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Priyadarshini Bank Scam: प्रियदर्शनी बैंक घोटाले में कब पूरी होगी जांच, कब दोषियों को मिलेगी सजा ?

प्रियदर्शनी बैंक घोटाले की दोबारा जांच के लिए बिलासपुर हाईकोर्ट ने मंजूरी दे दी है. इस मामले में एक बार फिर भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे को घेर रहे हैं. आखिर इस मसले पर क्यों राजनीति हो रही है. यह घोटाला कितने का है. इसे जानने के लिए पढ़िए ये रिपोर्ट Priyadarshini Bank Scam

priyadarshini bank scam
प्रियदर्शनी बैंक घोटाला
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Published : Jun 23, 2023, 11:28 PM IST

प्रियदर्शनी बैंक घोटाले में जांच पर सियासत

रायपुर: साल 2006 में हुए इंदिरा प्रियदर्शनी महिला नागरिक सहकारी बैंक लोन घोटाला का मामला एक बार फिर चर्चा में है. इस घोटाले में लाखों लोगों के 56 करोड़ रुपए डूब गए थे. मामले में अब तक कोई फैसला नहीं आया. इस केस की फाइल बीच में बंद कर दी गई. अब एक बार फिर से कांग्रेस ने इस मामले को उठाया है. कांग्रेस ने इसकी दोबारा जांच के लिए बिलासपुर हाईकोर्ट से मंजूरी भी ले ली है.

"साल 2006 में यह मामला सामने आया, जिस वक्त भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी. मुख्य आरोपी मैनेजर उमेश सिन्हा के नारको टेस्ट कराने का आदेश आया. इसके बाद पुलिस ने उमेश सिन्हा का नारको टेस्ट कराया था. लेकिन नारको टेस्ट में खुद राजेश मूणत के एक करोड़ रुपए देने की बात आई. बृजमोहन अग्रवाल को 2 करोड़ रुपए देने की बात सामने आई. रमन सिंह को 1 करोड़ रुपए देने की बात आई. रामविचार नेताम को एक करोड़ रुपए, अमर अग्रवाल को एक करोड़ रुपए देने की बात सामने आई. भाजपा गरीबों के पैसे उन्हें वापस करें, ना कि इधर-उधर के आरोप-प्रत्यारोप लगाए." सुशील आनंद शुक्ला, कांग्रेस के जनसंचार विभाग के अध्यक्ष

"इतने सालों से सत्ता में कांग्रेस की सरकार है. जब चुनावी वर्ष में केवल 6 महीने बचे हैं तो, उन्हें अब यह मुद्दा याद आ रहा है. वास्तव में अब यह हो रहा है कि जनता इनसे पूछने लगी है कि कोल घोटाले के मामले में जो लोग अंदर हुए हैं, वह कौन लोग हैं? जिसके समर्थन में आप खड़े हुए हैं. शराब घोटाले के मामले में जनता भी पूछ रही है कि महापौर के प्रिय भाई कौन है? जिनके समर्थन में आप खड़े हैं. विधानसभा में खाद्य मंत्री ने स्वीकार किया कि पीडीएस का 700 करोड़ रुपए का चावल घोटाला हुआ है. जनता अब अपने पैसे का हिसाब मांगने लगी है. जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी, तब ऐसे और भी कई मामलों में कई एसआईटी का गठन किया गया था. लेकिन किसी का कोई रिजल्ट नहीं आया." :अनुराग अग्रवाल, बीजेपी प्रवक्ता

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"काफी लंबे आंदोलन के बाद इंदिरा प्रियदर्शनी महिला सहकारिता द्वारा संचालित बैंक के मामले में उमेश सिन्हा का न्यायालय के आदेश पर नार्को टेस्ट बेंगलुरु में 6,7, 8 जून 2007 को हुआ. इस नार्को टेस्ट की रिपोर्ट पुलिस ने न्यायालय में जमा नहीं की. किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं हुई. लोग जमानत पर रिहा होते गए, तो कुछ फरार हो गए. नार्को टेस्ट की सीडी सार्वजनिक हुई. उस सीडी में तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह, बृजमोहन अग्रवाल, मंत्री राजेश मूणत, रामविचार नेताम जैसे बड़े नेताओं का नाम सामने आए. इसके बाद लोगों ने इस बात को महसूस किया कि इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक में घोटालेबाज को संरक्षण देने का काम सत्ता के लोगों ने किया है. पूरा मामला दबा रहा. खाताधारकों के साथ अन्याय हुआ है." कन्हैया अग्रवाल, पूर्व कांग्रेसी नेता

जानिए क्या है प्रियदर्शनी घोटाला: साल 1995 में कम ब्याज में कर्ज देने के उद्देश्य से महिला समूह ने इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक की शुरुआत रायपुर के सदर बाजार में की थी. इसमें 22,000 लोगों ने अपना खाता खुलवाया. 54 करोड़ रुपये बैंक में जमा हो गए. 11 साल तक सब ठीक से चलता रहा. लेकिन साल 2006 में बैंक में ताला लग गया. बैंक में ताला लगा देखकर खाताधारक परेशान हो गए. उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. शुरुआत में पुलिस ने 19 बैंककर्मी महिलाओं के खिलाफ शिकायत दर्ज की. बाद में बैंक के मैनेजर उमेश सिन्हा को मुख्य आरोपी मानकर गिरफ्तार किया गया.

मुख्य आरोपी का हुआ नार्को टेस्ट: पुलिस को मुख्य आरोपी उमेश सिन्हा पर पूरा शक था कि, इसी ने ही पैसे की हेराफेरी की है. पुलिस ने उमेश सिन्हा का तीन बार नार्को टेस्ट कराने की कोशिश की. आखिरी बार उसका नार्को टेस्ट सही से किया गया.हालांकि अब तक नार्को टेस्ट की सीडी न्यायालय में जमा नहीं की गई है. उमेश सिन्हा के अलावा पुलिस ने दुर्गा देवी, संगीता शर्मा, संजय, रीता तिवारी, नीरज जैन, सरोजिनी शर्मा, किरण शर्मा, सुलोचना, आदिल, सविता शुक्ला को गिरफ्तार किया. कई आरोपी फरार थे. गिरफ्तार आरोपियों को अग्रिम जमानत पर दूसरे दिन ही रिहा कर दिया गया था. मंडल के 19 सदस्यों में से 11 सदस्यों की गिरफ्तारी हुई थी. घोटाले में जनता के करोड़ों रुपए का नेताओं ने बंदरबाट कर लिया. मामले में एक बार फिर जांच के आदेश मिले हैं.

प्रियदर्शनी बैंक घोटाले में जांच पर सियासत

रायपुर: साल 2006 में हुए इंदिरा प्रियदर्शनी महिला नागरिक सहकारी बैंक लोन घोटाला का मामला एक बार फिर चर्चा में है. इस घोटाले में लाखों लोगों के 56 करोड़ रुपए डूब गए थे. मामले में अब तक कोई फैसला नहीं आया. इस केस की फाइल बीच में बंद कर दी गई. अब एक बार फिर से कांग्रेस ने इस मामले को उठाया है. कांग्रेस ने इसकी दोबारा जांच के लिए बिलासपुर हाईकोर्ट से मंजूरी भी ले ली है.

"साल 2006 में यह मामला सामने आया, जिस वक्त भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी. मुख्य आरोपी मैनेजर उमेश सिन्हा के नारको टेस्ट कराने का आदेश आया. इसके बाद पुलिस ने उमेश सिन्हा का नारको टेस्ट कराया था. लेकिन नारको टेस्ट में खुद राजेश मूणत के एक करोड़ रुपए देने की बात आई. बृजमोहन अग्रवाल को 2 करोड़ रुपए देने की बात सामने आई. रमन सिंह को 1 करोड़ रुपए देने की बात आई. रामविचार नेताम को एक करोड़ रुपए, अमर अग्रवाल को एक करोड़ रुपए देने की बात सामने आई. भाजपा गरीबों के पैसे उन्हें वापस करें, ना कि इधर-उधर के आरोप-प्रत्यारोप लगाए." सुशील आनंद शुक्ला, कांग्रेस के जनसंचार विभाग के अध्यक्ष

"इतने सालों से सत्ता में कांग्रेस की सरकार है. जब चुनावी वर्ष में केवल 6 महीने बचे हैं तो, उन्हें अब यह मुद्दा याद आ रहा है. वास्तव में अब यह हो रहा है कि जनता इनसे पूछने लगी है कि कोल घोटाले के मामले में जो लोग अंदर हुए हैं, वह कौन लोग हैं? जिसके समर्थन में आप खड़े हुए हैं. शराब घोटाले के मामले में जनता भी पूछ रही है कि महापौर के प्रिय भाई कौन है? जिनके समर्थन में आप खड़े हैं. विधानसभा में खाद्य मंत्री ने स्वीकार किया कि पीडीएस का 700 करोड़ रुपए का चावल घोटाला हुआ है. जनता अब अपने पैसे का हिसाब मांगने लगी है. जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी, तब ऐसे और भी कई मामलों में कई एसआईटी का गठन किया गया था. लेकिन किसी का कोई रिजल्ट नहीं आया." :अनुराग अग्रवाल, बीजेपी प्रवक्ता

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जानिए क्या है प्रियदर्शनी घोटाला: साल 1995 में कम ब्याज में कर्ज देने के उद्देश्य से महिला समूह ने इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक की शुरुआत रायपुर के सदर बाजार में की थी. इसमें 22,000 लोगों ने अपना खाता खुलवाया. 54 करोड़ रुपये बैंक में जमा हो गए. 11 साल तक सब ठीक से चलता रहा. लेकिन साल 2006 में बैंक में ताला लग गया. बैंक में ताला लगा देखकर खाताधारक परेशान हो गए. उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. शुरुआत में पुलिस ने 19 बैंककर्मी महिलाओं के खिलाफ शिकायत दर्ज की. बाद में बैंक के मैनेजर उमेश सिन्हा को मुख्य आरोपी मानकर गिरफ्तार किया गया.

मुख्य आरोपी का हुआ नार्को टेस्ट: पुलिस को मुख्य आरोपी उमेश सिन्हा पर पूरा शक था कि, इसी ने ही पैसे की हेराफेरी की है. पुलिस ने उमेश सिन्हा का तीन बार नार्को टेस्ट कराने की कोशिश की. आखिरी बार उसका नार्को टेस्ट सही से किया गया.हालांकि अब तक नार्को टेस्ट की सीडी न्यायालय में जमा नहीं की गई है. उमेश सिन्हा के अलावा पुलिस ने दुर्गा देवी, संगीता शर्मा, संजय, रीता तिवारी, नीरज जैन, सरोजिनी शर्मा, किरण शर्मा, सुलोचना, आदिल, सविता शुक्ला को गिरफ्तार किया. कई आरोपी फरार थे. गिरफ्तार आरोपियों को अग्रिम जमानत पर दूसरे दिन ही रिहा कर दिया गया था. मंडल के 19 सदस्यों में से 11 सदस्यों की गिरफ्तारी हुई थी. घोटाले में जनता के करोड़ों रुपए का नेताओं ने बंदरबाट कर लिया. मामले में एक बार फिर जांच के आदेश मिले हैं.

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