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Chirag Project का बस्तर में भूपेश बघेल ने किया शुभारंभ, किसानों को मिलेगी मदद

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने चिराग परियोजना का शुभारंभ (Chirag project launched) किया है. इस परियोजना से स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सकेगा. चिराग परियोजना योजना का मुख्य उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के अनुसार उन्नत कृषि, उत्तम स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से पोषण आहार में सुधार, कृषि एवं अन्य उत्पादों का मूल्य संवर्धन कर कृषकों को अधिक से अधिक लाभ दिलाना है

Launch of Chirag ProjectLaunch of Chirag Project
Chirag Project का शुभारंभ
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Published : Nov 24, 2021, 1:17 PM IST

Updated : Nov 25, 2021, 12:32 PM IST

बस्तर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने चिराग परियोजना का शुभारंभ (Chirag project launched) किया है. इस परियोजना का बजट 1 हजार 735 करोड़ है. पहले छत्तीसगढ़ के दक्षिण जिलों में और एक मध्य जिले में इस चिराग परियोजना (Chirag project) का स्थानीय लोगों को लाभ मिलेगा. इस परियोजना के तहत कोदो कुटकी वनोपज के लिए प्रसंस्करण केंद्र खोले जाएंगे. जिससे यहां के साथ सैकड़ों ग्रामीणों को रोजगार का अवसर मिल सकेगा.

भूपेश बघेल ने किया शुभारंभ

चिराग (CHIRAAG) यानी Chhattisgarh Inclusive Rural and Accelerated Agriculture Growth (CHIRAAG) योजना है. आइये जानते हैं इस योजना का क्या महत्व है. चिराग परियोजना के जरिए जलवायु परिवर्तन के अनुसार उन्नत कृषि, पोषण आहार में सुधार, कृषि और अन्य उत्पादों का मूल्य संवर्धन कर किसानों को अधिक से अधिक लाभ दिलाया जाएगा.

योजना का उद्देश्य

चिराग परियोजना योजना का मुख्य उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के अनुसार उन्नत कृषि, उत्तम स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से पोषण आहार में सुधार, कृषि एवं अन्य उत्पादों का मूल्य संवर्धन कर कृषकों को अधिक से अधिक लाभ दिलाना है.

  • किसानों की आमदनी के अवसरों को बढ़ाना
  • गांवों में पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करना
  • क्षेत्र की जलवायु पर आधारित पोषण-उत्पादन प्रणाली विकसित करना
  • प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के कार्यप्रणाली का विकास करना
  • कृषि क्षेत्र में विकास के नए और विकसित तौर-तरीकों को बढ़ावा देना.

किसे मिलेगा योजना का लाभ

आदिवासी इलाकों के स्थानीय युवाओं को मछली पालन, पशु-पालन, उद्यानिकी, विशेष प्रजातियों की फसलों के उत्पादन, क्षेत्रीय जलवायु आधारित पौष्टिक खाद्य पदार्थों के उत्पादन के कामों से जोड़ा जाएगा. युवाओं को सेल्स और मार्केटिंग की ट्रेनिंग दी जाएगी. अत्याधुनिक कृषि तकनीकों की शिक्षा भी मिलेगी. स्टार्टअप के लिए भी प्रशिक्षित और प्रोत्साहित किया जाएगा. इस परियोजना के लागू होने से आदिवासी समाज के युवा आत्मनिर्भर और स्वालंबी बनेंगे.

इस परियोजना के लिए वर्ल्ड बैंक और संयुक्त राष्ट्र संघ की कृषि विकास हेतु स्थापित संस्था आईएफएडी ने वित्तीय सहायता दी है. विश्व बैंक ने 730 करोड़ रुपए, आईएफडी द्वारा 486.69 करोड़ रुपए की सहायता इस परियोजना के लिए दी गई है.

इन जिलों में योजना के तहत होंगे काम

चिराग परियोजना को बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, कांकेर, कोंडागांव, नारायणपुर, सुकमा, मुंगेली, बलौदाबाजार, बलरामपुर, जशपुर, कोरिया, सूरजपुर और सरगुजा जिलों के आदिवासी विकासखंडों में लागू किया जाना है.

बस्तर से शुरू किया गया हर कार्य होता है सफल-सीएम

बस्तर में सीएम भूपेश बघेल ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि, बस्तर से कोई भी कार्य शुरू करने पर वह सफल होता ही है. दंतेवाड़ा से कुपोषण के खिलाफ अभियान चलाया गया जिसकी वजह से आज कुपोषण में 32 फीसदी की कमी आई है. उसके बाद बस्तर में मलेरिया उन्मूलन अभियान चलाया तो बस्तर में 45 फीसी और सरगुजा में 60 फीसदी की कमी मलेरिया के मामलों में आई है.

हमने आदिवासियों की जमीन लौटाई-सीएम बघेल

सीएम ने इस मौके पर कहा कि, देश ही नहीं दुनिया मे पहली बार केवल बस्तर में हुआ कि आदिवासियों की अधिग्रहण की गई जमीन उन्हें वापस लौटाई गई है. बस्तर में किसी चीज की कमी नहीं. यहां 52 प्रकार के वनोपज हैं. जरूरत है तो उनकी सही कीमत की, धान की कीमत 25 सौ देने पर केंद्र अड़ंगा लगाता है. पर यह किसानों की सरकार है. हमने किसानों से किया गया वादा निभाया उन्हें 2500 रुपये प्रति क्विंटल धान का मूल्य दिया है.

केंद्र पर सहयोग नहीं करने का लगाया आरोप

दुख होता है केंद्र सरकार सहयोग नहीं करती. पहले लगता था केवल छत्तीसगढ़ को डीएपी नहीं दिया जा रहा. पर अब पता चला कि जहां भाजपा की सरकार है वहां भी किसानों को डीएपी के लिए भटकना पड़ रहा है. पर यह छत्तीसगढ़ महतारी की कृपा है कि हमने वर्मी कम्पोस्ट बना लिया है. केंद्र सरकार यदि डीएपी नहीं देगी तो भी हम तैयार हैं.

पहले छत्तीसगढ़ को पिछड़ा राज्य कहा जाता था. पर हमारी परंपरा बहुत विशाल है. चाहे बस्तर का दशहरा हो या घोटुल हो. तब हमने विश्व आदिवासी दिवस मनाया. जो पूरे विश्व मे फैला तब सभी को पता चला कि छत्तीसगढ़ और बस्तर उन्नत क्षेत्र है. कोरोना काल मे जब कहीं काम नहीं चल रहा था तब बस्तर की स्वसहायता समूह की महिलाएं काम कर रही थीं. पहले इमली ऐसे ही बेच देते थे. अब इमली की कैंडी और शर्बत बनाई जा रही है. जिस तीखुर को कोई नहीं जानता था अब टिकुर का शेक वियतनाम में बिक रहा है.

परियोजना का मकसद किसानों की आमदनी बढ़ाना

इस दौरान सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि इस परियोजना का मकसद किसानों की आमदनी के अवसरों को बढ़ाना है. साथ ही इस परियोजना के तहत को कोदो कुटकी वनोपज के लिए बस्तर में प्रसंस्करण केंद्र खोले जाएंगे. जिससे यहां के सैकड़ों ग्रामीणों को रोजगार का अवसर भी मिल सकेगा. इसके अलावा नगरीय निकाय चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनाव की तारीखों का एलान हो चुका है और जिस तरह से पिछली बार 10 के 10 निकायों में कांग्रेस ने चुनाव जीता था. इस बार भी सभी निकायों में चुनाव जीतेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने अपनी तैयारी पूरी कर ली है.वहीं, नारायणपुर में पिछले कई दिनों से सैकड़ों ग्रामीणों द्वारा किए जा रहे. आंदोलन को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीणों की जो मांग है, धान का समर्थन मूल्य प्रति क्विंटल 3200 रु किया जाए. ग्रामीणों के इस मांग को भारत सरकार को भेजा जाएगा और वहां से जो भी जवाब मिलेगा उसके बाद इस पर फैसला लिया जा सकेगा.

कृषि विभाग और अन्य विभागों के द्वारा लगाए गए स्टॉल का अवलोकन

मुख्यमंत्री ने अपने बस्तर प्रवास के दौरान चिराग परियोजना का शुभारंभ के अलावा कृषि मडई में शामिल होकर कृषि विभाग और अन्य विभागों के द्वारा लगाए गए स्टॉल का अवलोकन किया. साथ ही किसान हितग्राहियों को कृषि के नये उपकरण का वितरण किया. इसके अलावा मुख्यमंत्री ने आज अपने प्रवास के दौरान तीन बड़ी घोषणाए की. जिसमें महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज का नाम वीर शहीद धरमु महारा के नाम से जाना जाएगा. इसके अलावा बस्तर शासकीय हाई स्कूल का नाम बस्तर के वीर शहीद जगतु महारा के नाम से जाना जाएगा. साथ ही जगदलपुर शहर में जगतु महारा के नाम पर भव्य सामुदायिक भवन का निर्माण कराया जाएगा.

बस्तर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने चिराग परियोजना का शुभारंभ (Chirag project launched) किया है. इस परियोजना का बजट 1 हजार 735 करोड़ है. पहले छत्तीसगढ़ के दक्षिण जिलों में और एक मध्य जिले में इस चिराग परियोजना (Chirag project) का स्थानीय लोगों को लाभ मिलेगा. इस परियोजना के तहत कोदो कुटकी वनोपज के लिए प्रसंस्करण केंद्र खोले जाएंगे. जिससे यहां के साथ सैकड़ों ग्रामीणों को रोजगार का अवसर मिल सकेगा.

भूपेश बघेल ने किया शुभारंभ

चिराग (CHIRAAG) यानी Chhattisgarh Inclusive Rural and Accelerated Agriculture Growth (CHIRAAG) योजना है. आइये जानते हैं इस योजना का क्या महत्व है. चिराग परियोजना के जरिए जलवायु परिवर्तन के अनुसार उन्नत कृषि, पोषण आहार में सुधार, कृषि और अन्य उत्पादों का मूल्य संवर्धन कर किसानों को अधिक से अधिक लाभ दिलाया जाएगा.

योजना का उद्देश्य

चिराग परियोजना योजना का मुख्य उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के अनुसार उन्नत कृषि, उत्तम स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से पोषण आहार में सुधार, कृषि एवं अन्य उत्पादों का मूल्य संवर्धन कर कृषकों को अधिक से अधिक लाभ दिलाना है.

  • किसानों की आमदनी के अवसरों को बढ़ाना
  • गांवों में पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करना
  • क्षेत्र की जलवायु पर आधारित पोषण-उत्पादन प्रणाली विकसित करना
  • प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के कार्यप्रणाली का विकास करना
  • कृषि क्षेत्र में विकास के नए और विकसित तौर-तरीकों को बढ़ावा देना.

किसे मिलेगा योजना का लाभ

आदिवासी इलाकों के स्थानीय युवाओं को मछली पालन, पशु-पालन, उद्यानिकी, विशेष प्रजातियों की फसलों के उत्पादन, क्षेत्रीय जलवायु आधारित पौष्टिक खाद्य पदार्थों के उत्पादन के कामों से जोड़ा जाएगा. युवाओं को सेल्स और मार्केटिंग की ट्रेनिंग दी जाएगी. अत्याधुनिक कृषि तकनीकों की शिक्षा भी मिलेगी. स्टार्टअप के लिए भी प्रशिक्षित और प्रोत्साहित किया जाएगा. इस परियोजना के लागू होने से आदिवासी समाज के युवा आत्मनिर्भर और स्वालंबी बनेंगे.

इस परियोजना के लिए वर्ल्ड बैंक और संयुक्त राष्ट्र संघ की कृषि विकास हेतु स्थापित संस्था आईएफएडी ने वित्तीय सहायता दी है. विश्व बैंक ने 730 करोड़ रुपए, आईएफडी द्वारा 486.69 करोड़ रुपए की सहायता इस परियोजना के लिए दी गई है.

इन जिलों में योजना के तहत होंगे काम

चिराग परियोजना को बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, कांकेर, कोंडागांव, नारायणपुर, सुकमा, मुंगेली, बलौदाबाजार, बलरामपुर, जशपुर, कोरिया, सूरजपुर और सरगुजा जिलों के आदिवासी विकासखंडों में लागू किया जाना है.

बस्तर से शुरू किया गया हर कार्य होता है सफल-सीएम

बस्तर में सीएम भूपेश बघेल ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि, बस्तर से कोई भी कार्य शुरू करने पर वह सफल होता ही है. दंतेवाड़ा से कुपोषण के खिलाफ अभियान चलाया गया जिसकी वजह से आज कुपोषण में 32 फीसदी की कमी आई है. उसके बाद बस्तर में मलेरिया उन्मूलन अभियान चलाया तो बस्तर में 45 फीसी और सरगुजा में 60 फीसदी की कमी मलेरिया के मामलों में आई है.

हमने आदिवासियों की जमीन लौटाई-सीएम बघेल

सीएम ने इस मौके पर कहा कि, देश ही नहीं दुनिया मे पहली बार केवल बस्तर में हुआ कि आदिवासियों की अधिग्रहण की गई जमीन उन्हें वापस लौटाई गई है. बस्तर में किसी चीज की कमी नहीं. यहां 52 प्रकार के वनोपज हैं. जरूरत है तो उनकी सही कीमत की, धान की कीमत 25 सौ देने पर केंद्र अड़ंगा लगाता है. पर यह किसानों की सरकार है. हमने किसानों से किया गया वादा निभाया उन्हें 2500 रुपये प्रति क्विंटल धान का मूल्य दिया है.

केंद्र पर सहयोग नहीं करने का लगाया आरोप

दुख होता है केंद्र सरकार सहयोग नहीं करती. पहले लगता था केवल छत्तीसगढ़ को डीएपी नहीं दिया जा रहा. पर अब पता चला कि जहां भाजपा की सरकार है वहां भी किसानों को डीएपी के लिए भटकना पड़ रहा है. पर यह छत्तीसगढ़ महतारी की कृपा है कि हमने वर्मी कम्पोस्ट बना लिया है. केंद्र सरकार यदि डीएपी नहीं देगी तो भी हम तैयार हैं.

पहले छत्तीसगढ़ को पिछड़ा राज्य कहा जाता था. पर हमारी परंपरा बहुत विशाल है. चाहे बस्तर का दशहरा हो या घोटुल हो. तब हमने विश्व आदिवासी दिवस मनाया. जो पूरे विश्व मे फैला तब सभी को पता चला कि छत्तीसगढ़ और बस्तर उन्नत क्षेत्र है. कोरोना काल मे जब कहीं काम नहीं चल रहा था तब बस्तर की स्वसहायता समूह की महिलाएं काम कर रही थीं. पहले इमली ऐसे ही बेच देते थे. अब इमली की कैंडी और शर्बत बनाई जा रही है. जिस तीखुर को कोई नहीं जानता था अब टिकुर का शेक वियतनाम में बिक रहा है.

परियोजना का मकसद किसानों की आमदनी बढ़ाना

इस दौरान सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि इस परियोजना का मकसद किसानों की आमदनी के अवसरों को बढ़ाना है. साथ ही इस परियोजना के तहत को कोदो कुटकी वनोपज के लिए बस्तर में प्रसंस्करण केंद्र खोले जाएंगे. जिससे यहां के सैकड़ों ग्रामीणों को रोजगार का अवसर भी मिल सकेगा. इसके अलावा नगरीय निकाय चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनाव की तारीखों का एलान हो चुका है और जिस तरह से पिछली बार 10 के 10 निकायों में कांग्रेस ने चुनाव जीता था. इस बार भी सभी निकायों में चुनाव जीतेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने अपनी तैयारी पूरी कर ली है.वहीं, नारायणपुर में पिछले कई दिनों से सैकड़ों ग्रामीणों द्वारा किए जा रहे. आंदोलन को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीणों की जो मांग है, धान का समर्थन मूल्य प्रति क्विंटल 3200 रु किया जाए. ग्रामीणों के इस मांग को भारत सरकार को भेजा जाएगा और वहां से जो भी जवाब मिलेगा उसके बाद इस पर फैसला लिया जा सकेगा.

कृषि विभाग और अन्य विभागों के द्वारा लगाए गए स्टॉल का अवलोकन

मुख्यमंत्री ने अपने बस्तर प्रवास के दौरान चिराग परियोजना का शुभारंभ के अलावा कृषि मडई में शामिल होकर कृषि विभाग और अन्य विभागों के द्वारा लगाए गए स्टॉल का अवलोकन किया. साथ ही किसान हितग्राहियों को कृषि के नये उपकरण का वितरण किया. इसके अलावा मुख्यमंत्री ने आज अपने प्रवास के दौरान तीन बड़ी घोषणाए की. जिसमें महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज का नाम वीर शहीद धरमु महारा के नाम से जाना जाएगा. इसके अलावा बस्तर शासकीय हाई स्कूल का नाम बस्तर के वीर शहीद जगतु महारा के नाम से जाना जाएगा. साथ ही जगदलपुर शहर में जगतु महारा के नाम पर भव्य सामुदायिक भवन का निर्माण कराया जाएगा.

Last Updated : Nov 25, 2021, 12:32 PM IST
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