रायपुर: चैत्र माह हिंदू पंचांग का पहला महीना है. इसी चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से भारतीय नववर्ष की शुरुआत होती है. इसी प्रतिपदा तिथि से नौ दिनों तक चलने वाले चैत्र नवरात्रि भी शुरु हो जाती है. भारत एक हिन्दू राष्ट्र हैं और अन्य धर्मों के आगमन के बाद इस नववर्ष को हिन्दू नववर्ष कहा गया है.
कब आता है हिंदू नववर्ष: नव वर्ष के दिन देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नाम से नववर्ष मनाया जाता है. हिंदी महीने चैत्र के शुक्ल पक्ष की पहली तिथि यानी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को इसकी शुरुआत होती है. भारत में इस दिन सनातन धर्म को मानने वाले पूरे अपना नववर्ष मनाते हैं. इस दिन सुबह उठते ही घर में पूरा भक्ति में माहौल रहता है और दिन की शुरुआत पूजा-पाठ से होती है. हिंदू नव वर्ष की भारतीय धर्म में बहुत मान्यता है. हिंदू नव वर्ष का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्व होता है.
प्रकृति भी बदलती है अपना स्वरुप : दरअसल, जब हिंदू अपना नववर्ष मनाते हैो तब प्रकृति भी अपने नए स्वरूप में निखर रही होती है. यह वही समय होता है जब पतझड़ बसंत ऋतु का आगमन होता है. पेड़ों पर पुराने पत्तों की जगह नए पत्ते आ रहे होते हैं, सनातन धर्म के अनुसार इसी तिथि को ब्रह्मा जी ने सृष्टि की उत्पत्ति की थी. इसी कारण सनातन धर्म में हर साल चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को नव वर्ष के रुप में मनाया जाता है.
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हर राज्य में नववर्ष का अलग नाम : साल 2023 में गुड़ी पड़वा का त्यौहार 22 मार्च 2023 को मनाया जाएगा और तभी से चैत्र नवरात्रि और भारतीय नव वर्ष शुरू होगा. इसके अलावा इसी दिन कर्नाटक में युगादि और आंध्र प्रदेश, तेलंगाना में उगादी नववर्ष पर्व मनाया जाता है. गोवा और केरल में कोंकणी समुदाय के लोग इस दिन संवत्सर पड़वो का पर्व मनाते हैं. कश्मीर में नवरेह, मणिपुर में सजिबु नोंगमा पानबा, सिंधी समुदाय के लोग इस दिन चेती चंड का पर्व मनाते हैं.