रायपुर: हाल के कुछ महीनों में छत्तीसगढ़ के नक्सल इलाकों में ग्रामीणों के प्रति अपराध बढ़े हैं. नक्सलियों ने कई ग्रामीणों को मौत के घाट उतार दिया है. जहां एक ओर बीजेपी इन घटनाओं को लेकर कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार को घेरने का प्रयास कर रही है, तो वहीं कांग्रेस ने भी पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के दौरान जवानों समेत ग्रामीणों की हत्या के आंकड़े पेश कर जवाब देने की कोशिश की है. दोनों दल एक दूसरे के शासनकाल के आंकड़े पेश कर नक्सल समस्या के लिए एक दूसरे की सरकारों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. नक्सल समस्या को लेकर प्रदेश में सियासत शुरू हो गई है.
यहां से शुरू हुआ आरोप प्रत्यारोप का दौर
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह ने गांधी जयंती के दिन हिंसक रास्ते पर चलने वाले नक्सलियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने के संबंध में राज्य सरकार को निर्देशित करने के लिए राज्यपाल अनुसुइया उइके को पत्र लिखा था. राज्यपाल को लिखे पत्र में रमन सिंह ने कहा है कि बीते कुछ महीनों में नक्सली बस्तर संभाग में दहशत और आतंक का माहौल बनाने में सफल हुए हैं. पिछले 6 महीनों के आंकड़ों पर नजर डालें तो बस्तर संभाग में लगभग 76 लोगों की हत्या नक्सली कर चुके हैं. इसमे पुलिस जवानों के साथ ग्रामीण भी शामिल है. रमन सिंह ने पत्र में सितंबर में बीजापुर जिले में हुई हत्या पर विस्तार से जानकारी देते हुए लिखा कि यहां 17 लोगों को नक्सली मौत के घाट उतार चुके हैं. उन्होंने लिखा कि यह आंकड़े तो घोषित हैं. लेकिन सच्चाई यह है कि नक्सलियों के खौफ से ग्रामीण अपने परिजनों की हत्या की शिकायत पुलिस थानों में नहीं कर पा रहे हैं. रमन सिंह ने पत्र के माध्यम से राज्यपाल से अनुरोध किया कि हमारे आदिवासी भाइयों के अमूल्य जीवन की रक्षा के लिए सरकार को उचित और कड़े कदम उठाने के लिए निर्देशित करें.
पढ़ें: कोरोना वायरस: ड्रिंक एंड ड्राइव, कितनी चुनौती क्या समाधान ?
पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के राज्यपाल को पत्र लिखे जाने को लेकर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. इस पत्र के बाद कांग्रेस ने बीजेपी को आड़े हाथों लिया है. पूर्व की बीजेपी सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. कांग्रेस के मंत्री से लेकर पदाधिकारी तक सभी ने नक्सलवाद मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह पर निशाना साधा है.
पढ़ें: जांजगीर-चांपा: बसंतपुर की महिलाएं समूह तैयार कर बन रही आत्मनिर्भर
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता विकास तिवारी ने साधा निशाना
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता विकास तिवारी ने कहा कि रमन सिंह को नक्सलवाद मामले को लेकर राज्यपाल को पत्र लिखने का अधिकार ही नहीं है. उन्हें पत्र लिखने की जगह प्रदेश की जनता से माफी मांगनी चाहिए. विकास ने आरोप लगाया कि रमन सरकार के दौरान कुछ जगहों में सिमटने वाला नक्सलवाद समूचे छत्तीसगढ़ में फैल गया. विकास ने कहा कि पूर्ववर्ती रमन सरकार के कारण देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी छत्तीसगढ़ राज्य को नक्सलगढ़ कहा जाता था. विकास उपाध्याय ने रमन सरकार के दौरान प्रदेश में हुए बड़े नक्सली हमलों का कच्चा चिट्ठा भी जारी किया है.
- 24 अप्रैल 2017, छत्तीसगढ़ के सुकमा में लंच करने को बैठे जवानों पर घात लगाकर हमला हुआ. जिसमें 25 से ज्यादा जवान शहीद हो गए.
- 1 मार्च 2017, सुकमा जिले में अवरोध सड़कों को खाली कराने के काम में जुटे सीआरपीएफ के जवानों पर घात लगाकर हमला. हमले में 11 जवान शहीद और 3 से ज्यादा घायल हुए.
- 11 मार्च 2014, झीरम घाटी के पास एक इलाके में नक्सलियों ने एक और हमला किया. जिसमें 15 जवान शहीद हुए और एक ग्रामीण की भी इसमें मौत हुई.
- 12 अप्रैल 2014, बीजापुर और दरभा घाटी में आईईडी ब्लास्ट में 5 जवानों समेत 14 लोगों की मौत, मरने वालों में 7 मतदान कर्मी भी थे. एंबुलेंस चालक और कंपाउंडर की भी मौत हो गई थी.
- दिसंबर 2014, सुकमा जिले के चिंता गुफा इलाके में एंटी नक्सल ऑपरेशन के दौरान सीआरपीएफ के जवानों पर नक्सलियों ने हमला किया, नक्सलियों के इस हमले में 14 जवान शहीद और 12 घायल हुए.
- 25 मई 2013, झीरम घाटी हमला में नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला कर दिया. जिसमें कांग्रेस के 30 नेता और कार्यकर्ताओं की मौत हो गई. जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, बस्तर टाइटर महेंद्र कर्मा, पूर्व विधायक उदय मुदलियार, युवा नेता दिनेश पटेल, योगेंद्र शर्मा सहित कई अन्य कांग्रेसी नेता शामिल थे.
- 6 अप्रैल 2010, दंतेवाड़ा जिले के तालमेटाला में सुरक्षाकर्मियों पर हुआ हमला. देश का सबसे बड़ा नक्सली हमला है. इसमें सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे.
- 12 जुलाई 2009, छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में घात लगाकर किए गए नक्सली हमले में पुलिस अधीक्षक वीके चौबे समेत 29 जवान शहीद हुए थे.
बीजेपी ने कांग्रेस पर लगाए आरोप
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा कि जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है. तब से नक्सलियों के हौसले बुलंद हुए हैं. पिछले 6 महीने के दौरान 80 से अधिक लोग इसके शिकार हुए हैं. हालत यह है कि केवल बीजापुर जिले में इसी महीने एक ASI, वन विभाग के रेंजर समेत 17 लोगों की नक्सलियों ने हत्या कर दी है. श्रीवास्तव ने कांग्रेस सरकार को नक्सलियों के प्रति नरम रुख रखने वाली सरकार बताया है. उन्होंने कहा कि हमने बस्तर में अपने विधायक भीमा मंडावी को खोया है. लेकिन उस पर भी कांग्रेस केवल राजनीति कर रही है.
पढ़ें: बीजापुरः पुलिस मुखबिरी के शक में नक्सलियों ने की दो ग्रामीणों की हत्या
कांग्रेस ने पूर्व CM के पत्र की निंदा की
वहीं रमन सिंह के राज्यपाल को पत्र लिखे गए पत्र की निंदा करते हुए कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि रमन सिंह ने राज्यपाल को नक्सली मामले में गलत जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि रमन सिंह राज्यपाल को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. त्रिवेदी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार आने के बाद बस्तर में हालात सुधरे हैं. क्षेत्र में विकास हो रहा है. यह विकास रमन सिंह से बर्दाश्त नहीं हो रहा है. त्रिवेदी ने कहा कि रमन सिंह के 15 साल के शासनकाल में दक्षिण बस्तर 3 ब्लॉक तक सीमित नक्सलवाद बढ़ते-बढ़ते प्रदेश के 14 जिलों को अपनी गिरफ्त में ले लिया. झीरम, पोद्दागेल्लूर, सारकेगुड़ा, चिंतागुफा और तालमतला जैसी घटनाएं रमन शासन काल में हुई है. शैलेश नितिन त्रिवेदी ने भाजपा और कांग्रेस शासनकाल के नक्सल हत्याओं के आंकडे़े जारी किए हैं
बीजेपी शासन काल में मौत के आंकडे़
साल | सुरक्षाबल | आम नागरिक |
2004 | 10 | 44 |
2005 | 45 | 122 |
2006 | 72 | 129 |
2007 | 198 | 152 |
2008 | 76 | 142 |
2009 | 96 | 100 |
2010 | 171 | 132 |
2011 | 76 | 92 |
2012 | 48 | 50 |
2013 | 43 | 56 |
2014 | 61 | 39 |
2015 | 48 | 48 |
2016 | 40 | 57 |
2017 | 59 | 50 |
2018 | 56 | 79 |
कुल मौत | 1099 | 1442 |
रमन सरकार में 15 साल में औसत 73 से अधिक प्रति वर्ष कुल 1099 सुरक्षाबलों के जवान शहीद हुए हैं. साथ ही 1442 नागरिक औसत 96 से अधिक प्रतिवर्ष नक्सल घटनाओं में मारे गए हैं. जबकि कांग्रेस की सरकार में साल 2019 में 21 और साल 2020 में 32 जवानों की मौत हुई है. कुल मिलाकर 53 जिसका औसत 27 से भी कम है. वहीं नागरिकों की बात की जाए तो 2019 में 46 और 2020 में 39 कुल 85 नागरिकों की मौत हुई है. जिसका औसत 43 से भी कम प्रति वर्ष है. जिसे देखकर कांग्रेस अपनी पीठ थपथपाने में लगी हुई है.
साल | जवान | नागरिक |
2019 | 21 | 46 |
2020 | 32 | 39 |
कुल मौत | 53 | 84 |
कांग्रेस नेता भी हुए हमलावर
नगरीय प्रशासन मंत्री शिव कुमार डहरिया ने कहा कि रमन सरकार के समय ही प्रदेश में नक्सलवाद फैला है. इसके लिए सीधे तौर पर रमन सरकार ही जिम्मेदार है. हमारी सरकार आने के बाद से नक्सलवाद कम हुआ है. कांग्रेस का पूरा नेतृत्व नक्सली हमले में मारा गया था. सबसे ज्यादा पीड़ित हम हैं. आज हमारी सरकार आने के बाद नक्सली घटनाएं कम हुई हैं.
गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि पिछले डेढ़ सालों में सबसे ज्यादा नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. वहीं इस बीच सबसे ज्यादा नक्सली मारे गए हैं. इतना ही नहीं इन डेढ़ सालों में ही सबसे ज्यादा नक्सलियों को गिरफ्तार करने की बात भी ताम्रध्वज साहू ने कही है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से उनकी सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास किया है, उसके बाद वहां से युवा सरकार के साथ खड़े हैं. यही वजह है कि प्रदेश में नक्सल भर्ती रूक गई है. बौखलाहट के कारण नक्सलियों के द्वारा ग्रामीणों की हत्या किए जाने की बात को भी गृहमंत्री ने माना है.
पढ़ें: ग्रामीणों की हत्या को लेकर नक्सलियों में आपसी रंजिश, अपने कमांडर विज्जा मोडियम को उतारा मौत के घाट
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने उठाए सवाल
छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कांग्रेस के कार्यकाल में लगातार नक्सल घटनाएं बढ़ने का आरोप लगाया है. उन्होंने हाल के दिनों की बड़ी नक्सल घटनाओं का जिक्र किया है. उन्होंने कहा कि भूपेश सरकार अब तक नक्सलियों के प्रति स्थिति स्पष्ट नहीं कर सकी है. नक्सली बेखौफ घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. ऐसे में सरकार को इस ओर बडे़ कदम उठाने होंगे.
पढ़ें: बढ़ते लाल आतंक पर विपक्ष आग बबूला, बघेल सरकार से किए तीखे सवाल
बहरहाल प्रदेश में सरकार बीजेपी की हो या फिर कांग्रेस की नक्सली अपने मंसूबों में लगातार कामयाब हो रहे हैं. आए दिन नक्सली हिंसक वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. जिसका खामियाजा या तो नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी ग्रामीणों को उठाना पड़ता है, या फिर वहां सुरक्षा में तैनात जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ती है. दोनों सरकारों ने नक्सलियों से निपटने के लिए उठाए हैं. लेकिन अबतक इस ओर प्रयास असफल साबित हुए हैं. यही कारण है कि नक्सली लगातार प्रदेश में अपने नापाक मंसूबों में कामयाब होते जा रहे हैं. अब देखना होगा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सलियों के आतंक को रोकने में वर्तमान की कांग्रेस सरकार क्या कदम उठाती है. और सरकार के कदम कितनी कारगर साबित होती है. फिलहाल बस्तर संभाग के सभी विधानसभा सीटों पर भी कांग्रेस का कब्जा है. ऐसे में बस्तर के विकास के आदिवासियों के विकास पर भी सबकी नजर रहेगी.