षम है.
31 जुलाई 2000 को लोकसभा में चरणदास महंत (भाग-2))

आज से 20 साल पहले 31 जुलाई सन 2000 को भारत के सर्वोच्च सदन लोकसभा में तात्कालीन कोरबा लोकसभा क्षेत्र से संसदीय सदस्य चरणदास महंत के दिए गए भाषण का यह अंश आज भी प्रासंगिक है.

चरणदास महंत जो वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य के विधानसभा अध्यक्ष हैं, उन्होंने आज से 20 साल पहले 31 जुलाई को बतौर संसद सदस्य लोकसभा में भाषण देते हुए बड़े ही हर्ष के साथ कहा था कि छत्तीसगढ़ की दो करोड़ जनता का सपना साकार होने जा रहा है.

31 जुलाई 2000 को लोकसभा में चरणदास महंत (भाग-3)

'छत्तीसगढ़ की माटी में समृद्धि के नए पुष्प खिलेंगे'

महंत ने पृथक छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के लिए अहिंसक और शांतिपूर्ण आंदोलन के प्रणेता और सहभागी माधव राव सप्रे, पंडित सुंदरलाल शर्मा, डॉ. खूबचंद बघेल, विश्वनाथ तामस्कर, डॉ. राघवेन्द्र राव, बिसाहूदास महंत, लोचन प्रसाद पाण्डेय, पवन दीवान, वीरनारायण सिंह, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, बृजलाल वर्मा, छेदीलाल बैरिस्टर, चंदूलाल चंद्राकर, केयर भूषण, पुरूषोत्तम कौशिक, विद्याचरण शुक्ल, दिग्विजय सिंह के साथ-साथ सभी सांसद, विधायक, छत्तीसगढ़ महासभा, भात्र संघ, संघर्ष मोर्चा, छत्तीसगढ़ मंच, गोंड़वाना पार्टी विकास मंच, पिछड़ा वर्ग समाज पार्टी, छत्तीसगढ़ फौज, छत्तीसगढ़ धरना के सभी सदस्यों को नमन करते हुए कहा था कि अब छत्तीसगढ़ की माटी में समृद्धि के नए पुष्प खिलेंगे.

चरणदास महंत के भाषण के कुछ अंश

  • उन्होंने कहा था कि गणतंत्र (राज्य) भले ही छोटा क्यों न हो, यदि वह समृद्धशाली हैं तो उसी प्रकार शोभा पाता है और उसे पूजा जाता है. जिस प्रकार दूध देने वाली गाय अपने बछड़े के साथ सभी स्थानों पर पूजनीय है.
  • चरणदास महंत ने कहा था कि भौगोलिक दृष्टिकोण से केरल से 6 गुना और हिमाचल प्रदेश से 5 गुना बड़े छत्तीसगढ़ राज्य में अपार संपदाएं हैं.
  • 3 प्राकृतिक खंडों, सतपुड़ा का उच्च समभूमि भाग, महानदी और सहायक नदियों का मध्य भाग और बस्तर के पठार में फैला छत्तीसगढ़ धान की 10 हजार प्रजातियों से एक अलग पहचान विश्वभर में प्राप्त करता है.
  • पूरे विश्व में धान की 12 हजार 500 प्रजातियां पाई जाती हैं, जबकि 10 हजार प्रजातियां सिर्फ छत्तीसगढ़ में हैं. वन के मामले में समृद्ध छत्तीसगढ़ प्रदेश खनिज की दृष्टि से एशिया का सर्वाधिक संपन्न क्षेत्र है.
  • यहां का लोहा गुणवत्ता में सर्वश्रेष्ठ है. अयस्क, क्वॉर्टाजाइट, हीरा, कोरंडम शत प्रतिशत है. बस्तर में सोने का भंडार पाया गया है.
  • छत्तीसगढ़ में एक ही भाषा छत्तीसगढ़ी बोली का प्रयोग होता है, जो 200 से 300 वर्ष पुरानी है. छत्तीसगढ़ी भाषा में 8 बोलियां समाहित है और यह अवधी की शाखा है, जिसकी लिपि देवनागरी है.
  • महंत ने केन्द्र सरकार से संविधान के अनुच्छेद 347 के मुताबिक छत्तीसगढ़ी बोली को भाषा का दर्जा प्रदान करने की मांग रखी थी. संस्कृति और सभ्यता की दृष्टि से आज का उपेक्षित छत्तीसगढ़ कभी संस्कृति और सभ्यता का पुनीत केन्द्र था.
  • मनुष्य सभ्यता का जन्म स्थान छत्तीसगढ़ को माना जाता है. ब्राम्हणी लिपि का जन्म इसी धरती पर हुआ. रायगढ़ जिले में मिले चित्र प्राचीनतम हैं, तो विश्व की प्राचीनतम 2500 वर्ष पुरानी नाट्य शाला सरगुजा जिले के रामगढ़ में है.
  • भगवान विष्णु की 2200 वर्ष पुरानी प्राचीनतम प्रतिमा बुढ़ीखार में पाई गई. राजनैतिक इतिहास में भी छत्तीसगढ़ संपन्न है. दक्षिण कौशल में रानी कौशल्या ने राजा राम को जन्म दिया इसलिए रामचंद्र को छत्तीसगढ़वासी भांजे के रूप में पूजते हैं. अनेक ऋषियों की स्मृतियां यहांं शेष है.
  • श्रीपुर संंस्कृत विद्वानों का केन्द्र रहा है, लेकिन प्राचीनतम मानव सभ्यता और संस्कृति की जन्म भूमि अपनी पहचान और अस्मिता की रक्षा के लिए संघर्षरत थी. सन 1741 से 1818 तक भोसलों का शासन यहां रहा और 1818 से स्वतंत्रता प्राप्ति तक अंग्रेजों का शासन था.
  • इस बीच 1820 में एग्नू ने छत्तीसगढ़ प्राप्ति की कल्पना की. अनेक खंडों में राजाओं के वर्चस्व के मध्य सीपी बरार के अधीन छत्तीसगढ़ ने अपनी छटपटाहट को महसूस किया, जिसे छटपटाहट से मुक्ति देकर एक स्वतंत्र छत्तीसगढ़ का अभ्युदय महापुरूषों के प्रयासों से सफल हुआ.
  • तत्कालीन प्रधानमंत्री ने महान आत्माओं की कल्पनाओं को साकार किया जिसके हम सभी सदैव आभारी रहेंगे.


आखिर में चरणदास महंत ने बड़े ही अलग अंदाज में अपनी बात रखते हुए कहा कि, अंत में मैं सदन से प्रार्थना करना चाहता हूं कि, छत्तीसगढ़ का निर्माण, किसी जाति, धर्म, सम्प्रदाय, राजनीतिक दल, कुर्सी प्राप्त करने अथवा वर्ग विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए नहीं, वरन उस आदमी के लिए हैं- जो खेत जोतता है, जो फसल बोता है, जो फसल उगाता है, जो फसल काटता है, फिर भी अपने परिवार के लालन-पालन से वंचित रह जाता है. उस आदमी के श्रम को सम्मान देने, उसके आर्थिक और समाजिक उत्थान को दिशा देने और उसे समृद्ध बनाने और संरक्षण प्रदान करने के पुण्य विचार के साथ इस छत्तीसगढ़ राज्य को, उस आदमी को यह पवित्र सदन समर्पित करें.

छत्तीसगढ़ को पृथक राज्य बनाने के लिए चरणदास महंत ने जताई थी सहमति

चरणदास महंत महंत ने कहा, 'हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि छत्तीसगढ़ की माटी उर्वरा है. आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़, भारत के एक समृद्धशाली राज्य के रूप में उभरेगा जो सत्य, अहिंसा और प्रेम का प्रतीक बनेगा और इसी भावना के साथ सर्वानुमति से इस विधेयक को पास करें. इस प्रार्थना के साथ मैं मध्यप्रदेश पुर्नगठन विधेयक 2000 का समर्थन करता हूं.

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के कार्याकाल को करीब डेढ़ साल से ज्यादा का समय बीत चुका है. वहीं छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत अपने 20 साल पहले दिए इस भाषण को याद करते हुए कहते हैं कि आज की सरकार छत्तीसगढ़ के सभी सपनों को पूरा करने की लगातार कोशिश में लगी है और निरंतर ये प्रक्रिया जारी रहेगी.

रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य गठन के चार महीने पहले यानी 31 जुलाई 2000 को लोकसभा में तात्कालीन कोरबा लोकसभा क्षेत्र से संसदीय सदस्य चरणदास महंत का मध्यप्रदेश पुर्नगठन विधेयक पर रखे गए विचार आज भी प्रासंगिक हैं. 20 साल बाद आज 31 जुलाई 2020 को भी अपने उस विधेयक को याद करते हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत कहते हैं कि पूर्वजों और पुरखों के देखे सपनों को पूरा करना हम सबकी जिम्मेदारी है. हम आपको बताने जा रहे हैं कि 31 जुलाई साल 2000 में लोकसभा में चरणदास महंत ने छत्तीसगढ़ को लेकर कौन से विचार रखे थे.

31 जुलाई 2000 को लोकसभा में चरणदास महंत (भाग-1))

वर्तमान छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत के साल 2000 में लोकसभा में रखे गए विचारों के कुछ मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं.

  • पृथक छत्तीसगढ़ राज्य के प्रणेता और सहभागियों को नमन.
  • छत्तीसगढ़ की माटी में समृद्धि के नए पुष्प खिलेंगे.
  • 2500 वर्ष पुरानी नाट्यशाला प्राचीनतम धरोहर.
  • दक्षिण कौशल में जन्मे भगवान रामचंद्र छत्तीसगढ़वासियों के भांजे.
  • छत्तीसगढ़ का निर्माण किसी वर्ग विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए नहीं.
  • खेत जोतकर और फसल काटकर भी अपने परिवार के लालन-पालन से वंचित वर्ग के लिए है छत्तीसगढ़.
  • उर्वरा माटी से समृद्धशाली राज्य के रूप में उभर रहा छत्तीसगढ़.
  • छत्तीसगढ़ एक समृद्धशाली राज्य बनेगा.
  • एक पृथक राज्य के लिए जो मूलभूत आधार चाहिए, वह सभी आधार पर छत्तीसगढ़ राज्य के लिए विद्यमान है.
  • वन, खनिज, सभ्यता, राजनीति, धर्म, बोली-भाषा से लेकर पुरातन संस्कृति और प्रकृति की निकटता ही छत्तीसगढ़ की पूंजी है जो छत्तीसगढ़ को समृद्धशाली राज्य बनाने में पूरी तरह सक्षम है.
31 जुलाई 2000 को लोकसभा में चरणदास महंत (भाग-2))

आज से 20 साल पहले 31 जुलाई सन 2000 को भारत के सर्वोच्च सदन लोकसभा में तात्कालीन कोरबा लोकसभा क्षेत्र से संसदीय सदस्य चरणदास महंत के दिए गए भाषण का यह अंश आज भी प्रासंगिक है.

चरणदास महंत जो वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य के विधानसभा अध्यक्ष हैं, उन्होंने आज से 20 साल पहले 31 जुलाई को बतौर संसद सदस्य लोकसभा में भाषण देते हुए बड़े ही हर्ष के साथ कहा था कि छत्तीसगढ़ की दो करोड़ जनता का सपना साकार होने जा रहा है.

31 जुलाई 2000 को लोकसभा में चरणदास महंत (भाग-3)

'छत्तीसगढ़ की माटी में समृद्धि के नए पुष्प खिलेंगे'

महंत ने पृथक छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के लिए अहिंसक और शांतिपूर्ण आंदोलन के प्रणेता और सहभागी माधव राव सप्रे, पंडित सुंदरलाल शर्मा, डॉ. खूबचंद बघेल, विश्वनाथ तामस्कर, डॉ. राघवेन्द्र राव, बिसाहूदास महंत, लोचन प्रसाद पाण्डेय, पवन दीवान, वीरनारायण सिंह, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, बृजलाल वर्मा, छेदीलाल बैरिस्टर, चंदूलाल चंद्राकर, केयर भूषण, पुरूषोत्तम कौशिक, विद्याचरण शुक्ल, दिग्विजय सिंह के साथ-साथ सभी सांसद, विधायक, छत्तीसगढ़ महासभा, भात्र संघ, संघर्ष मोर्चा, छत्तीसगढ़ मंच, गोंड़वाना पार्टी विकास मंच, पिछड़ा वर्ग समाज पार्टी, छत्तीसगढ़ फौज, छत्तीसगढ़ धरना के सभी सदस्यों को नमन करते हुए कहा था कि अब छत्तीसगढ़ की माटी में समृद्धि के नए पुष्प खिलेंगे.

चरणदास महंत के भाषण के कुछ अंश

  • उन्होंने कहा था कि गणतंत्र (राज्य) भले ही छोटा क्यों न हो, यदि वह समृद्धशाली हैं तो उसी प्रकार शोभा पाता है और उसे पूजा जाता है. जिस प्रकार दूध देने वाली गाय अपने बछड़े के साथ सभी स्थानों पर पूजनीय है.
  • चरणदास महंत ने कहा था कि भौगोलिक दृष्टिकोण से केरल से 6 गुना और हिमाचल प्रदेश से 5 गुना बड़े छत्तीसगढ़ राज्य में अपार संपदाएं हैं.
  • 3 प्राकृतिक खंडों, सतपुड़ा का उच्च समभूमि भाग, महानदी और सहायक नदियों का मध्य भाग और बस्तर के पठार में फैला छत्तीसगढ़ धान की 10 हजार प्रजातियों से एक अलग पहचान विश्वभर में प्राप्त करता है.
  • पूरे विश्व में धान की 12 हजार 500 प्रजातियां पाई जाती हैं, जबकि 10 हजार प्रजातियां सिर्फ छत्तीसगढ़ में हैं. वन के मामले में समृद्ध छत्तीसगढ़ प्रदेश खनिज की दृष्टि से एशिया का सर्वाधिक संपन्न क्षेत्र है.
  • यहां का लोहा गुणवत्ता में सर्वश्रेष्ठ है. अयस्क, क्वॉर्टाजाइट, हीरा, कोरंडम शत प्रतिशत है. बस्तर में सोने का भंडार पाया गया है.
  • छत्तीसगढ़ में एक ही भाषा छत्तीसगढ़ी बोली का प्रयोग होता है, जो 200 से 300 वर्ष पुरानी है. छत्तीसगढ़ी भाषा में 8 बोलियां समाहित है और यह अवधी की शाखा है, जिसकी लिपि देवनागरी है.
  • महंत ने केन्द्र सरकार से संविधान के अनुच्छेद 347 के मुताबिक छत्तीसगढ़ी बोली को भाषा का दर्जा प्रदान करने की मांग रखी थी. संस्कृति और सभ्यता की दृष्टि से आज का उपेक्षित छत्तीसगढ़ कभी संस्कृति और सभ्यता का पुनीत केन्द्र था.
  • मनुष्य सभ्यता का जन्म स्थान छत्तीसगढ़ को माना जाता है. ब्राम्हणी लिपि का जन्म इसी धरती पर हुआ. रायगढ़ जिले में मिले चित्र प्राचीनतम हैं, तो विश्व की प्राचीनतम 2500 वर्ष पुरानी नाट्य शाला सरगुजा जिले के रामगढ़ में है.
  • भगवान विष्णु की 2200 वर्ष पुरानी प्राचीनतम प्रतिमा बुढ़ीखार में पाई गई. राजनैतिक इतिहास में भी छत्तीसगढ़ संपन्न है. दक्षिण कौशल में रानी कौशल्या ने राजा राम को जन्म दिया इसलिए रामचंद्र को छत्तीसगढ़वासी भांजे के रूप में पूजते हैं. अनेक ऋषियों की स्मृतियां यहांं शेष है.
  • श्रीपुर संंस्कृत विद्वानों का केन्द्र रहा है, लेकिन प्राचीनतम मानव सभ्यता और संस्कृति की जन्म भूमि अपनी पहचान और अस्मिता की रक्षा के लिए संघर्षरत थी. सन 1741 से 1818 तक भोसलों का शासन यहां रहा और 1818 से स्वतंत्रता प्राप्ति तक अंग्रेजों का शासन था.
  • इस बीच 1820 में एग्नू ने छत्तीसगढ़ प्राप्ति की कल्पना की. अनेक खंडों में राजाओं के वर्चस्व के मध्य सीपी बरार के अधीन छत्तीसगढ़ ने अपनी छटपटाहट को महसूस किया, जिसे छटपटाहट से मुक्ति देकर एक स्वतंत्र छत्तीसगढ़ का अभ्युदय महापुरूषों के प्रयासों से सफल हुआ.
  • तत्कालीन प्रधानमंत्री ने महान आत्माओं की कल्पनाओं को साकार किया जिसके हम सभी सदैव आभारी रहेंगे.


आखिर में चरणदास महंत ने बड़े ही अलग अंदाज में अपनी बात रखते हुए कहा कि, अंत में मैं सदन से प्रार्थना करना चाहता हूं कि, छत्तीसगढ़ का निर्माण, किसी जाति, धर्म, सम्प्रदाय, राजनीतिक दल, कुर्सी प्राप्त करने अथवा वर्ग विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए नहीं, वरन उस आदमी के लिए हैं- जो खेत जोतता है, जो फसल बोता है, जो फसल उगाता है, जो फसल काटता है, फिर भी अपने परिवार के लालन-पालन से वंचित रह जाता है. उस आदमी के श्रम को सम्मान देने, उसके आर्थिक और समाजिक उत्थान को दिशा देने और उसे समृद्ध बनाने और संरक्षण प्रदान करने के पुण्य विचार के साथ इस छत्तीसगढ़ राज्य को, उस आदमी को यह पवित्र सदन समर्पित करें.

छत्तीसगढ़ को पृथक राज्य बनाने के लिए चरणदास महंत ने जताई थी सहमति

चरणदास महंत महंत ने कहा, 'हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि छत्तीसगढ़ की माटी उर्वरा है. आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़, भारत के एक समृद्धशाली राज्य के रूप में उभरेगा जो सत्य, अहिंसा और प्रेम का प्रतीक बनेगा और इसी भावना के साथ सर्वानुमति से इस विधेयक को पास करें. इस प्रार्थना के साथ मैं मध्यप्रदेश पुर्नगठन विधेयक 2000 का समर्थन करता हूं.

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के कार्याकाल को करीब डेढ़ साल से ज्यादा का समय बीत चुका है. वहीं छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत अपने 20 साल पहले दिए इस भाषण को याद करते हुए कहते हैं कि आज की सरकार छत्तीसगढ़ के सभी सपनों को पूरा करने की लगातार कोशिश में लगी है और निरंतर ये प्रक्रिया जारी रहेगी.

Last Updated : Jul 31, 2020, 9:03 PM IST
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