रायपुर: देशभर में 1 अक्टूबर से कार्ड टोकेनाइजेशन सिस्टम लागू होने जा रहा है. साइबर एक्सपर्ट मोहित साहू बताते हैं कि ''कार्ड टोकेनाइजेशन सिस्टम एक कोड होता है. आपके डेबिट और क्रेडिट कार्ड में से ही इसे इश्यू किया जाएगा. ये एक नंबर हो सकता है. एक तरह से मिक्स डेटा हो सकता है.''
क्या कहते हैं साइबर एक्सपर्ट: साइबर एक्सपर्ट मोहित साहू के मुताबिक ''अभी तक यह होता था कि आप कार्ड से कुछ पर्चेस करने जाते थे. उसमें आप अपना कार्ड डिटेल पूरा इंटर करते थे और वेबसाइट आपसे पूछता था कि इन कार्ड डिटेल को सेव कर लीजिए, ताकि अगली बार आप शॉपिंग करें तो आपको वापस डालने की जरूरत न पड़े. जब भी आप कुछ पर्चेस करते थे. उस दौरान सिर्फ सीवीवी नंबर और ओटीपी डालना पड़ता था. जिसके बाद पर्चेस कंप्लीट हो जाता था. लेकिन किसी कारण से ये वेबसाइट हैक हो गया तो आपका नाम नंबर के साथ ही कार्ड का इन्फॉर्मेशन सब कुछ एक साथ लीक हो जाता है. जिसे साइबर फ्रॉड आसानी से दूसरे वेबसाइट में डाल कर फ्रॉड कर सकता है. इसमें ओटीपी की भी जरूरत नहीं पड़ती.''
कार्ड टोकनाइजेशन को Step by Step समझें: आरबीआई की इस नई व्यवस्था के लागू होने से ऑनलाइन शॉपिंग बेहद सुरक्षित होगा. साइबर एक्सपर्ट मोहित साहू कार्ड टोकेनाइजेशन को स्टेप वाइज समझाते हुए कहते हैं कि ''यदि आप इसमें कार्ड नंबर डालते हैं तो आरबीआई का कहना है कि इसमें एक टोकन नंबर जनरेट होगा. मर्चेंट जैसे ही आपको कार्ड सेव करने बोलता है तो मर्चेंट कहेगा कि आप इसे टोकनाइज करो. जब आप टोकनाइज पर जाएंगे तो वो आरबीआई के सर्वर पर जाएगा.
टोकनाइजेशन की प्रक्रिया समझें: मोहित कहते हैं कि टोकनाइजेशन में तीन मुख्य चीजें रहेगी. पहला कौन से मर्चेंट के थ्रू पेमेंट होने वाला है. दूसरा कि इसमें कौन सा मोबाइल का कौन सा ब्राउजर यूज हो रहा है. तीसरा आपके कार्ड का डिटेल. ये तीनों डिटेल को लेते हुए एक टोकन और डेटा जनरेट करेगा. यह डेटा वापस मर्चेंट को सेव करने के लिए देगा. चूंकि मर्चेंट के पास दोबारा शॉपिंग करनी होगी तो आपको दोबारा कोई कार्ड नहीं डालना है. आरबीआई आपको 4 डिजिट का कोड देगा, ताकि यूजर इन चार डिजिट को आइडेंटीफाई कर पाए. इससे यह होगा कि आपका कार्ड मर्चेंट के पास सेव नहीं होगा. अगर मर्चेंट की साइट हैक भी होती है तो उसको सिर्फ टोकन का इंफॉर्मिशन मिलेगा. कार्ड की इंफॉर्मेशन नहीं मिलेगी.
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कार्ड आपके पास रहेगा सेव: एक्सपर्ट मोहित साहू बताते हैं कि ''यदि आप 5 अलग अलग वेबसाइट से शॉपिंग करते हैं तो सभी में कार्ड की डिटेल अलग अलग सेव करते हैं. कोई भी वेबसाइट लीक हुई तो आपके कार्ड का पूरा डिटेल लीक हो जाएगा. लेकिन अब आपने 5 अलग अलग वेबसाइट में अपने कार्ड को सेव किया, लेकिन टोकनाइज करके किया तो टोकनाइजेशन में उस वेबसाइट के पास सेव न हो करके वह सीधे आरबीआई के पास सेव हो जाएगा. एक टोकनाइज वैल्यू उस वेबसाइट वाले को मिल जाएगी. यह एक तरह से बेहतर पहल है.
क्या कहतें हैं साइबर के अफसर: एंटी क्राइम एंड साइबर यूनिट एएसपी अभिषेक माहेश्वरी ने बताया कि ''अभी हम जब ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं तो शॉपिंग के दौरान जो पेमेंट करना होता है. उसमें अपने कार्ड का डिटेल डालना पड़ता है. 16 डिजिट नंबर हो या सीवीवी समेत अन्य इंफॉर्मिशन, लेकिन आरबीआई ने एक नया रूल बनाया है. यह 1 अक्टूबर से लागू होने वाला है. जिसमें कार्ड धारक को एक यूनिट टोकन नंबर दिया जाएगा. वह अपने कार्ड का डिटेल देने की जगह पर टोकन नंबर के मैसेज पर ही पेमेंट कर सकता है. जिसमें उसकी पर्सनल इंफॉर्मेशन मर्चेंट को नहीं मिल पाएगी. इससे साइबर फ्रॉड के पास लोगों के पर्सनल इंफॉर्मेशन नहीं पहुंच पाएंगे. जिससे साइबर ठगी जैसी वारदात को रोकने में यह काफी कारगर साबित होगा.''