रायपुर: नवरात्रि के छठवें दिन मां दुर्गा के कात्यायनी रूप की पूजा आराधना की जाती है. यह दिन कात्यायनी मां का होता है. रोहणी नक्षत्र चंद्र बार आयुष्मान योग तैतिल करण मिथुन और वृषभ राशि के चंद्रमा में यह शुभ दिन मनाया जाएगा. कात्यायनी माता शक्ति, तेजस्विता और पुरुषार्थ का प्रतीक हैं. इस दिन माता की शुद्ध मन से पूजा करने पर बहुत लाभ मिलता है. कात्यायनी माता तंत्र की भी देवी मानी जाती हैं. मंत्र तंत्र योगिक साधना और ध्यान करने से माता का आशीर्वाद मिलता है. कात्यायनी माता कुंवारी कन्याओं के लिए वरदायिनी हैं. जिनकी शादी में बाधा आ रही हो, उनको माता के कात्यायनी की विशेष रूप से पूजा आराधना करनी चाहिए.
माता को पसंद है सात्विकता: पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "इस दिन निराहार या फलाहार रखना चाहिए. इस दिन तामसिक प्रवृत्तियों से दूर रहना चाहिए. माता सात्विकता की देवी हैं. कात्यायनी माता का वाहन शेर है. तंत्र साधकों के लिए माता बहुत शुद्ध मानी गई है. कात्यायनी माता को हेमावती, गौरी, काली आदि माना गया है. माता अमोघ फलदायनी है. माता के हाथ में कमल और तलवार है. नवरात्रि का छठवां दिन साधकों के लिए विशिष्ट माना जाता है. इस दिन भी जगह-जगह भंडारा का आयोजन किया जाता है."
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सिद्ध बीज मंत्र का करें पाठ: पंडित विनीत शर्मा कहते हैं कि "कुंवारी कन्या इस शुभ दिन अखंड दीपक जलाकर भगवती की पूजा करें और मां कात्यायनी के सिद्ध बीज मंत्र का पाठ करें. कात्यायनी माता पार्वती का ही दूसरा नाम है. इस दिन पूजा करने पर साधक का आज्ञा चक्र सक्रिय होता है. माता को लाल रंग की चुनरी, साड़ी और आसन समर्पित करना चाहिए. आज के दिन साधक को भी लाल वस्त्र पहनकर माता की पूजा और आराधना करनी चाहिए. "