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भाई-दूज की रही धूम, बहनों ने मांगी भाई की लंबी उम्र की दुआ

भाई दूज का पर्व दिवाली का अंतिम उत्सव होता है. यह दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है.

पूजा करती महिलाएं
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Published : Oct 29, 2019, 3:23 PM IST

Updated : Oct 29, 2019, 8:50 PM IST

रायपुर: भाई-बहन के प्रेम को समर्पित भाई दूज का त्योहार आज प्रदेशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है. यह हर वर्ष कार्तिक शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है. भाई दूज का पर्व दिवाली का अंतिम उत्सव होता है. इसे भातृ द्वितीया या भाई द्वितीया भी कहा जाता है. यमराज और उनकी बहन यमुना से इस पर्व का इतिहास जुड़ा है. इसलिए इसे यम द्वितीया भी कहते हैं. इस दिन बहनें भाइयों की लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना करती हैं और भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं.

पैकेज.

ऐसी मान्यता है कि पूजा करने के दौरान सबसे पहले बहनें अपने भाई को खूब गालियां और श्राप देती हैं. इसके बाद वह रेंगरी का कांटा अपनी जीभ पर चुभो देती हैं, जिससे जितनी बद्दुआ उनके भाई को दी गई है, वह सब कट जाए. फिर गोधन कूट कर और पूजा संपन्न कर महिलाएं अपने भाइयों को दुआएं देती हैं और 100 साल जीने की कामना करती हैं.

मान्यता है कि जो भाई आज के दिन यमुना में स्नान करके पूरी श्रद्धा से बहनों के आतिथ्य को स्वीकार करते हैं, उन्हें और उनकी बहन को यम का भय नहीं रहता. साथ ही इस दिन बहनों के घर जाना भी शुभ माना जाता है.

रायपुर: भाई-बहन के प्रेम को समर्पित भाई दूज का त्योहार आज प्रदेशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है. यह हर वर्ष कार्तिक शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है. भाई दूज का पर्व दिवाली का अंतिम उत्सव होता है. इसे भातृ द्वितीया या भाई द्वितीया भी कहा जाता है. यमराज और उनकी बहन यमुना से इस पर्व का इतिहास जुड़ा है. इसलिए इसे यम द्वितीया भी कहते हैं. इस दिन बहनें भाइयों की लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना करती हैं और भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं.

पैकेज.

ऐसी मान्यता है कि पूजा करने के दौरान सबसे पहले बहनें अपने भाई को खूब गालियां और श्राप देती हैं. इसके बाद वह रेंगरी का कांटा अपनी जीभ पर चुभो देती हैं, जिससे जितनी बद्दुआ उनके भाई को दी गई है, वह सब कट जाए. फिर गोधन कूट कर और पूजा संपन्न कर महिलाएं अपने भाइयों को दुआएं देती हैं और 100 साल जीने की कामना करती हैं.

मान्यता है कि जो भाई आज के दिन यमुना में स्नान करके पूरी श्रद्धा से बहनों के आतिथ्य को स्वीकार करते हैं, उन्हें और उनकी बहन को यम का भय नहीं रहता. साथ ही इस दिन बहनों के घर जाना भी शुभ माना जाता है.

Intro: भाई-बहन के प्रेम को समर्पित भाई दूज का आज मनाया जा रहा है। यह हर वर्ष कार्तिक शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है। भाई दूज का पर्व दिवाली का अंतिम उत्सव होता है, यह दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है। इसे भाऊ बीज, भातृ द्वितीया या भाई द्वितीया भी कहा जाता है। यमराज और उनकी बहन यमुना से इस पर्व का इतिहास जुड़ा है, इसलिए इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। इस दिन बहनें भाइयों की लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना करती हैं और भाई अपनी बहनों को उपहार आदि देते हैं।



Body:वही औरतों ने बताया कि आज के दिन वह सुबह-सुबह भाई दूज की पूजा करती हैं और उस समय वह भाई की लंबी उम्र की कामना करती है पर पूजा करने के दौरान सबसे पहले वह अपने भाई को खूब गालियां देती है वह मर जाने की बद्दुआ देती है उसके बाद वह रेंगरी का कांटा अपनी जीत पर चुभो देती है जिससे जितने बद्दुआ उनके भाई को दिए गए हैं वह सब कट जाए और उसके बाद महिलाएं अपने भाइयों को दुआएं देती हैं और 100 साल जीने की कामना करते हैं। महिलाएं आखरी में गोधन कूटकर इस विधि को संपन्न करती हैं और फिर जल ग्रहण करती हैं।


Conclusion:यमराज हर वर्ष अपनी बहन यमुना से मिलने उनके घर जाते थे। यमुना ने उनसे वरदान मांगा था कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को जो बहन अपने घर पर भाई तिलक लगाकर भोजन कराएगी, उसे यम का डर न हो। ऐसे में उन्होंने यमुना को वरदान दे दिया, तब से भाई दूज मनाया जाने लगा।

बाइट :- माया देवी (स्थानीय निवासी)

अभिषेक कुमार सिंह ईटीवी भारत रायपुर
Last Updated : Oct 29, 2019, 8:50 PM IST
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