रायपुर : अनियमित कर्मचारियों ने नियमितिकरण समेत 4 सूत्रीय मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हैं. कांग्रेस ने अनियमित कर्मचारियों को सरकार बनते ही दस दिनों अंदर नियमित करने का वादा किया था.लेकिन ना तो नियमितिकरण हुआ और ना ही कोई मांग पूरी हुई.
सरकार ने हर बार दिया आश्वासन : पिछले 4 साल में अनियमित कर्मचारी संगठन समय-समय पर आंदोलन करता रहा है. सरकार ने हर बार कर्मचारियों को आश्वासन देकर मनाया लेकिन अब चुनाव आ गए हैं.ऐसे में अनियमित कर्मचारी संगठन एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर सड़क पर है.
"कांग्रेस सरकार ने चुनाव के समय अपने जन घोषणा पत्र में अनियमित कर्मचारियों को 10 दिन में नियमित करने का वादा किया था, लेकिन सरकार बने 4 साल से अधिक का समय बीत चुका है. बावजूद इसके प्रदेश के अनियमित कर्मचारियों को अब तक नियमित नहीं किया गया है. जिसके कारण अनियमित कर्मचारियों में आक्रोश और नाराजगी है.'' गोपाल प्रसाद साहू , प्रांतीय संयोजक छत्तीसगढ़ अनियमित कर्मचारी मोर्चा
कितनी है अनियमित कर्मचारियों की संख्या : प्रदेश भर में अनियमित कर्मचारियों की संख्या 3 लाख से ऊपर है. दैनिक वेतन भोगी कलेक्ट्रेट दर श्रम आयुक्त दर पर कार्यरत श्रमिक की संख्या 30 हजार 731 है. अनियमित वर्ग के संविदा कर्मचारियों की संख्या 52 हजार 608 है. प्लेसमेंट में काम करने वाले लोगों की संख्या 53 हजार 731 है.
अंशकालीन के रूप में स्कूल, कॉलेज, पॉलिटेक्निक, कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, आईटीआई में काम करने वालों की संख्या 65 हजार 938 है. ठेका में काम करने वाले जैसे सीएसपीडीसीएल, क्रेडा, स्वास्थ्य विभाग, 102, 108 और 112 में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या 29 हजार 927 है. मानदेय में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या 86 हजार 399 है. वहीं पशुपालन विभाग, गौसेवा, स्वास्थ्य विभाग, वैक्सीन वाहन के कर्मचारियों की संख्या 9 हजार 989 है.
क्या है छत्तीसगढ़ अनियमित कर्मचारी मोर्चा की मांग : अनियमित कर्मचारी संगठन सरकार से अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन कर रहा है.जिसमें सभी अनियमित कर्मचारी और अधिकारियों को नियमित करने. नियमितीकरण के बाद जॉब सुरक्षा की गारंटी देने, छटनी किए गए अनियमित कर्मचारियों को बहाल करते हुए छटनी पर रोक लगाने, अंशकालीन कर्मचारियों को पूर्णकालीन करने. शासकीय सेवाओं में आउटसोर्सिंग ठेका प्रथा को पूरी तरह से समाप्त करते हुए अनियमित कर्मचारियों को अन्य विभागों में काम देने की मांग की गई है.