रायपुर: छत्तीसगढ़ में अब ब्लैक फंगस (black fungus cases in chhattisgarh) की स्थिति पहले के मुकाबले सुधरती हुई नजर आ रही है. अब प्रदेश में ब्लैक फंगस के मामले कम होते हुए नजर आ रहे हैं. प्रदेश में अबतक 350 से ज्यादा ब्लैक फंगस के मरीज मिल चुके हैं. पहले जहां हर हफ्ते प्रदेश में करीब 40 ब्लैक फंगस के मरीज मिल रहे थे. वहीं अब मरीजों की संख्या में कमी आई है. पिछले हफ्ते प्रदेश में ब्लैक फंगस के करीब 13 मरीज मिले हैं.
ब्लैक फंगस के 82 मरीज ठीक होकर वापस लौटे घर
छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस के मरीजों की बात की जाए तो प्रदेश में अब तक 350 से ज्यादा ब्लैक फंगस के मरीज मिल चुके हैं. वहीं अबतक 51 मरीजों की मौत ब्लैक फंगस और को-मॉर्बिडिटी (ब्लैक फंगस के साथ दूसरी बीमारी) से हो चुकी है. प्रदेश में ब्लैक फंगस के 209 मरीजों का ऑपरेशन किया जा चुका है. वहीं 82 मरीज ठीक होकर वापस अपने घर लौट चुके हैं. अभी रायपुर एम्स में 137, वहीं मेकाहारा में 28 ब्लैक फंगस के मरीज एडमिट हैं.
कैसे शरीर को प्रभावित करता है ब्लैक फंगस ?
- आंख की नसों के पास इंफेक्शन जमा हो जाता है.
- सेंट्रल रेटिनल आर्टरी का ब्लड फ्लो बंद कर देता है.
- आंखों की रोशनी चली जाती है.
- आंख, नाक के रास्ते ये फंगस दिमाग तक पहुंचता है.
- रास्ते में आने वाली हड्डी और त्वचा को नष्ट कर देता है.
- इसके इंफेक्शन से मृत्यु दर काफी ज्यादा है.
ब्लैक फंगस के लक्षण
नाक-कान-मुंह में ब्लैक स्पॉट नजर आना इसके लक्षण हैं. यदि इस तरीके के ब्लैक स्पॉट आपको कान नाक या मुंह के पास नजर आते हैं तो आप समझ लीजिए कि यह ब्लैक फंगस के लक्षण हैं. इस रोग में आंख की नसों के पास फंगस इंफेक्शन जमा हो जाता है. जो सेंट्रल रेटिनल आर्टरी का रक्त प्रवाह बंद कर देता है. इसकी वजह से आंखों की रोशनी भी जा सकती है. कोरोना संक्रमित कुछ मरीजों में ब्लैक फंगस म्यूकर माइकोसिस इंफेक्शन देखा गया है. यह इंफेक्शन डायबिटीज के मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो रहा है.
एम्स डायरेक्टर नितिन नागरकर से जानिए कितना भयावह है 'ब्लैक फंगस'
स्टेरॉयड के इस्तेमाल से फंगस होता है जानलेवा
कोरोना से जूझ रहे गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए चिकित्सक हाई डोज स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके कारण शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा तेजी से बढ़ती है. कोई व्यक्ति डायबिटीज से जूझ रहा है तो ब्लैक फंगस (म्यूकर माइकोसिस) तेजी से बढ़ता है. यह फंगस साइनस, फेफड़ा, आंख और फिर दिमाग तक पहुंच जाता है. कोरोना संक्रमण के मरीजों को स्टेरॉयड और टॉसिलिजूमैब इंजेक्शन दिए जाते हैं. मरीजों का शुगर लेवल 300 से 400 तक पहुंच जाता है. यह स्थिति पहले से डायबिटीज की बीमारी झेल रहे मरीजों के लिए जानलेवा साबित होती है. ऐसी स्थिति में वह इस संक्रमण का शिकार हो सकते हैं.
आयुष्मान योजना के तहत ब्लैक फंगस के नि:शुल्क इलाज
प्रदेश के सभी सरकारी और चुनिंदा निजी अस्पतालों में ब्लैक फंगस का इलाज किया जा रहा है. ब्लैक फंगस के इलाज में काफी ज्यादा पैसा खर्च होता है. वहीं इलाज में उपयोग होने वाले इंजेक्शन भी काफी महंगा होता है. प्रदेश सरकार ने ब्लैक फंगस को डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना (Dr. Khoobchand Baghel Swasthya Sahayata Yojana) में पहले ही शामिल कर लिया है. वहीं 16 जून से केंद्र सरकार ने भी आयुष्मान भारत योजना (ayushman bharat scheme) में नि:शुल्क इलाज की अनुमति दे दी है.