रायपुर: छत्तीसगढ़ के महालेखाकार डी आर पाटिल ने बताया कि सरकार ने 8800 करोड़ का लोन लिया था. उन्होंने बताया कि साल 2017-2018 में कुल 88590 करोड़ रुपए का बजट था लेकिन सरकार ने 18886 करोड़ रुपए का इस्तेमाल नहीं किया. 5008 करोड़ रुपए लैप्स हो गए.
महालेखाकार की बड़ी बातें-
- 2017-18 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद से कुल बकाया ऋण का अनुपात 18.14 प्रतिशत था.
- 2017-18 में छत्तीसगढ़ सरकार का प्राथमिक घाटा 2013 2018 के दौरान 1361 करोड़ और 6281 करोड़ के बीच रहा, जो यह बताता है कि गैर ऋण प्राप्ति राज्य के प्राथमिक व्यय को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं थी.
- 2017-18 के दौरान सकल व्यय से विकास व्यय सामाजिक क्षेत्र पर व्यय और शिक्षा क्षेत्र पर व्यय सामान्य श्रेणी के राज्यो के औसत से ज्यादा था.
- 2017-18 में करीब 5 हजार करोड़ रुपए सीधे इंप्लेमेंटिंग एजेंसी को दे दिया. ये पैसे राज्य सरकार को मिलने थे. यानी केंद्र ने अपने नियम का उल्लंघन किया.
- 13 पीएसयू को उनके ऑडिट न किए जाने के बाद भी राज्य सरकार ने करीब 9500 करोड़ दिए. महालेखाकार ने कंपनी एक्ट के तहत इन कंपनियों को बंद हो जाने का अंदेशा जताया.