रायपुर : जशपुर के बगीचा ब्लॉक में पहाड़ी कोरवा जनजाति परिवार की आत्महत्या मामले में अब राजनीति गरमा रही है. आत्महत्या मामले को लेकर बीजेपी विधायक दल और सांसदों ने राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन से मुलाकात की. इस दौरान बीजेपी के दल ने राष्ट्रपति के गोद ली हुई संरक्षित पहाड़ी कोरवा जनजाति की स्थिति और जांच समिति की रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी. बीजेपी ने पहाड़ी कोरवा परिवार के सामूहिक आत्महत्या मामले में न्यायिक जांच की मांग की है.
''राज्य सरकार राशन पहुंचाने में विफल'': बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि '' चार पहाड़ी कोरवा जनजाति की मौत पर बीजेपी ने जांच समिति गठित की थी. जांच में जो तथ्य आए हैं उससे राज्यपाल को अवगत कराया गया है. इस मामले पर न्यायिक जांच कराने की मांग हम सभी ने की है. जांच में यह बात स्पष्ट हुई कि राज्य सरकार राशन नहीं पहुंचा रही है. भूख से एक परिवार ने आत्महत्या की है. सुदूर क्षेत्रों में राज्य सरकार कोई काम नहीं करा पा रही है. रोजगार का अभाव भी एक कारण है. सुदूर अंचलों में स्वास्थ्य व्यवस्था का अभाव है. पहाड़ी कोरवा संरक्षित जनजातियां हैं, लेकिन राज्य सरकार प्रशासनिक उपेक्षा कर रही. इसके कारण एक परिवार ने आत्महत्या की है.''
नारायण चंदेल ने की इस्तीफे की मांग : नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि "हमारा जांच दल वहां गया था. वहां रोजगार मूलक काम नहीं चल रहे हैं. रोजगार मूलक काम नहीं होने के कारण वहां के लोगों के सामने खाने पीने की गंभीर समस्या है. इन परिवारों को समय पर खाद्यान्न नहीं मिल पाया, जिसके कारण उनकी भूख से मौत हुई है. सुदूर क्षेत्रों में विकास के काम नहीं चल रहे हैं. जो राशि भारत सरकार से प्राप्त होती है वह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है. यह हादसा दर्दनाक और प्रदेश के लिए बहुत ही शर्मनाक है. किसी भी राज्य सरकार में इस तरह की मौत होती है तो राज्य सरकार के मुख्यमंत्री को तत्काल नैतिकता के नाते पद छोड़ देना चाहिए.''
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रमन सिंह ने राज्य सरकार को घेरा : भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि "मुख्यमंत्री की असंवेदनशीलता इतनी हैं कि 2 अप्रैल से लेकर आज की तारीख में सीएम ने वहां जाकर उनके परिवार के लोगों से मिलने का काम नहीं किया. केंद्र सरकार की सारी योजनाएं इन्हीं के लिए आती हैं. उनका इस तरह का हाल बेहाल है कि उन्हें आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ रहा. इस घटना की जब तक सूक्ष्म जांच नहीं होगी तब तक सरकार की पूर्ण असफलता सामने नहीं आएगी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सरकार में एक मिनट भी पद में रहने का अधिकार नहीं है."