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रायपुर: स्वदेशी मेले में गोबर से बनी अगरबत्ती और साबुन है लोगों के आकर्षण का केंद्र

रायपुर के शंकर नगर स्थित बीटीआई मैदान में आठ दिवसीय स्वदेशी मेला का आयोजन किया गया है. जिसमें देश के कई राज्यों से आए लोग अलग-अलग सामानों की प्रदर्शनी लगाते हैं.

2020 swadeshi mela raipur
रायपुर में स्वदेशी मेला
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Published : Jan 7, 2020, 10:30 PM IST

Updated : Jan 7, 2020, 11:16 PM IST

रायपुर: भारतीय उत्पादों और लोक संस्कृति को लोकप्रिय बनाने के लिए हर साल स्वदेशी मेले का आयोजन किया जाता है. इस बार रायपुर के शंकर नगर स्थित बीटीआई मैदान में आठ दिवसीय स्वदेशी मेले का आयोजन किया गया है. जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से आए हुए कलाकार अपनी कला की प्रस्तुति कर रहे हैं.

रायपुर में स्वदेशी मेला

वहीं इस मेले में खाद्य वस्तुओं से लेकर घर सजाने और खादी के कपड़े लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. यहां स्टोर पर मिल रहे उत्पाद देसी तकनीक से बने हैं चाहे वह मिट्टी से बना तवा हो, गोबर से बना साबुन या अगरबत्ती.

गोबर से बना साबुन और अगरबत्ती
स्वदेशी मेले में गौउत्पाद का स्टॉल लगाने वाले सपन गोयल ने बताया कि, 'अगरबत्ती और साबुन शुद्ध देसी तरीके से बनाया गया है और इसे गाय के गोबर, मूत्र, मिट्टी और चंदन के साथ मिलाकर बनाया गया है.'
उन्होंने बताया कि, 'अगरबत्ती और साबुन के उपयोग से शरीर पर किसी तरह का असर नहीं पड़ता. वहीं साबुन से शरीर में होने वाले चर्म बीमारी से बचा जा सकता है.'

सपन 20 साल से यह काम कर रहे हैं और गौशाला से अगरबत्ती और साबुन तैयार किया जाता है. इसके साथ ही मेले में देसी गाय के बारे में लोगों को जानकारी दी जा रही है.

खादी का जलवा
वह इस मेले में खादी के कपड़ों को भी मॉडर्न तरीकों से डिजाइन कर बेचा जा रहा है. जो लोगों को काफी पसंद आ रहा है. नागपुर से आए हुए फैशन डिज़ाइनर आदित्य जैन ने बताया कि, 'लोग कहते हैं कि खादी आउट ऑफ फैशन हो चुका है, लेकिन ऐसा नहीं है. खादी को हम नए ट्रैंडी लुक के साथ यहां लेकर आए हैं, जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं. इसमें हाथ से कारीगरी कर नया लुक दिया जा रहा है.'

मिट्टी से बने बर्तन लोगों के आकर्षण का केंद्र
इसके अलावा मिट्टी से बना तवा और हांडी लोग अपने घरों के लिए खरीद रहे हैं. दुकानदार मोहन चौहान ने इसकी खासियत के बारे में बताया कि इसे गैस के चूल्हे पर इस्तेमाल किया जा सकता है. इसकी कीमत भी कुछ ज्यादा नहीं सिर्फ 300 रुपये से 500 तक है.

रायपुर: भारतीय उत्पादों और लोक संस्कृति को लोकप्रिय बनाने के लिए हर साल स्वदेशी मेले का आयोजन किया जाता है. इस बार रायपुर के शंकर नगर स्थित बीटीआई मैदान में आठ दिवसीय स्वदेशी मेले का आयोजन किया गया है. जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से आए हुए कलाकार अपनी कला की प्रस्तुति कर रहे हैं.

रायपुर में स्वदेशी मेला

वहीं इस मेले में खाद्य वस्तुओं से लेकर घर सजाने और खादी के कपड़े लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. यहां स्टोर पर मिल रहे उत्पाद देसी तकनीक से बने हैं चाहे वह मिट्टी से बना तवा हो, गोबर से बना साबुन या अगरबत्ती.

गोबर से बना साबुन और अगरबत्ती
स्वदेशी मेले में गौउत्पाद का स्टॉल लगाने वाले सपन गोयल ने बताया कि, 'अगरबत्ती और साबुन शुद्ध देसी तरीके से बनाया गया है और इसे गाय के गोबर, मूत्र, मिट्टी और चंदन के साथ मिलाकर बनाया गया है.'
उन्होंने बताया कि, 'अगरबत्ती और साबुन के उपयोग से शरीर पर किसी तरह का असर नहीं पड़ता. वहीं साबुन से शरीर में होने वाले चर्म बीमारी से बचा जा सकता है.'

सपन 20 साल से यह काम कर रहे हैं और गौशाला से अगरबत्ती और साबुन तैयार किया जाता है. इसके साथ ही मेले में देसी गाय के बारे में लोगों को जानकारी दी जा रही है.

खादी का जलवा
वह इस मेले में खादी के कपड़ों को भी मॉडर्न तरीकों से डिजाइन कर बेचा जा रहा है. जो लोगों को काफी पसंद आ रहा है. नागपुर से आए हुए फैशन डिज़ाइनर आदित्य जैन ने बताया कि, 'लोग कहते हैं कि खादी आउट ऑफ फैशन हो चुका है, लेकिन ऐसा नहीं है. खादी को हम नए ट्रैंडी लुक के साथ यहां लेकर आए हैं, जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं. इसमें हाथ से कारीगरी कर नया लुक दिया जा रहा है.'

मिट्टी से बने बर्तन लोगों के आकर्षण का केंद्र
इसके अलावा मिट्टी से बना तवा और हांडी लोग अपने घरों के लिए खरीद रहे हैं. दुकानदार मोहन चौहान ने इसकी खासियत के बारे में बताया कि इसे गैस के चूल्हे पर इस्तेमाल किया जा सकता है. इसकी कीमत भी कुछ ज्यादा नहीं सिर्फ 300 रुपये से 500 तक है.

Intro:रोजमर्रा की जिंदगी में साबुन और अगरबत्ती का इस्तेमाल तो हर व्यक्ति करता है पर कभी कोई सोच सकता है कि गाय के गोबर से भी साबुन और अगरबत्ती बनाया जा सकता है सुनकर जरूर आश्चर्य होगा पर रायपुर में हर साल की तरह इस साल भी स्वदेशी मेले का आयोजन किया गया है जिसमें सपन गोयल द्वारा बताया की वह गाय के गोबर से बने हुए समान स्वदेशी मेले में ले कर आये है सपन गोयल ने बताया कि यह अगरबत्ती और साबुन शुद्ध देसी तरीके से बनाया गया है और इसे गाय के गोबर , मूत्र , मिट्टी और चंदन के साथ मिलाकर बनाया गया है। अगरबत्ती और साबुन के उपयोग से शरीर पर किसी तरह का असर नहीं पड़ता वही साबुन से शरीर में होने वाले चर्म बीमारी से बचा जा सकता है वह 20 साल से यह कार्य कर रहे हैं और गौशाला से अगरबत्ती और साबुन तैयार किया जाता है मेले में देसी गाय के बारे में लोगों को जानकारी दी जा रही है।







Body:भारतीय उत्पादों व लोक संस्कृति को लोकप्रिय बनाने के लिए प्रतिवर्ष स्वदेशी मेला का आयोजन किया जाता है इसबार रायपुर के शंकर नगर स्थित बीटीआई मैदान में आठ दिवसीय स्वदेशी मेला का आयोजन किया गया है जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से आए हुए कलाकार अपनी कला की प्रस्तुति कर रहे हैं। वहीं इस मेले में खाद्य वस्तुओं से लेकर घर सजाने व खादी के कपड़े लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं यहां स्टोर पर मिल रहे उत्पाद देसी तकनीक से बने हैं चाहे वह मिट्टी से बना तवा हो , गोबर से बना साबुन या गोमूत्र।

वह इस मेले में खादी के कपड़ों को भी मॉडर्न तरीकों से डिजाइन कर बेचा जा रहा है जो लोगों को काफी पसंद आ रहा है नागपुर से आए हुए फैशन डिज़ाइनर आदित्य जैन द्वारा बताया गया लोग कहते हैं कि खादी आउट ऑफ फैशन हो चुका है लेकिन उसको या नए फ्रेंड नए लुक के साथ डिजाइन कर बेच रहे हैं जो कि लोगों को काफी पसंद आ रहा है साथ ही खादी को में हाथ से कारीगरी कर उसे नया लुक दिया जा रहा है।




Conclusion:इसके अलावा मिट्टी से बना तवावा हांडी लोग अपने घरों के लिए खरीद रहे हैं दुकानदार मोहन चौहान ने इस तरह की खासियत के बारे में बताया कि इसे गैस के चूल्हे पर इस्तेमाल किया जा सकता है इसकी कीमत भी कुछ ज्यादा नहीं सिर्फ 300 से 500 तक है।

बाइट :- सपन गोयल कारोबारी सफेद जैकेट
बाइट :- आदित्य जैन फैशन डिजाइनर लाल जैकेट
बाइट :- नानित गोष स्थानीय निवासी सफेद साड़ी
बाइट :- ममता शर्मा स्थानीय निवासी लाल साड़ी
Last Updated : Jan 7, 2020, 11:16 PM IST
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