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अब भी वक्त है, कहीं कूड़ादान न बनकर रह जाए शहर का तालाब - तालाब की सफाई

तालाबों की स्थिति बद से बदतर होते जा रही है. शहर में एक ओर घटता जलस्तर लोगों की समस्या बनी है, वहीं तालाबों में कचरा यहां के लोगों को चिंता में डाल दिया है.

कूड़ेदान में तबदील हो रहे तालाब
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Published : Jun 3, 2019, 1:36 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में 15 जून के आस-पास मानसून दस्तक दे सकता है. इससे पहले नगर निगम ने दावा किया है कि शहर के तालाबों में फेंका गया प्लास्टिक का कचरा साफ कर लिया जाएगा. निगम के दावे का जब ETV भारत ने पड़ताल किया तो, पाया कि अब तक किसी भी तालाब में सफाई का काम शुरू ही नहीं हुआ है.

कूड़ेदान में तबदील हो रहे तालाब

तालाबों की स्थिति दुखद
रायपुर को तालाबों का शहर के नाम से जाना जाता है. बताते हैं कि यहां इतने तलाब थे कि तालाबों के नाम पर शहर में बस्तियां बसाई गई. जैसे बैजनाथ पारा का बैजनाथ तालाब, रामसागर पारा का राम सागरी. अब आलम यह है कि यहां पर जो बचे तालाब हैं उनकी स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. शहर में एक ओर घटता जलस्तर लोगों की समस्या बनी है, वहीं तालाबों में कचरा यहां के लोगों को चिंता में डाल दिया है.

घर में घुसता है पानी
रामकुंड के बीचों-बीच धोबी तालाब की स्थिति इतनी खराब है कि वहां के पानी को हाथ तक नहीं लगाया जा सकता. पूरे तालाब में यदि कुछ दिखाई देता है तो वह प्लास्टिक का कचरा. रामकुंड स्थित धोबी तालाब से बिल्कुल लगी हुई बस्तियां बसी हुई है. हर साल बारिश के समय इस तालाब का पानी उन बस्तियों में रहने वाले लोगों के घरों में घुस जाता है. इसके बावजूद भी शासन ने इससे निपटने का उपाय नहीं निकाला है.

शुरू नहीं हुआ सफाई का काम
हालांकि इन तालाबों का नाम स्मार्ट सिटी के तहत सौंदर्यीकरण में जरूर आया है, लेकिन अभी तक यहां पर काम शुरू नहीं हुआ है. यानी कि ये मानसून भी बस्तियों में रहने वाले लोगों के लिए आसान नहीं होगा. सोचने का विषय है कि जब इन गंदे तालाबों का पानी लोगों के घरों में घुस जाता है तब उन्हें कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ता होगा.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में 15 जून के आस-पास मानसून दस्तक दे सकता है. इससे पहले नगर निगम ने दावा किया है कि शहर के तालाबों में फेंका गया प्लास्टिक का कचरा साफ कर लिया जाएगा. निगम के दावे का जब ETV भारत ने पड़ताल किया तो, पाया कि अब तक किसी भी तालाब में सफाई का काम शुरू ही नहीं हुआ है.

कूड़ेदान में तबदील हो रहे तालाब

तालाबों की स्थिति दुखद
रायपुर को तालाबों का शहर के नाम से जाना जाता है. बताते हैं कि यहां इतने तलाब थे कि तालाबों के नाम पर शहर में बस्तियां बसाई गई. जैसे बैजनाथ पारा का बैजनाथ तालाब, रामसागर पारा का राम सागरी. अब आलम यह है कि यहां पर जो बचे तालाब हैं उनकी स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. शहर में एक ओर घटता जलस्तर लोगों की समस्या बनी है, वहीं तालाबों में कचरा यहां के लोगों को चिंता में डाल दिया है.

घर में घुसता है पानी
रामकुंड के बीचों-बीच धोबी तालाब की स्थिति इतनी खराब है कि वहां के पानी को हाथ तक नहीं लगाया जा सकता. पूरे तालाब में यदि कुछ दिखाई देता है तो वह प्लास्टिक का कचरा. रामकुंड स्थित धोबी तालाब से बिल्कुल लगी हुई बस्तियां बसी हुई है. हर साल बारिश के समय इस तालाब का पानी उन बस्तियों में रहने वाले लोगों के घरों में घुस जाता है. इसके बावजूद भी शासन ने इससे निपटने का उपाय नहीं निकाला है.

शुरू नहीं हुआ सफाई का काम
हालांकि इन तालाबों का नाम स्मार्ट सिटी के तहत सौंदर्यीकरण में जरूर आया है, लेकिन अभी तक यहां पर काम शुरू नहीं हुआ है. यानी कि ये मानसून भी बस्तियों में रहने वाले लोगों के लिए आसान नहीं होगा. सोचने का विषय है कि जब इन गंदे तालाबों का पानी लोगों के घरों में घुस जाता है तब उन्हें कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ता होगा.

Intro:केवल घटता जल स्तर ही नहीं बल्कि बढ़ती तालाबों की गंदगी भी है बड़ी चुनौती


Body:रायपुर । इतिहासकार बताते हैं कि रायपुर तालाबों के शहर के नाम से जाना जाता था । यहां इतने तलाब थे कि उनके नाम से ही बस्तियां बसाई गई । बैजनाथ पारा बैजनाथ तालाब के ऊपर बना है वही रामसागर पारा राम सागरी तलाब के ऊपर बना हुआ है । लेकिन अब आलम यह है कि यहां पर जो बचे तालाब हैं उनकी स्थिति भी दुखद है । केवल घटता जलस्तर ही तालाबों की समस्या नहीं है बल्कि और तालाबों की बढ़ रही गंदगी भी एक बड़ी समस्या शासन के सामने इस वक्त खड़ी है । 15 जून से मानसून शुरू होने वाला है और उससे पहले नगर निगम का दावा है कि वह जितने भी प्लास्टिक के कचरे तालाबों में मौजूद हैं उन्हें साफ कर लेगी । लेकिन ईटीवी भारत ने अपनी पड़ताल में पाया कि अब तक किसी भी तालाब के सफाई का काम शुरू नहीं हुआ है । रामकुंड के बीचो-बीच धोबी तालाब की स्थिति इतनी खराब है कि वहां के पानी को हाथ तक नहीं लगाया जा सकता । पूरे तालाब में यदि कुछ दिखाई देता है तो वह प्लास्टिक के कचरे हैं । वही बात करें आपकी तो उसकी हालत थोड़ी बेहतर है लेकिन प्लास्टिक के कचरे हैं उसकी कमी वहां भी नहीं यह कोई दो तब नहीं बल्कि राजधानी रायपुर के तालाब है जो गंदगी से परिपूर्ण है।

रामकुंड स्थित धोबी तालाब से बिल्कुल लगी हुई बस्तियां बसी हुई हैं । हर साल बारिश के समय उस तालाब का पूरा पानी उन बस्तियों में रहने वाले लोगों के घरों में घुस जाता है । हर साल होता है बावजूद इसके अभी तक इस से बचने का उपाय ना तो हक नगरवासी को छुपाए हैं
और ना ही प्रशासन । हालांकि इन तालाबों का नाम स्मार्ट सिटी के तहत सौंदर्यीकरण में जरूर आया है लेकिन अभी तक यहां पर काम शुरू नहीं हुआ है । यानी कि इस मानसून भी बस्तियों में रहने वाले लोगों के लिए आसान नहीं होंगे । सोचने का विषय है कि तालाब के पानी को लोक शतक नहीं सकते बारिश में जब वही पानी लोगों के घरों में घुस जाता है उन्हें कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ता होगा ।

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