रायपुर: छत्तीसगढ़ भाजपा में जल्द कई बड़े बदलाव होने की संभावना जताई जा रही है. यह बदलाव ऊपर से लेकर नीचे तक हो सकता है. इसमें आरएसएस बैकग्राउंड वाले नेताओं को कहीं ज्यादा तवज्जों मिलने की संभावना है. छत्तीसगढ़ भाजपा के कई कद्दावर नेताओं के केंद्र में भेजे जाने की भी चर्चा है. इतना ही नहीं छत्तीसगढ़ की राजनीति से बाहर हो चुके कुछ नेताओं को वापस छत्तीसगढ़ में सक्रिय करने की भी सुगबुगाहट है.
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पार्टी में दिया जा रहा आरएसएस बैकग्राउंड वाले नेताओं को महत्व: हाल ही में भाजपा में काफी उठापटक देखने को मिला है. पार्टी ने छत्तीसगढ़ में कई बड़े पदों पर नई नियुक्तियां की है. इन नियुक्तियों में आरएसएस बैकग्राउंड वाले नेताओं को तवज्जों दी गई है. पहले आरएसएस बैकग्राउंड वाले नेता अरुण साव को प्रदेश अध्यक्ष और नारायण चंदेल को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था. उसके बाद ओम माथुर को भाजपा ने छत्तीसगढ़ प्रदेश प्रभारी बनाया है. ओम माथुर भी आरएसएस बैकग्राउंड से आते हैं.
छत्तीसगढ़ के नेता बाहर और बाहर के नेता छत्तीसगढ़ की राजनीति में हो सकते हैं सक्रिय: सूत्रों की मानें तो छत्तीसगढ़ भाजपा में चुनाव के पहले ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव हो सकते है. इस बीच भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह, पूर्व मंत्री एवं विधायक बृजमोहन अग्रवाल सहित कई वरिष्ठ नेताओं को केंद्र में भेजने की भी तैयारी है. डॉ. रमन सिंह को राज्यपाल बनाकर दूसरे राज्य भेजा जा सकता है. वही अन्य नेता केंद्र सरकार में अर्जेस्ट हो सकते हैं. इतना ही नहीं रमेश बेस की भी छत्तीसगढ़ की रजनीति में वापसी की सुगबुगाहट है, जो कि वर्तमान में झारखंड के राज्यपाल हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ा मास्टर प्लान तैयार कर रही है.
वरिष्ठ नेताओं के बिना पार्टी का कार्यकर्ता है अधूरा: हालांकि भाजपा में हो रहे बदलाव को पदाधिकारी एक सामान्य प्रक्रिया बता रहे हैं. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता केदार गुप्ता का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी वरिष्ठ कार्यकर्ता और छोटे कार्यकर्ता सबको मिलकर एक कैडर बेस पार्टी के रूप में जानी जाती है. बड़े नेताओं का मार्गदर्शन होता है और फोर्स हमारी होती है, और निश्चित रूप से उनके बिना भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता अधूरे है.
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भ्रष्टाचार बेरोजगारी चुनाव में होगा महत्वपूर्ण मुद्दा: आगामी विधानसभा चुनाव के मुद्दे को लेकर केदार गुप्ता ने कहा कि कांग्रेस सरकार के जमकर भ्रष्टाचार के मुद्दों को लेकर जनता के बीच में जाएंगे. उन्होंने अपने चुनावी घोषणा पत्र में शराबबंदी बेरोजगारी युवाओं को ढाई हजार बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया था. लेकिन अब सरकार उन वादों से मुकर रही है जिसे भारतीय जनता पार्टी जन जन तक पहुंचाएगी. केदार गुप्ता ने कांग्रेस को वोट लूटने वाली पार्टी बताया केदार गुप्ता ने कहा कि साडे 3 साल में कांग्रेस सरकार लगभग 61000 रुपये कर्ज ले चुकी है, लेकिन किसी ग्राम पंचायत में एक ईटा भी विकास का नहीं रखा गया है.
भाजपा और आरएसएस को चुनावी मैदान में जनता देगी जवाब: भाजपा मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि "भाजपा हमेशा से आरएसएस के दम पर चुनाव लड़ती रही है और इस बार भी लड़ेगी. उनके पास कोई नया विषय नहीं है. वे जनता के बीच किन मुद्दों को लेकर जाएंगे भाजपा के पास ना तो जनकल्याणकारी मुद्दे हैं ना ही धार्मिक मामला. प्रदेश में 15 सालों तक भाजपा की सरकार थी लेकिन उन्होंने राम गमन पथ को लेकर कुछ नहीं किया. भूपेश सरकार ने इस और काम किया है. माता कौशल्या मंदिर को संबोधित करने का काम भूपेश सरकार द्वारा किया गया है. भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस चुनाव के मैदान में आए इसका जवाब उन्हें जनता देगी.
भाजपा में हो सकता है बड़े पैमाने पर फेरबदल: राजनीति के जानकार भी चुनाव के पहले किसी बड़े फेरबदल या बदलाव से इंकार नहीं कर रहे हैं. राजनीति के जानकार एवं वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा का कहना है कि "चुनाव के पहले राजनीतिक दलों में बड़े पैमाने पर फेरबदल किए जाते हैं. इसी कड़ी में भाजपा में भी फेरबदल किए जा रहे हैं और भाजपा में धीरे-धीरे नए चेहरों को पार्टी की कमान सौंपी जा रही है. आगामी दिनों में कोई बड़ा बदलाव हो इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता."
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केंद्र में भेजे जा सकते है डॉ रमन ! : डॉ. रमन सिंह को चुनाव के पहले राज्यपाल बनाने या फिर केंद्र भेजे जाने संभावना पर शशांक शर्मा का कहना है कि यदि डॉ. रमन सिंह को केंद्र में भेजना होता तो पार्टी 4 साल इंतजार क्यों करती. तीन बार के मुख्यमंत्री जब विपक्ष में बैठे, तो उसी समय उन्हें भेज दिया गया होता. क्योंकि डॉक्टर रमन सिंह तीन बार के मुख्यमंत्री रहे हैं. उनका छत्तीसगढ़ में अच्छा अनुभव रहा है, ऐसे में पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में उनके अनुभव का लाभ ले सकती है. हालांकि उन्होंने इस बात से भी इंकार नहीं किया कि चुनाव के बाद डॉ. रमन सिंह को केंद्र की राजनीति में भेजा जा सकता है.
छत्तीसगढ़ की राजनीति में रमेश बैस की हो सकती है वापसी ! : सूत्रों की मानें तो छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बार फिर रमेश बैस की वापसी की सुगबुगाहट देखने को मिल रही है. इस पर शशांक शर्मा का कहना है कि राजनीति में कुछ भी संभव है, हमेशा हर चीज की संभावना बनी रहती है और जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आता है. वैसे वैसे कयास लगाए जाते हैं. हालांकि जिस तरह से पार्टी ने चुनावी रणनीति तैयार की है, उसके तहत ज्यादातर युवाओं को मौका दिए जाने की संभावना है, ऐसे में जो लगभग 70 साल से ऊपर पहुंच गए हैं या पहुंचने वाले हैं, उनके भविष्य को लेकर चर्चा चल रहा है, ऐसे में रमेश बैस की छत्तीसगढ़ की राजनीति में वापसी हो या फिर डॉक्टर रमन का केंद्र भेजना यह एक कयास है.