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आम बजट 2022-23:  मध्यमवर्गीय के लिए कैसा है बजट, जानिए अर्थशास्त्री की राय

आम बजट 2022-23 को लेकर हमने अर्थशास्त्री तपेश गुप्ता से बात की. उन्होंने मध्यमवर्गीय परिवार के लिए बजट को निराशाजनक बताया.

Economist opinion on the budget
बजट पर अर्थशास्त्रियों की राय
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Published : Feb 1, 2022, 5:38 PM IST

Updated : Feb 1, 2022, 9:48 PM IST

रायपुर: केंद्रीय बजट को लेकर अर्थशास्त्री तपेश गुप्ता का कहना है कि बजट में सबसे ज्यादा अपेक्षा मध्यमवर्गीय परिवारों को थी. लेकिन बजट से मध्यमवर्गीय परिवार को निराशा हाथ लगी है. कोरोना के मद्देनजर सरकार ने सभी वर्गों से सहयोग की अपील की थी. लोगों ने सहयोग भी किया. लेकिन जब बजट की बात आई तब टैक्स स्लैब भी वही रखा. नगद पैसा मिलने वाला था, उसमें भी सरकार ने 4% की कटौती कर दी. नेशनल पेंशन पॉलिसी में स्कीम को 10% से बढ़ाकर 14% कर दिया लेकिन यह बचत के लिए प्रोत्साहन नहीं माना जाएगा बल्कि कर्मचारियों के आय में कटौती होगी. यह सीधे तौर पर सरकारी खजाने में जमा होगा और बाद में ब्याज सहित लोगों को मिलेगा.

मध्यमवर्गीय के लिए कैसा है बजट

पोस्ट ऑफिस और दूसरी चीजों को बैंकीकृत करने की बात कही है. इसे लेकर अर्थशास्त्री का कहना है कि सरकार ने कहा था कि बैंक में करप्शन हो रहे हैं या फिर इंटरनेट घोटाले हो रहे हैं. इसे रोकने के लिए सुरक्षित कदम उठाया जाएगा. अधिकारी और कर्मचारियों को स्टैंडर्ड और स्लैब में कोई छूट नहीं देकर गलत किया है. वेतन और भत्ते में कितनी वृद्धि की यह तो कर मुक्त है.

Budget 2022 Sitharaman : संसद में बजट भाषण के बाद वित्त मंत्री ने दिए सवालों के जवाब

कॉरपोरेट टैक्स को कम किया गया, आम आदमी को नहीं दी गई राहत

अर्थशास्त्री तपेश गुप्ता का कहना है कि बजट में कॉरपोरेट टैक्स को कम कर दिया गया है जबकि आम लोगों को किसी तरह की कोई रियायत नहीं दी गई है. उन्होंने इसे पूंजीवादी व्यवस्था का अंश बताया और कहा कि वे पिछले 40 सालों से बजट को देखते आ रहे हैं लेकिन पहली बार ऐसा बजट देखने को मिला है. इसमें किसी तरह की कोई उदारता का उल्लेख नहीं है. टैक्स कम होना था. स्लैब को बढ़ाए होते तो ज्यादा टैक्स की वसूली होती है. लॉकडाउन के समय सभी व्यापारियों को माल टैक्स पैड आया था. इसी कारण से जीएसटी बढ़ा.

रायपुर: केंद्रीय बजट को लेकर अर्थशास्त्री तपेश गुप्ता का कहना है कि बजट में सबसे ज्यादा अपेक्षा मध्यमवर्गीय परिवारों को थी. लेकिन बजट से मध्यमवर्गीय परिवार को निराशा हाथ लगी है. कोरोना के मद्देनजर सरकार ने सभी वर्गों से सहयोग की अपील की थी. लोगों ने सहयोग भी किया. लेकिन जब बजट की बात आई तब टैक्स स्लैब भी वही रखा. नगद पैसा मिलने वाला था, उसमें भी सरकार ने 4% की कटौती कर दी. नेशनल पेंशन पॉलिसी में स्कीम को 10% से बढ़ाकर 14% कर दिया लेकिन यह बचत के लिए प्रोत्साहन नहीं माना जाएगा बल्कि कर्मचारियों के आय में कटौती होगी. यह सीधे तौर पर सरकारी खजाने में जमा होगा और बाद में ब्याज सहित लोगों को मिलेगा.

मध्यमवर्गीय के लिए कैसा है बजट

पोस्ट ऑफिस और दूसरी चीजों को बैंकीकृत करने की बात कही है. इसे लेकर अर्थशास्त्री का कहना है कि सरकार ने कहा था कि बैंक में करप्शन हो रहे हैं या फिर इंटरनेट घोटाले हो रहे हैं. इसे रोकने के लिए सुरक्षित कदम उठाया जाएगा. अधिकारी और कर्मचारियों को स्टैंडर्ड और स्लैब में कोई छूट नहीं देकर गलत किया है. वेतन और भत्ते में कितनी वृद्धि की यह तो कर मुक्त है.

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कॉरपोरेट टैक्स को कम किया गया, आम आदमी को नहीं दी गई राहत

अर्थशास्त्री तपेश गुप्ता का कहना है कि बजट में कॉरपोरेट टैक्स को कम कर दिया गया है जबकि आम लोगों को किसी तरह की कोई रियायत नहीं दी गई है. उन्होंने इसे पूंजीवादी व्यवस्था का अंश बताया और कहा कि वे पिछले 40 सालों से बजट को देखते आ रहे हैं लेकिन पहली बार ऐसा बजट देखने को मिला है. इसमें किसी तरह की कोई उदारता का उल्लेख नहीं है. टैक्स कम होना था. स्लैब को बढ़ाए होते तो ज्यादा टैक्स की वसूली होती है. लॉकडाउन के समय सभी व्यापारियों को माल टैक्स पैड आया था. इसी कारण से जीएसटी बढ़ा.

Last Updated : Feb 1, 2022, 9:48 PM IST
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