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नवरात्रि में व्रत धारियों के लिए रेसिपी कैसी होना चाहिए, जानिए - Navratri Celebration

शारदीय नवरात्र का यह पर्व नूतन रातों का पर्व है. यह रात्रि बल का पर्व माना गया है. चारों तरफ आलोक, उत्साह और उमंग दिखाई पड़ती है. नवरात्रि ऋतु परिवर्तन का पर्व है. यह शक्ति, भक्ति और अग्नि की महान उपासना का पर्व है. उपवास और व्रत के द्वारा संपूर्ण शरीर का शुद्धिकरण और नवीनीकरण के साथ ही अनावश्यक चर्बी का नाश होता है. उपवास में रेसिपी कल्याणकारी, शरीर के लिए उपयोगी और सुपाच्य व्यंजनों को बनाने ग्रहण करने का अवसर मिलता है. इस समय हम अपनी मनपसंद रेसिपी के द्वारा हम अपने आप को आत्मिक सुख प्रदान करते हैं.

नवरात्रि में व्रत धारियों के लिए रेसिपी
नवरात्रि में व्रत धारियों के लिए रेसिपी
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Published : Sep 24, 2022, 3:23 PM IST

Updated : Sep 24, 2022, 11:00 PM IST

रायपुर: संपूर्ण नवरात्रि काल में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि रेसिपी का निर्माण करते समय रसोई पूरी तरह से साफ सुथरी और निर्मल होनी चाहिए. उपयोग में लाए जाने वाले बर्तन पूरी तरह से साफ स्वच्छ और निर्मल होने चाहिए. व्रत/उपवास को तोड़ने के पहले अनिवार्य रूप से देवी माता को भोग अर्पित किया जाना चाहिए. यह भोग चौकी में देवी को शुद्ध मन से आस्था के साथ समर्पित किया जाना चाहिए.

नवरात्रि में व्रत धारियों के लिए रेसिपी

नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री के रूप में माता की आराधना की जाती है. इस दिन शुद्ध घी में भोजन बनाने का विधान है. आज के दिन खिचड़ी बनाई जाती है. इस खिचड़ी में काली मिर्च, मीठी नीम, धनिया का प्रयोग किया जाता है. इससे हमारी सात्विकता और पौष्टिकता बढ़ती है. संपूर्ण नवरात्रि काल में सात्विक भोजन करने का विधान है. पहले दिन घर में बने हुए शुद्ध घी का उपयोग करने पर शरीर को लाभ मिलता है.

नवरात्र के दूसरे दिन माता के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा होती है. आज के दिन मिश्री अथवा शक्कर से बने हुए पदार्थ ग्रहण किए जाते हैं. इसके साथ ही आज के दिन लौकी का हलवा, मिश्री के साथ बनाने पर अधिक लाभ मिलता है. लौकी में अनेक पोषक तत्व पाए जाते हैं. यह शरीर को पुष्ट करता है. उपवास या व्रत धारियों को मजबूती प्रदान करता है.

नवरात्र के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा को दूध से बने पदार्थ जैसे मखाने की खीर, चावल की खीर, तिल की खीर, सफेद तिल की खीर बनाई जाती है. व्रत या उपवासधारी मट्ठा, दूध दही का भी उपयोग करते हैं. आज के दिन खीरे से बने हुए रायता का भी उपयोग करते हैं.

यह भी पढ़ें: Navratri 2022 रायपुर जिला प्रशासन ने जारी की गाइडलाइन

नवरात्र के चौथे दिन माता के कुष्मांडा रूप की पूजा होती है. आज के दिन कद्दू से बनाए हुए सात्विक भोज और लौकी का हलवा, लौकी की सब्जी और लौकी जूस पीने से व्रत धारकों को निश्चित लाभ मिलता है. सभी गुणों से युक्त साबूदाना की खिचड़ी भी शरीर के लिए लाभदायक होती है.

नवरात्र के पांचवे दिन स्कंदमाता को उत्तम गुणवत्ता वाले केले का भोग लगाया जाता है. आज के दिन कच्चे केले की टिकिया, कच्चे केले की चटपटी पूड़ी, कच्चे केले की खिचड़ी साथ ही पके केले का जूस, पके केले का फ्रूट सलाद और दूध केले का मिश्रण ग्रहण करना व्रत धारियों के लिए शुभ माना गया है. फ्रूट सलाद भी व्रतधारी ले सकते हैं.

नवरात्र के छठवें दिन माता के कात्यायनी रुप की पूजा होती है. कात्यायनी माता को शहद और गुड़ का भोग लगाया जाता है. आज के दिन गुड़ की खीर, गुड़ से बनी हुई मिठाइयां, गुड़ के लड्डू, गुड़ के पेड़े, तिल और गुड़ का सेवन व्रतधारियों को करना चाहिए.

नवरात्र के सातवें दिन कालरात्रि माता की पूजा निशा काल में की जाती है. गुड़ और नारियल का भोग लगाया जाता है. नारियल की बर्फी, नारियल के लड्डू, नारियल से बने पकवान, नारियल की चटनी सात्विक रूप से व्रतधारियों को ग्रहण करना चाहिए.

नवरात्र के आठवें दिन महागौरी रूप में माता की पूजा की जाती है. महा अष्टमी, दुर्गा अष्टमी के रूप में मनाया जाता है. यह अभिष्ट सिद्धियों का पर्व है. अष्टमी के दिन हवन के माध्यम से ऊर्जा प्राप्त होती है और बल मिलता है. अष्टमी के शुभ दिन नारियल की मिठाइयां, नारियल के भोग, फल फूल के साथ व्रतधारियों को ग्रहण करना चाहिए.

नवरात्रि के नवमें दिन सिद्धिदात्री रूप में माता की पूजा की जाती है. इस दिन तिल और नारियल से पूजा किए जाने का दिन है. आज के दिन तिल के लड्डू, तिल की मिठाइयां और नारियल से बने पदार्थों को ग्रहण करने का दिन है. इसके साथ ही केला, सेव, नाशपाती, अनानास को भी संतुलित मात्रा में ग्रहण करना चाहिए.

नवरात्रि के पावन पर्व में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि व्रतधारी उपवास पूर्ण होने के बाद अधिक मात्रा में चीजें ग्रहण ना करें और ना ही कम मात्रा में चीजें ग्रहण करें. एक साथ बहुत सारी मीठी चीजों को भी ग्रहण नहीं करना चाहिए. अधिक देर तक भूखे रहने से भी बचने का प्रयास करना चाहिए. नवरात्रि की साधना शरीर को तपाने की ही साधना है. इसके माध्यम से शरीर में नई ऊर्जा, नया बल, नई शक्तियों का संचार होता है. इसलिए खान पान संतुलित और आदर्श होने के साथ ही समय चक्र को ध्यान में रखकर करना चाहिए.

रायपुर: संपूर्ण नवरात्रि काल में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि रेसिपी का निर्माण करते समय रसोई पूरी तरह से साफ सुथरी और निर्मल होनी चाहिए. उपयोग में लाए जाने वाले बर्तन पूरी तरह से साफ स्वच्छ और निर्मल होने चाहिए. व्रत/उपवास को तोड़ने के पहले अनिवार्य रूप से देवी माता को भोग अर्पित किया जाना चाहिए. यह भोग चौकी में देवी को शुद्ध मन से आस्था के साथ समर्पित किया जाना चाहिए.

नवरात्रि में व्रत धारियों के लिए रेसिपी

नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री के रूप में माता की आराधना की जाती है. इस दिन शुद्ध घी में भोजन बनाने का विधान है. आज के दिन खिचड़ी बनाई जाती है. इस खिचड़ी में काली मिर्च, मीठी नीम, धनिया का प्रयोग किया जाता है. इससे हमारी सात्विकता और पौष्टिकता बढ़ती है. संपूर्ण नवरात्रि काल में सात्विक भोजन करने का विधान है. पहले दिन घर में बने हुए शुद्ध घी का उपयोग करने पर शरीर को लाभ मिलता है.

नवरात्र के दूसरे दिन माता के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा होती है. आज के दिन मिश्री अथवा शक्कर से बने हुए पदार्थ ग्रहण किए जाते हैं. इसके साथ ही आज के दिन लौकी का हलवा, मिश्री के साथ बनाने पर अधिक लाभ मिलता है. लौकी में अनेक पोषक तत्व पाए जाते हैं. यह शरीर को पुष्ट करता है. उपवास या व्रत धारियों को मजबूती प्रदान करता है.

नवरात्र के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा को दूध से बने पदार्थ जैसे मखाने की खीर, चावल की खीर, तिल की खीर, सफेद तिल की खीर बनाई जाती है. व्रत या उपवासधारी मट्ठा, दूध दही का भी उपयोग करते हैं. आज के दिन खीरे से बने हुए रायता का भी उपयोग करते हैं.

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नवरात्र के चौथे दिन माता के कुष्मांडा रूप की पूजा होती है. आज के दिन कद्दू से बनाए हुए सात्विक भोज और लौकी का हलवा, लौकी की सब्जी और लौकी जूस पीने से व्रत धारकों को निश्चित लाभ मिलता है. सभी गुणों से युक्त साबूदाना की खिचड़ी भी शरीर के लिए लाभदायक होती है.

नवरात्र के पांचवे दिन स्कंदमाता को उत्तम गुणवत्ता वाले केले का भोग लगाया जाता है. आज के दिन कच्चे केले की टिकिया, कच्चे केले की चटपटी पूड़ी, कच्चे केले की खिचड़ी साथ ही पके केले का जूस, पके केले का फ्रूट सलाद और दूध केले का मिश्रण ग्रहण करना व्रत धारियों के लिए शुभ माना गया है. फ्रूट सलाद भी व्रतधारी ले सकते हैं.

नवरात्र के छठवें दिन माता के कात्यायनी रुप की पूजा होती है. कात्यायनी माता को शहद और गुड़ का भोग लगाया जाता है. आज के दिन गुड़ की खीर, गुड़ से बनी हुई मिठाइयां, गुड़ के लड्डू, गुड़ के पेड़े, तिल और गुड़ का सेवन व्रतधारियों को करना चाहिए.

नवरात्र के सातवें दिन कालरात्रि माता की पूजा निशा काल में की जाती है. गुड़ और नारियल का भोग लगाया जाता है. नारियल की बर्फी, नारियल के लड्डू, नारियल से बने पकवान, नारियल की चटनी सात्विक रूप से व्रतधारियों को ग्रहण करना चाहिए.

नवरात्र के आठवें दिन महागौरी रूप में माता की पूजा की जाती है. महा अष्टमी, दुर्गा अष्टमी के रूप में मनाया जाता है. यह अभिष्ट सिद्धियों का पर्व है. अष्टमी के दिन हवन के माध्यम से ऊर्जा प्राप्त होती है और बल मिलता है. अष्टमी के शुभ दिन नारियल की मिठाइयां, नारियल के भोग, फल फूल के साथ व्रतधारियों को ग्रहण करना चाहिए.

नवरात्रि के नवमें दिन सिद्धिदात्री रूप में माता की पूजा की जाती है. इस दिन तिल और नारियल से पूजा किए जाने का दिन है. आज के दिन तिल के लड्डू, तिल की मिठाइयां और नारियल से बने पदार्थों को ग्रहण करने का दिन है. इसके साथ ही केला, सेव, नाशपाती, अनानास को भी संतुलित मात्रा में ग्रहण करना चाहिए.

नवरात्रि के पावन पर्व में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि व्रतधारी उपवास पूर्ण होने के बाद अधिक मात्रा में चीजें ग्रहण ना करें और ना ही कम मात्रा में चीजें ग्रहण करें. एक साथ बहुत सारी मीठी चीजों को भी ग्रहण नहीं करना चाहिए. अधिक देर तक भूखे रहने से भी बचने का प्रयास करना चाहिए. नवरात्रि की साधना शरीर को तपाने की ही साधना है. इसके माध्यम से शरीर में नई ऊर्जा, नया बल, नई शक्तियों का संचार होता है. इसलिए खान पान संतुलित और आदर्श होने के साथ ही समय चक्र को ध्यान में रखकर करना चाहिए.

Last Updated : Sep 24, 2022, 11:00 PM IST
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