रायपुर : सूरजपुर जिले के प्रतापपुर थाने के चांदोरा में हुई घटना में IG ने 10 लोगों को निलंबित किया है. घटना की सत्यता की जांच के लिए 2 सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी. जिन्होंने उस घटना पर निरीक्षण किया, जिससे ये मामला प्रकाश में आया है.
बता दें कि कृष्णा सारथी का चांदोरा थाने में कस्टडी में मृत्यु हुई थी, जहां उसे आत्महत्या करार दिया गया. जिस पर न्यायिक जांच की गई. इसमें पुलिस की भूमिका संदिग्ध है. विशेष जाती के होने के नाते उनके क्रियाकर्म में न कोई गया और न ही कोई मदद की गई है. पुलिस थाने में मृतक के खिलाफ कोई सूचना नहीं थी.
घटना 26 की है और आज तक उनके पीएम की रिपोर्ट नहीं आई है. केवल निलंबन किया गया है. किसी भी तरह का कोई अपराध उन अधिकारियों पर दर्ज नहीं किया गया है. साथ ही एविडेंस को भी छुपाने का आरोप परिजन लगा रहे हैं. इसी थाने में इस घटना के 25 दिन पहले थाना प्रभारी को रिश्वत लेने के अपराध में निलंबित किया गया था, जो साक्ष्य है उस आधार पर कहा जा सकता है कि उसकी हत्या हुई है.
वहीं नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा है कि पुलिस के खिलाफ अपराध दर्ज किया जाये, अनेक तथ्य सामने आये हैं जिसमे धाराएं लगानी चाहिए. साथ ही उन्हें मुआवज देने की मांग की जा रही है.
बीजेपी ने की जांच की मांग
इस मामले में भारतीय जनता पार्टी ने जांच की मांग की है. मस्तूरी विधायक डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी और विधायक सौरभ सिंह द्वारा पेश की गई जांच रिपोर्ट के आधार पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने प्रेस कॉन्फेंस ली.
भाजपा की ओर से गई जांच दल ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए मामले में कृष्णा सारथी की आत्महत्या करार दिया है. रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए डॉ. बांधी ने कहा कि 26 जून को लॉकअप ने मौत हुई थी. अब तक पुलिस के पास पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आई है. मामले में कई ऐसी बातें हैं जो ध्यान देने योग्य हैं जैसे कि मृतक की जीभ नहीं निकली हुई है. न ही आंखे. चेहरा भी बिल्कुल सामान्य है. सबसे बड़ी बात की जिसे लॉकअप में रखा गया था, उसके खिलाफ थाने में कोई मामला दर्ज ही नहीं है.
पुलिस कह रही है कि वह लॉकअप में आराम करने गया था और वहीं उसने आत्महत्या कर ली. लॉकअप से बिल्कुल सामने मुंशी का टेबल है. कोई दोपहर 12 बजे फांसी लगा ले और थाने में किसी को पता भी न चले यह कैसे संभव है.
संबंधित थाने के खिलाफ भी मामला दर्ज नहीं
पुलिस कह रही है कि कंबल को फाड़कर उसने फांसी लगाई है, क्या यह मुमकिन है. इस मामले में अब तक संबंधित थाने के खिलाफ भी मामला दर्ज नहीं किया गया है. वहीं जांच दल के दूसरे सदस्य विधायक सौरभ सिंह ने कहा कि बिना किसी सूचना के मृतक को इसके घर से लाकर थाने में बैठाया गया. मृतक के खिलाफ कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. मृतक के परिजन भी इसे हत्या ही बता रहे हैं. मृतक के शरीर पर कई निशान थे जो और संदेह पैदा
पुलिस की भूमिका पर संदेह
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि पुलिस की भूमिका पर संदेह है. इस पर जांच होनी चाहिए. पार्टी इस मामले को सड़क से लेकर सदन तक जाएगी. भाजपा मृतक परिवार को मुआवजा देने के साथ ही दोषियों को पुलिसकर्मियों के खिलाफ करवाई की मांग करती है.