रायपुर: छत्तीसगढ़ में 15 जून के आस-पास मानसून दस्तक दे सकता है. इससे पहले नगर निगम ने दावा किया है कि शहर के तालाबों में फेंका गया प्लास्टिक का कचरा साफ कर लिया जाएगा. निगम के दावे का जब ETV भारत ने पड़ताल किया तो, पाया कि अब तक किसी भी तालाब में सफाई का काम शुरू ही नहीं हुआ है.
तालाबों की स्थिति दुखद
रायपुर को तालाबों का शहर के नाम से जाना जाता है. बताते हैं कि यहां इतने तलाब थे कि तालाबों के नाम पर शहर में बस्तियां बसाई गई. जैसे बैजनाथ पारा का बैजनाथ तालाब, रामसागर पारा का राम सागरी. अब आलम यह है कि यहां पर जो बचे तालाब हैं उनकी स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. शहर में एक ओर घटता जलस्तर लोगों की समस्या बनी है, वहीं तालाबों में कचरा यहां के लोगों को चिंता में डाल दिया है.
घर में घुसता है पानी
रामकुंड के बीचों-बीच धोबी तालाब की स्थिति इतनी खराब है कि वहां के पानी को हाथ तक नहीं लगाया जा सकता. पूरे तालाब में यदि कुछ दिखाई देता है तो वह प्लास्टिक का कचरा. रामकुंड स्थित धोबी तालाब से बिल्कुल लगी हुई बस्तियां बसी हुई है. हर साल बारिश के समय इस तालाब का पानी उन बस्तियों में रहने वाले लोगों के घरों में घुस जाता है. इसके बावजूद भी शासन ने इससे निपटने का उपाय नहीं निकाला है.
शुरू नहीं हुआ सफाई का काम
हालांकि इन तालाबों का नाम स्मार्ट सिटी के तहत सौंदर्यीकरण में जरूर आया है, लेकिन अभी तक यहां पर काम शुरू नहीं हुआ है. यानी कि ये मानसून भी बस्तियों में रहने वाले लोगों के लिए आसान नहीं होगा. सोचने का विषय है कि जब इन गंदे तालाबों का पानी लोगों के घरों में घुस जाता है तब उन्हें कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ता होगा.