रायपुरः छत्तीसगढ़ को साल 2017 में 37वें नेशनल गेम्स (37th National Games) की मेजबानी मिली थी, लेकिन छत्तीसगढ़ में अब तक नेशनल गेम (Chhattisgarh National Games) आयोजित नहीं किया जा सका है. 36वें नेशनल गेम्स की मेजबानी गोवा को मिली है, लेकिन अब तक गोवा में नेशनल गेम्स का आयोजन नहीं हो पाया है. पिछले 2 सालों में कोविड के कारण सभी खेलों को पोस्टपोन कर दिया गया था. इसलिए अब तक गोवा में नेशनल गेम्स का आयोजन नहीं हो पाया है और गोवा में नेशनल गेम के आयोजन के बाद ही छत्तीसगढ़ में नेशनल गेम्स का आयोजन हो सकता है. नेशनल गेम्स छत्तीसगढ़ में कम से कम 8 से 10 साल की देरी हो चुकी है. प्रदेश में गेम्स आयोजित न होने से खिलाड़ियों को भी नुकसान हुआ है. इस बारे में ईटीवी भारत ने ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष और कुछ खिलाड़ियों से बातचीत की.
गोवा में नेशनल गेम्स ना होने के कारण छत्तीसगढ़ में नहीं हो पाया है नेशनल गेम्स
ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष बशीर अहमद खान ने इस विषय में बताया कि छत्तीसगढ़ में जो 37वें नेशनल गेम्स होने (All stadiums of Chhattisgarh are ready for 37th National Games) थे. वह लेट होने का कारण इसके पहले गोवा में 36वां नेशनल गेम का आयोजन होना था. लेकिन वहां पर तैयारी न होने की वजह से वहां खेल का आयोजन नहीं हो पाया. लेकिन छत्तीसगढ़ गवर्नमेंट ने इसकी पूरी तैयारी कर रखी है. यहां पर स्टेडियम चालू है और जैसे ही इंडियन ओलिंपिक से आदेश होगा हम नेशनल गेम्स करने को तैयार हैं.
नेशनल गेम्स आयोजित न होने से खिलाड़ियों को हुआ बड़ा नुकसान
इंटरनेशनल वेटलिफ्टर इस विषय में बताते हैं कि प्रदेश में नेशनल गेम्स आयोजित न होने से नेशनल खिलाड़ियों को नुकसान नहीं हो रहा, क्योंकि सभी गेम्स की अलग-अलग फेडरेशन है. उनमें वो अपने गेम्स कराते हैं. उसमें सर्टिफिकेट मिलता है. उस हिसाब से खिलाड़ियों को स्कॉलरशिप और जॉब मुहैया कराया जाता है. ऐसा नहीं है कि राष्ट्रीय खेल न होने से किसी खिलाड़ी का नुकसान हो, लेकिन जो खेल मेला है, जैसे ओलंपिक होता है, एशियन गेम होता है, यह उसी तरह खेल मेला है. स्कूल ओलंपिक गेम्स के अलावा 30-40 नॉन ओलंपिक गेम्स को लेकर चलता है. इस वजह से खिलाड़ियों में क्वालिटी नहीं आ पाती स्कूलों में ओलंपिक गेम्स को ज्यादा महत्व देना चाहिए और खेल विभाग को और सरकार को भी ओलंपिक गेम्स को महत्व देकर उन खिलाड़ियों पर मेहनत करनी चाहिए ताकि वह हमारे राज्य या देश के लिए मेडल ला सके.
8 से 10 साल हो चुका है लेट
खिलाड़ी बताते हैं कि नेशनल गेम्स अगर गोवा में जल्दी नहीं होता है तो हम 2024 से पहले प्रदेश में नेशनल गेम्स करा लेंगे. नेशनल गेम्स कम से कम 8 से 10 साल लेट हो चुका है. नेशनल खिलाड़ी अपने-अपने संघ से खेल कर नेशनल इंटरनेशनल खेल लेते हैं. लेकिन कुछ एक खिलाड़ियों को नुकसान भी हुआ है. क्योंकि जब नेशनल गेम्स प्रदेश में होते हैं. तो कई खिलाड़ियों को जो एक्सपोजर मिलता है और कंपटीशन भी रहता है राज्यों में कि किसको कितना मेडल मिला वो नही हो पा रहा है.
कोरोना ने बिगाड़ा पूरा खेल
पिछले 2 सालों से पूरी दुनिया में खेलों को लेकर ब्रेक लग चुका है. कोविड के कारण हर किसी के सामने दिक्कतें पेश आ रही है. पिछले 2 साल में एशिया में बहुत कम खेल ऐसे हैं जो कंटिन्यू कर रहे हैं. उस कारणखिलाड़ियों को नुकसान हुआ है और छत्तीसगढ़ को भी उससे बहुत नुकसान हुआ है.क्योंकि अभी-अभी हमने स्टार्ट किया है. अभी एक-दो गेम हो रहा है. हम खेल संघ को प्रोत्साहित कर रहे हैं कि वह अपने बच्चों को तैयार करें और अलग-अलग गेम्स में भेजें.
नेशनल गेम्स के लिए प्रदेश में कई स्टेडियम, मेंटेनेंस की है जरूरत
इस विषय में इंटरनेशनल हॉकी खिलाड़ी बताते हैं कि कोरोना महामारी से पूरा विश्व जूझ रहा है. नेशनल गेम्स हर एक देश और हर राज्य के खिलाड़ियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. नेशनल गेम्स होते रहने से सीनियर खिलाड़ियों को स्कूल के खिलाड़ियों को एक दिशा मिलती है. एक टारगेट मिलता है. एक प्लेटफार्म मिलता है. उनको अपनी प्रतिभा दिखाने का. नेशनल गेम्स के लिए स्टेडियम तो लगभग तैयार है. लेकिन हमें खुद नहीं पता कि हमें नेशनल गेम्स कब करवाना है. जैसे ही हमें पता चल जाएगा थोड़ा बहुत जो काम है. वह भी हम करा लेंगे. लगभग हमारे यहां पर तैयारी पूरी है. सिर्फ मेंटेनेंस करवाना है. वैसे छोटी-मोटी तैयारियां तो हम लगातार कर ही रहे हैं. हमें हमारी कमियों के भी बारे में पता है. जैसे कोई डेट अनाउंस होता है. वैसे ही हम उन तैयारियों में जुट सकते हैं. नेशनल गेम्स कराने के लिए हमारा राज्य सक्षम है. साथ ही हम एक्साइटेड भी हैं.
सरकार को खिलाड़ियों पर ध्यान देने की है जरूरत
इस विषय में खिलाड़ी बताते हैं कि हमने नेशनल तो खेला है लेकिन प्रदेश में खिलाड़ियों के लिए उतनी फैसिलिटी नहीं है कि एक खिलाड़ी अपना 100% सिर्फ खेल पर दे और वह आगे बढ़ सके. हमारे जो कोच हैं वह अपनी तरफ से हमें फैसिलिटी प्रोवाइड करवाते हैं. कई स्पोर्ट्स में सरकार की तरफ से हमें सपोर्ट नहीं मिलता है. यह बहुत बड़ी कमी है. खिलाड़ियों के लिए अगर सरकार हमें सपोर्ट करें और हमारे पीछे मेहनत करे, तो हरियाणा, पंजाब जैसे राज्यों से ज्यादा मैडल छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी ला सकते हैं.