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बारिश में फसल बचाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को दी नसीहत - फल-सब्जी

प्रदेश में लगातार हो रही भारी बारिश (Heavy rain)से किसानों (farmers)को फसल नुकसान (crop loss) का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. ऐसे में रायपुर (Raipur) में कृषि वैज्ञानिकों (agricultural scientist)ने इन किसानों को फसल बचाव के कई उपाय सुझाये हैं. जिनसे किसानों को राहत मिल सकती है.

Agricultural scientists gave advice to farmers
कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को दी नसीहत
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Published : Sep 19, 2021, 2:23 PM IST

Updated : Sep 19, 2021, 3:12 PM IST

रायपुरः प्रदेश में लगातार हो रही भारी बारिश (Heavy rain)से किसानों (farmers)को फसल नुकसान (crop loss) का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. ऐसे में रायपुर (Raipur) में कृषि वैज्ञानिकों (agricultural scientist)ने इन किसानों को फसल बचाव के कई उपाय सुझाये हैं. जिनसे किसानों को राहत मिल सकती है. दरअसल, कृषि वैज्ञानिक भी मानते हैं कि यदि कुछ दिन भारी बारिश नहीं होती तो प्रदेश में कई जिलों में सूखे जैसे हालात बन सकता थी. हालांकि भारी बारिश से सूखे की स्थिति प्रदेश में नहीं बन रही हैं. लेकिन कम बारिश होने की वजह से धान की फसलों पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है. साथ ही फल-सब्जी (fruit vegetables)की फसलों को भारी बारिश के कारण नुकसान भी पहुंचा है.

कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को दी नसीहत

इस मुद्दे पर कृषि वैज्ञानिक डॉ. घनश्याम साहू बताते हैं कि यदि चार-पांच दिन पानी और नहीं गिरा होता तो प्रदेश में सूखे जैसे हालात हो जाते हैं. छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा धान की पैदावार होती है और बारिश का पानी धान के लिए काफी लाभदायक होता है.

कोरिया में हाथियों ने मकान तोड़ने के साथ ही उजाड़ी 20 खेतों की फसल

दलहन-तिलहन की फसलों को पहुंचा नुकसान

हालांकि,जो दलहन-तिलहन वाली फसल है, जैसे सोयाबीन, अरहर, मूंगफली इन फसलों के लिए जलभराव की स्थिति में फसल को काफी नुकसान हुआ है. ऐसे में डॉ. घनश्याम ने किसान भाइयों को सलाह दी कि इन फसलों के लिए वर्षा का पानी निकालने की व्यवस्था की जाए और पानी को खेत पर रुकने ना दिया जाए. ऐसे में फसल नष्ट होने से बच सकेंगे. अगर उद्यानिकी फसल की बात की जाए तो जिन किसान भाइयों ने जुलाई-अगस्त के महीने में मिर्च के फसल लगाए थे. उन पर बारिश का खासा प्रभाव पड़ा है. इसके साथ ही टमाटर की फसल पर भी काफी असर देखने को मिला है. टमाटर के पौधों की पत्तियां झड़ गई है. यानी कि भारी बारिश से टमाटर और मिर्च की फसल को काफी नुकसान हुआ है.

पपीते के पेड़ को मिट्टी की जरुरत

इसके अलावा डॉ. घनश्याम ने बताया कि जिस पपीता के पेड़ में ज्यादा फल आए थे, उन पेड़ों के गिरने की स्थिति देखने को मिली है. इसे देखते हुए उन्होंने किसान भाइयों को पपीते के पेड़ पर मिट्टी चढ़ाने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि किसान भाई इन सभी फसलों में जलभराव की स्थिति निर्मित ना होने दे. अगर खेत में पानी भर जाती है तो उसकी निकासी आवश्यक है.

सोयाबीन की फसलों पर कीटनाशक का छिड़काव जरुरी

साथ ही डॉ. घनश्याम ने बताया कि सोयाबीन की फसल में इल्ली लग गई है. इसको बचाना बेहद आवश्यक है. इसके लिए भी जो सिस्टमिक या अन्य कीटनाशक दवाओं का छिड़काव है वो किसान भाइयों को जरूर करना चाहिए.

इन क्षेत्रों में हुई है कम बारिश

इसके अलावा डॉ. घनश्याम ने बताया कि बीजापुर बालोद में काफी बारिश हुई है, लेकिन गरियाबंद, देवभोग, उड़ीसा से सटे महासमुंद के क्षेत्र में अभी बारिश नहीं हुई है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि रायपुर, बिलासपुर, मुंगेली ओर कवर्धा में बारिश पर्याप्त हुई है. इन जगहों पर यदि किसान अपने खेतों में पर्याप्त मात्रा में पानी रखते है तो धान की पैदावार अच्छी हो सकती है.

रायपुरः प्रदेश में लगातार हो रही भारी बारिश (Heavy rain)से किसानों (farmers)को फसल नुकसान (crop loss) का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. ऐसे में रायपुर (Raipur) में कृषि वैज्ञानिकों (agricultural scientist)ने इन किसानों को फसल बचाव के कई उपाय सुझाये हैं. जिनसे किसानों को राहत मिल सकती है. दरअसल, कृषि वैज्ञानिक भी मानते हैं कि यदि कुछ दिन भारी बारिश नहीं होती तो प्रदेश में कई जिलों में सूखे जैसे हालात बन सकता थी. हालांकि भारी बारिश से सूखे की स्थिति प्रदेश में नहीं बन रही हैं. लेकिन कम बारिश होने की वजह से धान की फसलों पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है. साथ ही फल-सब्जी (fruit vegetables)की फसलों को भारी बारिश के कारण नुकसान भी पहुंचा है.

कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को दी नसीहत

इस मुद्दे पर कृषि वैज्ञानिक डॉ. घनश्याम साहू बताते हैं कि यदि चार-पांच दिन पानी और नहीं गिरा होता तो प्रदेश में सूखे जैसे हालात हो जाते हैं. छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा धान की पैदावार होती है और बारिश का पानी धान के लिए काफी लाभदायक होता है.

कोरिया में हाथियों ने मकान तोड़ने के साथ ही उजाड़ी 20 खेतों की फसल

दलहन-तिलहन की फसलों को पहुंचा नुकसान

हालांकि,जो दलहन-तिलहन वाली फसल है, जैसे सोयाबीन, अरहर, मूंगफली इन फसलों के लिए जलभराव की स्थिति में फसल को काफी नुकसान हुआ है. ऐसे में डॉ. घनश्याम ने किसान भाइयों को सलाह दी कि इन फसलों के लिए वर्षा का पानी निकालने की व्यवस्था की जाए और पानी को खेत पर रुकने ना दिया जाए. ऐसे में फसल नष्ट होने से बच सकेंगे. अगर उद्यानिकी फसल की बात की जाए तो जिन किसान भाइयों ने जुलाई-अगस्त के महीने में मिर्च के फसल लगाए थे. उन पर बारिश का खासा प्रभाव पड़ा है. इसके साथ ही टमाटर की फसल पर भी काफी असर देखने को मिला है. टमाटर के पौधों की पत्तियां झड़ गई है. यानी कि भारी बारिश से टमाटर और मिर्च की फसल को काफी नुकसान हुआ है.

पपीते के पेड़ को मिट्टी की जरुरत

इसके अलावा डॉ. घनश्याम ने बताया कि जिस पपीता के पेड़ में ज्यादा फल आए थे, उन पेड़ों के गिरने की स्थिति देखने को मिली है. इसे देखते हुए उन्होंने किसान भाइयों को पपीते के पेड़ पर मिट्टी चढ़ाने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि किसान भाई इन सभी फसलों में जलभराव की स्थिति निर्मित ना होने दे. अगर खेत में पानी भर जाती है तो उसकी निकासी आवश्यक है.

सोयाबीन की फसलों पर कीटनाशक का छिड़काव जरुरी

साथ ही डॉ. घनश्याम ने बताया कि सोयाबीन की फसल में इल्ली लग गई है. इसको बचाना बेहद आवश्यक है. इसके लिए भी जो सिस्टमिक या अन्य कीटनाशक दवाओं का छिड़काव है वो किसान भाइयों को जरूर करना चाहिए.

इन क्षेत्रों में हुई है कम बारिश

इसके अलावा डॉ. घनश्याम ने बताया कि बीजापुर बालोद में काफी बारिश हुई है, लेकिन गरियाबंद, देवभोग, उड़ीसा से सटे महासमुंद के क्षेत्र में अभी बारिश नहीं हुई है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि रायपुर, बिलासपुर, मुंगेली ओर कवर्धा में बारिश पर्याप्त हुई है. इन जगहों पर यदि किसान अपने खेतों में पर्याप्त मात्रा में पानी रखते है तो धान की पैदावार अच्छी हो सकती है.

Last Updated : Sep 19, 2021, 3:12 PM IST
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