रायपुर : छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश में वैक्सीनेशन (Corona Vaccination Chhattisgarh 2021) का काम लगातार जारी है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ महिला स्वास्थ्य कर्मी निभा रही हैं. ग्रामीणों को वैक्सीन लगवाने के लिए जागरूक करने से लेकर वैक्सीन लगाने तक का काम महिला स्वास्थ्य कर्मी कर रही हैं. कई बार तो स्थिति ऐसी होती है कि इन महिला स्वास्थ्य कर्मियों को ग्रामीणों की ओछी बातें और गालियां तक सुननी पड़ती हैं. यहां तक कि ग्रामीण इन्हें लाठी-डंडे से मारने तक के लिए भी तैयार हो जाते हैं. बावजूद इसके ये अपने काम को बखूबी अंजाम दे रही हैं.
कोरोना की शुरुआत में सीएम ने किया था प्रोत्साहन राशि देने का ऐलान
सरकार भी इनके कामों की तारीफ करते थकती नहीं है. यहां तक कि मुख्यमंत्री ने इन कर्मियों को प्रोत्साहन राशि देने तक का ऐलान कोरोना की शुरुआत में कर दिया था. लेकिन वह प्रोत्साहन राशि आज तक इन स्वास्थ्य कर्मियों के खाते में जमा नहीं हुई है. स्थिति तब और बिगड़ जाती है, जब प्रोत्साहन राशि देना तो दूर स्वास्थ्य विभाग उल्टा इन स्वास्थ्य कर्मियों के वेतन रोके जाने का आदेश जारी कर देता है. यह आदेश इसलिए निकाला जाता है कि कुछ क्षेत्रों में वैक्सीनेशन का टारगेट पूरा हुआ ही नहीं है. ऐसे में विभाग सॉफ्ट टारगेट देख महिला स्वास्थ्य कर्मियों का वेतन रोक कर कार्रवाई की खानापूर्ति कर लेता है.
टारगेट पूरा न हो पाने का पूरा स्वास्थ्य महकमा जिम्मेदार
छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ (Chhattisgarh State Health Workers Union) के प्रांत अध्यक्ष ओपी शर्मा ने कहा कि वैक्सीनेशन की जिम्मेदारी जितनी महिला कर्मचारियों की ही नहीं है, बल्कि पुरुष स्वास्थ्य कर्मी भी इसमें बराबर के जिम्मेदार होते हैं. बात अगर जिम्मेदारी की ही है तो वैक्सीनेशन का टारगेट पूरा न होने के जिम्मेदार स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव से लेकर कलेक्टर, सीएमओ, बीएमओ सहित तमाम डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों की भी है. बावजूद इसके वैक्सीनेशन का टारगेट पूरा न होने पर सिर्फ महिला स्वास्थ्य कर्मियों का वेतन रोके जाने का स्वास्थ्य विभाग का आदेश एकतरफा सा है. बता दें कि कोरिया के सोनहद ब्लॉक में पदस्थ महिला स्वास्थ्य कर्मी (एएनएम) के वेतन रोके जाने का आदेश जिला स्वास्थ्य अधिकारी कोरिया ने जारी किया है. इसमें वैक्सीनेशन का टारगेट पूरा न होने का उल्लेख करते हुए वेतन रोके जाने की बातें लिखी हैं.
ग्रामीण क्षेत्रों में मारने को महिला ने उठाया डंडा, अजीब हरकतें करने लगे बुजुर्ग
महिला स्वास्थ्य कर्मचारी घर-घर जाकर लोगों से वैक्सीन लगाने की अपील करती हैं. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य कर्मियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ताजा मामले में एक महिला ने तो इन्हें मारने के लिए डंडा तक उठा लिया. बावजूद इसके ये लोग उनसे वैक्सीन लगाने की अपील कर रहे हैं. वहीं जब एएनएम ने एक बुजुर्ग से वैक्सीन लगाने की अपील की तो वह भगवान का नाम लेकर अजीबोगरीब हरकतें करने लगा.
संघ ने सीएमओ को तानाशाह और इसे तानाशाही रवैया बताया
सीएमओ द्वारा जारी इस आदेश के बाद स्वास्थ्य कर्मचारियों में आक्रोश है. कर्मचारियों ने जारी इस आदेश के बाद सीएमओ को तानाशाह और इसे तानाशाही बताया है. छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ (Chhattisgarh State Health Workers Union) के प्रांत अध्यक्ष ओपी शर्मा का कहना है कि कोरिया सीएमओ का यह आदेश सरासर गलत है. यह सीएमओ का तानाशाही रवैया है. किसी भी कर्मचारी का वेतन रोकना बहुत बड़ा पनिशमेंट है. कई बार वैक्सीनेशन में लगे स्वास्थ्य कर्मियों से लोगों ने दुर्व्यवहार किया है. यहां तक कि मारने भी दौड़े हैं. बावजूद इसके यह स्वास्थ्य कर्मी घर-घर जाकर लोगों को समझाते हुए वैक्सीनेशन कर रहे हैं. इस मामले को लेकर स्वास्थ्य कर्मचारी संघ संबंधित अधिकारियों से चर्चा करेगा.
भाजपा ने किया कार्रवाई का पुरजोर विरोध
भाजपा ने भी महिला स्वास्थ्य कर्मियों पर की गई इस कार्रवाई का पुरजोर विरोध किया है. भाजपा नेता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा वैक्सीनेशन का काम ठीक तरह से नहीं किया जा रहा है. वैक्सीनेशन सेंटर पर ताले लगे हैं. ऐसे में विभाग छोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई कर खानापूर्ति कर रहा है. अगर वैक्सीनेशन का टारगेट पूरा नहीं होता है तो इसके लिए सिर्फ महिला स्वास्थ्य कर्मचारी ही जिम्मेदार नहीं हैं. अकेले उनके खिलाफ यह कार्रवाई गलत है. यदि वैक्सीनेशन का टारगेट पूरा नहीं हुआ है तो स्वास्थ्य सचिव, स्वास्थ्य प्रमुख सचिव और स्वास्थ्य मंत्री पर भी सरकार कार्रवाई करने का दम दिखाए, तब माना जाएगा कि छत्तीसगढ़ सरकार कोरोना को लेकर गंभीर है.
मामला बिगड़ता देख स्वास्थ्य विभाग ने रेगुलर का निकाला वेतन, संविदा वालों का अटकाया
वहीं वेतन रोके जाने के आदेश के बाद मामला बिगड़ता देख स्वास्थ्य विभाग ने रेगुलर महिला स्वास्थ्य कर्मचारी का वेतन तो निकाल दिया, लेकिन संविदा पर पदस्थ महिला स्वास्थ्य कर्मचारियों का वेतन अभी भी नहीं जारी नहीं हुआ है. अब देखने वाली बात है कि सरकार स्वास्थ्य कर्मियों पर हो रही ऐसी कार्रवाई को रोकने के लिए कितनी गंभीर है. या फिर वैक्सीनेशन का टारगेट पूरा न होने पर स्वास्थ्य विभाग इन छोटे कर्मचारियों पर ही अपना ठीकरा फोड़ता रहेगा.