रायपुर: कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने बुधवार को राजभवन पहुंचकर राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात की है. मुलाकात के बाद मंत्री ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान बताया कि पुलिस स्मृति समारोह के दौरान राज्यपाल की मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात हुई थी. इस दौरान राज्यपाल ने मुख्यमंत्री से विधानसभा के विशेष सत्र बुलाए जाने पर चर्चा की साथ ही केंद्रीय कृषि बिल और राज्य के कृषि बिल को लेकर जानकारी मांगी थी.
राज्यपाल जानना चाहती हैं कि आखिर केंद्रीय कृषि बिल और राज्य के कृषि बिल में क्या अंतर है. इसकी आवश्यकता राज्य में क्यों पड़ रही है. इसके बाद कृषि मंत्री रविंद्र चौबे राजभवन पहुंचे थे. उन्होंने राज्यपाल को पूरी जानकारी देते हुए हालातों से अवगत कराया है.
विशेष सत्र पर अब भी असमंजस
राज्यपाल से मुलाकात के बावजूद अभीतक विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. मुलाकात के बाद भी मंत्री ने विधानसभा के विशेष सत्र को लेकर अधिसूचना जारी होने के साफ संकेत नहीं दिए हैं. ऐसे में फिलहाल पूरी स्थिति साफ नहीं हो सकी है.
विशेष सत्र पर राजभवन और सरकार आमने-सामने!
छत्तीसगढ़ में केंद्र के लागू किए गए कृषि कानूनों में संशोधन के लिए विधानसभा के प्रस्तावित विशेष सत्र की फाइल राज्यपाल ने लौटा दी थी. सरकार ने 27-28 अक्टूबर को दो दिवसीय सत्र का प्रस्ताव भेजा था. मंगलवार को फाइल लौटाते हुए राज्यपाल अनुसुइया उइके ने सरकार से पूछा है कि अभी 58 दिन पहले ही विधानसभा की बैठक हुई है. इसके बाद ऐसी कौन सी परिस्थिति आ गई कि विशेष सत्र बुलाए जाने की जरूरत पड़ गई है. सत्र के दौरान क्या-क्या काम होंगे. जिसके बाद तत्काल सरकार ने राज्यपाल के सवालों का जवाब देते हुए फाइल फिर से राजभवन भेज दिया है. सरकार की ओर से बताया गया है कि केंद्रीय कानूनों से राज्य के किसानों के हितों की रक्षा और आशंकाओं को दूर करने के लिए यह सत्र जरूरी है.
टकराव की खबरें तेज
विधानसभा सत्र को लेकर राजभवन से टकराव के मुद्दे पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बड़ा बयान दिया था. मंगलवार को उन्होंने कहा कि कोई भी बिल विधानसभा से पास होने के बाद राजभवन जाता है. सबसे पहली बात है कि जो पूर्ण बहुमत की सरकार है उसे सत्र बुलाने से राज्यपाल नहीं रोक सकती हैं.
पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र में भी राजभवन से टकराव
राज्य पुलिस अधिकारी को कानून-व्यवस्था को लेकर राज्यपाल धनखड़ ने पश्चिम बंगाल CM को पत्र लिखा था. जिस पर ममता बनर्जी उन पर जमकर बरसी थीं. उन्होंने धनखड़ को संविधान के दायरे में रहकर काम करने की नसीहत तक दे डाली थी। सीएम ने कहा था कि अनुच्छेद 163 के अनुसार, राज्यपाल को अपने मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के अनुसार कार्य करना अनिवार्य है. महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने हाल ही में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को प्रदेश के मंदिरों को अनलॉक किए जाने को लेकर पत्र लिखा था. राज्यपाल ने ठाकरे को पत्र में पूछा कि क्या वह अब सेक्युलर हो गए हैं. इस पर शिवसेना की ओर से भी प्रतिक्रिया दी गई.