रायपुर: सहायक शिक्षक अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं. लेकिन हड़ताल से स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के शिक्षा पर प्रभाव पड़ रहा है. जब ईटीवी टीम ने प्राइमरी स्कूल की पड़ताल की तो बड़ी क्लास के बच्चे छोटी क्लास के बच्चों को संभाल रहे हैं. सहायक शिक्षक एक भी नहीं है. केवल प्रिंसिपल ही सभी पांचों क्लासेस को नियंत्रित कर रहे हैं.
स्कूली व्यवस्था बेहाल: प्रधानाध्यापक चंद्रिका ध्रुव ने बताया कि "एक क्लास के बच्चों को संभालने जाओ तो दूसरी क्लास के बच्चे बाहर आ जाते हैं. एक क्लास के बच्चों का अटेंडेंस लगाओ तो दूसरी क्लास के बच्चे का छूट जाता है. फिर बच्चों में लड़ाई झगड़ा होमवर्क को लेकर ऐसे कुछ ना कुछ हर कक्षा में परेशानी हो रही है. एक टीचर एक ही कक्षा संभाल सकता है. अध्यापन में तो बहुत ज्यादा ही परेशानी आ रही है. क्योंकि मैं एक कक्षा को या ज्यादा से ज्यादा 2 कक्षा को पढ़ा सकती हूं. सामूहिक रूप से मैं ज्यादा कक्षा अकेले नहीं पढ़ा सकती."
स्कूली बच्चे शिक्षकों की हड़ताल से अनजान: स्कूली बच्चे ने कहा कि '' दिन से टीचर्स क्लास में पढ़ाने नहीं आ रहे हैं.'' दूसरे बच्चे का कहना था कि वह अपनी पढ़ाई खुद कर रहे हैं तो तीसरे बच्चे का कहना है कि वह बच्चे होमवर्क या दूसरे काम कर रहे हैं. कुछ बच्चे को तो यह भी पता नहीं है कि उनके टीचर अपनी वेतन वृद्धि मांग को लेकर हड़ताल पर बैठे हैं. वह सिर्फ इतना ही जानते हैं कि उनके टीचर मीटिंग में कहीं बाहर गए हुए हैं.
पूरे प्रदेश में ब्लॉक स्तर पर धरना: सहायक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष मनीष मिश्रा ने बताया कि " हमारी केवल एक ही मांग है जो कई सालों से चल रही है. हम केवल वेतन विसंगति को दूर करने की मांग कर रहे हैं और इसी वजह से हम धरने पर बैठे हैं. इसके पहले भी 4 साल से हमने कई धरना प्रदर्शन की रैली निकाली. जिसके बाद मुख्यमंत्री ने एक कमेटी का गठन किया, जिसमें 90 दिनों में रिजल्ट आया था. आज 16 से 17 महीने हो चुके हैं कोई रिजल्ट नहीं आया. शिक्षा मंत्री ने भी केवल आश्वासन दिया. मुख्यमंत्री ने भी केवल आश्वासन दिया. लेकिन आश्वासन के अलावा कभी कोई आदेश जारी नहीं किया. नाराज होकर सहायक शिक्षक संघ पूरे प्रदेश में ब्लॉक स्तर पर धरना दे रहे हैं."
उन्होंने कहा कि "हम लोग भी नहीं चाहते कि हम आंदोलन करें. हमारा काम स्कूल में शिक्षा देना है. इसलिए हम स्कूल में ही रहना चाहते हैं लेकिन सरकार हमें मजबूर कर रही है. उनके जनगणना पत्र में हमारी मांग शामिल है. 4 बजट पेश हो चुका है. पांचवा बजट आने वाला है. उसमें भी हमारी मांगों को लेकर कुछ भी नहीं उल्लेख किया गया है. ऐसा नहीं है कि हम एकदम से आंदोलन कर रहे हैं. इसके पहले हमने कई मंत्रियों से बातचीत की थी. कई अधिकारियों को कहा था कि हमारी मांग पूरी की जाए. हमारी मांग पूरी नहीं की गई तो हम 6 फरवरी से धरने पर बैठ गए."
छत्तीसगढ़ में 1,09,000 सहायक शिक्षक हैं. राजधानी रायपुर में लगभग 4,000 सहायक शिक्षक हैं. पूरे प्रदेश में 60 से 70000 के बीच प्राथमिक शाला है तो राजधानी रायपुर में 2000 के आसपास प्राथमिक शाला बनाई गई है.