रायपुर: दिवाली का त्योहार पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस बार दिवाली का त्यौहार 24 अक्टूबर को पड़ रहा है. बाजारों में इसे लेकर भीड़ दिखने लगी है. इस बार बाजारों में भारतीय मूल के प्रोडक्ट के साथ- साथ ग्रीन पटाखों की डिमांड काफी ज्यादा है. दुकानदार भी उम्मीद कर रहे हैं कि उनकी दिवाली खास रहेगी. दिवाली के मौके पर लोग पटाखे फोड़ कर और मिठाई बांटकर दिवाली का त्योहार मनाते हैं. दिवाली के मौके पर अक्सर पटाखों से जानवरों को काफी ज्यादा परेशानी होती है. वही पटाखों की वजह से हुए प्रदूषण से पक्षियों पर भी काफी असर पड़ता है.
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जानवर आवाज से हो जाते हैं अग्रेसिव: छत्तीसगढ़ हॉस्पिटल बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया " दिवाली के समय पटाखों की वजह से होने वाली आवाजों से सिर्फ बच्चे और बुजुर्ग ही नहीं बल्कि जानवर और पक्षियों पर भी बुरा असर पड़ता है. कई जानवर पटाखों की आवाज से सहम जाते हैं. अधिकतर जानवर इससे ग्रसित हो जाते हैं और दूसरे लोगों को चोट पहुंचाते हैं. 80 डेसिबल से ज्यादा आवाज वाले पटाखों से जानवरों को काफी ज्यादा नुकसान होता है. पटाखों की वजह से होने वाले प्रदूषण से पक्षों को भी बहुत ज्यादा नुकसान होता है. कई बार छोटे बच्चों की जान भी इस प्रदूषण से चल जाती है.
80 डेसिबल से ज्यादा आवाज वाले पटाखे घाटक: हॉस्पिटल बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया "एक एग्जांपल के तौर पर समझे तो बच्चों से भरी क्लास की आवाज 80 डेसिबल की होती है. इससे ज्यादा आवाज किसी भी व्यक्ति के कान को नुकसान पहुंचा सकती है. कई पटाखों की आवाज 100-120 डेसिबल से भी ज्यादा होती है. ऐसे में बच्चे और बुजुर्गों को इन तेज आवाज वाले पटाखों से स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है."
बड़े और आकाशीय पटाखे बाजारों से नदारद: पटाखा दुकानदार रमेश अग्रवाल ने बताया कि " इस बार दिवाली के मौके पर महंगाई काफी ज्यादा है. भारत सरकार ने केमिकल इस्तेमाल पर बैन लगा दिया है. इस वजह से पटाखों का बाजार पहले कि जितना रौनक नहीं है. बड़े-बड़े पटाखे, फायर शॉट इस बार बाजार में स्टॉक में नहीं है. छोटे-छोटे पटाखे ही इस बार बाजार में नजर आ रहे हैं. पहले बड़े बाजारों में 15 शॉट 20 शॉट के पटाखे आते थे, लेकिन अब छोटे-छोटे पटाखे ही बिक रहे हैं. आजकल ग्रीन पटाखों की डिमांड काफी ज्यादा है. ग्राहक दुकान आकर ग्रीन पटाखे की ही डिमांड कर रहा है."
नार्मल पटाखों के मुकाबले ग्रीन पटाखों से 50% कम होता है प्रदूषण: पटाखा दुकानदार रमेश अग्रवाल ने कहा " ग्रीन पटाखों में नार्मल पटाखों के मुकाबले प्रदूषण की मात्रा 50% तक कम रहती है. अभी नए केमिकल बनाने की तैयारी सरकार कर रही है. जिससे पटाखे बनाने और फोड़ने पर प्रदूषण की मात्रा काफी कम हो जाएगी. इन पटाखों की आवाज भी नॉर्मल पटाखों की जितनी लाउड नहीं रहती है. हालांकि इसमें भी जोर से फटने वाले पटाखे आते हैं. लेकिन इस साल ज्यादातर बड़े पटाखे बने ही नहीं है. इसलिए मार्केट में भी नहीं है."
बच्चे ग्रीन फटाके कर रहे पसंद: ग्राहक अंशु ने बताया " दिवाली का त्यौहार हम सभी बड़े ही धूमधाम से मनाने की तैयारी कर रहे हैं. बच्चों को लेकर हम पटाखे लेने आए हैं. बच्चों को ज्यादातर फुलझड़ी, अनार और चकरी ही पसंद आती है. लेकिन हम बाजार आकर ग्रीन पटाखे ही पसंद कर रहे हैं. बच्चों को भी वही ज्यादा पसंद आ रहे हैं. हमारी कोशिश यही है कि हम एंजॉयमेंट भी करें और वातावरण को ज्यादा हानि ना हो. ग्रीन पटाखों से पोलूशन भी कम होता है. "