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छत्तीसगढ़: इकलौता मंदिर जहां ब्रह्मा के साथ होती है विष्णु की पूजा, मूर्तियों में छिपा रहस्य

माना जाता है कि करीब 1 हजार 150 साल पहले राजा हरहरवंशी ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था. 28 खंभों पर टिके इस मंदिर के सभी खंभे तीन फीट चौड़े और 10 फिर लंबे हैं.

नरसिंह नाथ मंदिर
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Published : May 18, 2019, 12:24 PM IST

Updated : May 18, 2019, 2:07 PM IST

रायपुरः ब्रम्हपुरी में स्थित विरंची-नारायण और नरसिंह नाथ मंदिर की प्रतिमाएं तकरीबन 1150 साल पुरानी हैं. प्रतिमा की खास बात यह है कि गर्मियों में ये ठंडी और ठंड के मौसम में गर्म रहती है.

छत्तीसगढ़ का ये एक मात्र ऐसा मंदिर, जानिए 1150 साल पुरानी इन प्रतिमाओं का रहस्य

पूरे छत्तीसगढ़ में ये भगवान विष्णु और ब्रम्हा की एक मात्र मूर्ति है, जो अष्ट धातु से बनी है. यहां भगवान नरसिंह की हिरण्यकश्यप का संहार करते हुए प्रतिमा मौजूद है, जहां उनके बगल से प्रह्लाद खड़े हैं.

हरहरवंशी ने करवाया था निर्माण
माना जाता है कि करीब 1 हजार 150 साल पहले राजा हरहरवंशी ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था. 28 खंभों पर टिके इस मंदिर के सभी खंभे तीन फीट चौड़े और 10 फिर लंबे हैं. वहीं छत की चौड़ाई तीन फीट से भी ज्यादा है. इस मंदिर की छत पर अलग-अलग ताबीज के आकार बनाये गए हैं.

क्या कहते हैं पुजारी
इस मंदिर के गर्भगृह में दोनों भगवान की प्रतिमाएं विराजित हैं. मंदिर के पुजारी महाराज देवदास की मानें तो ये प्रतिमाएं जागृत हैं, इसलिए ये बार-बार अपना स्वरूप बदलती हैं. वहीं पुरातत्वविद् अरुण शर्मा ने बताया कि, 'प्रतिमा का तीसरा भाग काफी नीचे तक है, जिसके कारण वह पानी मे डूबा रहता है. इसके कारण प्रतिमाएं गर्मी के मौसम में ठंडी और ठंड में गर्म रहती हैं. इसमें कोई चमत्कार नहीं है'.

रायपुरः ब्रम्हपुरी में स्थित विरंची-नारायण और नरसिंह नाथ मंदिर की प्रतिमाएं तकरीबन 1150 साल पुरानी हैं. प्रतिमा की खास बात यह है कि गर्मियों में ये ठंडी और ठंड के मौसम में गर्म रहती है.

छत्तीसगढ़ का ये एक मात्र ऐसा मंदिर, जानिए 1150 साल पुरानी इन प्रतिमाओं का रहस्य

पूरे छत्तीसगढ़ में ये भगवान विष्णु और ब्रम्हा की एक मात्र मूर्ति है, जो अष्ट धातु से बनी है. यहां भगवान नरसिंह की हिरण्यकश्यप का संहार करते हुए प्रतिमा मौजूद है, जहां उनके बगल से प्रह्लाद खड़े हैं.

हरहरवंशी ने करवाया था निर्माण
माना जाता है कि करीब 1 हजार 150 साल पहले राजा हरहरवंशी ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था. 28 खंभों पर टिके इस मंदिर के सभी खंभे तीन फीट चौड़े और 10 फिर लंबे हैं. वहीं छत की चौड़ाई तीन फीट से भी ज्यादा है. इस मंदिर की छत पर अलग-अलग ताबीज के आकार बनाये गए हैं.

क्या कहते हैं पुजारी
इस मंदिर के गर्भगृह में दोनों भगवान की प्रतिमाएं विराजित हैं. मंदिर के पुजारी महाराज देवदास की मानें तो ये प्रतिमाएं जागृत हैं, इसलिए ये बार-बार अपना स्वरूप बदलती हैं. वहीं पुरातत्वविद् अरुण शर्मा ने बताया कि, 'प्रतिमा का तीसरा भाग काफी नीचे तक है, जिसके कारण वह पानी मे डूबा रहता है. इसके कारण प्रतिमाएं गर्मी के मौसम में ठंडी और ठंड में गर्म रहती हैं. इसमें कोई चमत्कार नहीं है'.

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Body:रायपुर । रायपुर के ब्रम्हपुरी में स्थित विरंची-नारायण और नृसिंह नाथ मंदिर की प्रतिमा तकरीबन 1150 साल पुरानी है । इस प्रतिमा की खास बात यह है कि यह गर्मियों के मौसम में ठंडी और ठंड के मौसम में गर्म रहती है । ये प्रतिमाएं अष्ट धातुओं से बनी हुई हैं । पूरे छत्तीसगढ़ में ये एक मात्र मूर्ति है जहां भगवान विरंची यानी कि ब्रम्हा और नारायण यानी कि विष्णु की प्रतिमा अष्ट धातु से बनी हो । यहां पर भगवान नृसिंह की राक्षस हिरण्यकश्यप का संहार करते हुए प्रतिमा है । और उनके बगल से प्रहलाद खड़े हैं ।


कहा जाता है कि 1150 साल पहले भोसले राजा हरहरवंशी ने इस मंदिर का निर्माण कार्यवाया था । 28 खंभो पर टिके इस मंदिर के सभी खंभे तीन फीट चौड़े और 10 फिर लंबे हैं ।वहीं छत की चौड़ाई तीन फुट से ज्यादा है । 28 खंभो पर टिके इस मंदिर की छत पर अलग - अलग ताबीज के आकार बनाये गए हैं ।

मंदिर के गर्भगृह में दोनों ही प्रतिमाएं विराजित हैं । यहां प्रतिमाएं गर्मी में ठंडी एयर ठंड में गर्म रहती हैं । मंदिर के पुजारी महाराज देवदास का कहना है चूंकि प्रतिमाएं जागृत हैं इसलिए वे बार - बार अपना स्वरूप बदलती हैं ।

पुरातत्वविद अरुण शर्मा का कहना है कि प्रतिमा का तीसरा भाग काफी नीचे तक है । जिससे वह पानी मे डुबा हुआ रहता है । जमीन के नीचे पानी का स्वभाव होता है कि जब मौसम ठंडा रहे तो पानी गर्म रहता है और जब मौसम गर्म रहता तो पानी ठंडा इसलिए प्रतिमा भी मौसम के विपरीत ही रहती है । इसमें कोई चमत्कार नहीं है ।

बाइट - महाराज देवदास ( पगड़ी वाले )

बाइट - पुरातत्वविद अरुण शर्मा ( सफेद शर्ट )


Conclusion:
Last Updated : May 18, 2019, 2:07 PM IST
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