ETV Bharat / state

SPECIAL: कोरोना काल में शिक्षकों पर दोहरी जिम्मेदारी, सर्वे और हेल्थ चेकअप ने बढ़ाई मुसीबत

author img

By

Published : Aug 26, 2020, 7:59 PM IST

छत्तीसगढ़ में सरकारी स्कूल के शिक्षकों को अब ऑनलाइन क्लास के साथ-साथ कोरोना संबंधित सर्वे और लोगों का हेल्थ चेकअप भी करना पड़ रहा है.जिसे लेकर प्रदेशभर के शिक्षकों में नाराजगी है.

responsibility of health checkup to teachers
शिक्षकों पर दोहरी जिम्मेदारी

रायपुर: कोरोना वायरस का संक्रमण छत्तीसगढ़ में तेजी से पैर पसार रहा. कोरोना ने आम लोग ही नहीं बल्कि, राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र के लोगों को भी प्रभावित किया है. वहीं राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की कोविड-19 से जुड़े कार्यों में ड्यूटी लगा दी है. कोरोना संकट के कारण प्रदेश में स्कूल नहीं खुल पाए हैं. डिजिटल क्लास और मोहल्लों में लाउडस्पीकर से पढ़ाए जाने जैसे तमाम प्रयोग किए जा रहे है. शिक्षक पहले ही तमाम तरह की परेशानियों को झेलते हुए काम कर रहे हैं. लेकिन अब शिक्षकों को राजधानी रायपुर समेत प्रदेश के दूसरे हिस्सों के गली मोहल्लों में सर्वे के लिए लगा दिया है. यहीं नहीं अब शिक्षकों को स्वास्थ्यकर्मियों की तरह लोगों का ऑक्सीजन और हेल्थ चेकअप करने का भी जिम्मा दिया जा रहा है. जिसे लेकर प्रदेशभर के शिक्षकों में नाराजगी है.

दोहरी जिम्मेदारी से शिक्षक परेशान

कोरोना संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार ने 31 अगस्त तक स्कूल कॉलेज बंद रखने का फैसला लिया है. इसके बावजूद शिक्षकों को स्कूल के अलावा अन्य कामों से मुक्त नहीं किया गया है. पहले स्कूल बंद होने के हालात में भी शिक्षकों को मोबाइल और डिजिटल तरीके से ही बच्चों को पढ़ाने के लिए जिम्मा सौंपा गया है. इसके बाद कोविड-19 के बढ़ते हालात के बीच शिक्षकों को गली मोहल्लों में जाकर कॉपी पुस्तक बांटने और अन्य कामों की ड्यूटी लगा दी गई. इतना ही नहीं शिक्षकों को स्कूलों में कागजी काम के अलावा कोरोना संकट के दौरान सर्वे के काम में भी लगा दिया गया है.

शिक्षाकर्मियों का नहीं हुआ स्वास्थ्य बीमा

शिक्षकों को कंटेनमेंट जोन में भी जाकर लोगों को अवेयर करना पड़ रहा है. इसके चलते कई शिक्षक भी अब कोरोना की चपेट में आ गए हैं. प्रदेश के 3 शिक्षकों की कोविड-19 से मौत भी हो चुकी है. इसे लेकर अब शिक्षाकर्मी संगठनों ने भी खुलकर आपत्ति जताई है. शालेय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने कहा है कि शिक्षकों को कोरोनावायरस से संबंधित ड्यूटी लगाई जा रही है जो गलत है. शिक्षाकर्मियों को ना किसी स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया जा रहा है और ना ही किसी तरह की कोई ट्रेनिंग. सीधे कोरोना की आग में धकेलने का काम सरकार कर रही है.

पढ़ें-SPECIAL: कांकेर में हांफ रही 'पढ़ई तुंहर दुआर' योजना, बिना नेटवर्क डगमगा रहा बच्चों का भविष्य

राजधानी रायपुर के कंटेनमेंट जोन में शिक्षाकर्मियों की ड्यूटी लगा दी गई है. इन्हे कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग से लेकर मरीजों को अस्पताल पहुंचाने तक की जिम्मेदारी दी गई है. अब शिक्षकों को स्वास्थ्य कर्मियों का भी काम कराया जा रहा है.

गांव के शिक्षकों की शहर में लगाई गई ड्यूटी

कुछ दिनों पहले शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने शिक्षकों के शिक्षण कार्य के अलावा अन्य कामों में ड्यूटी नहीं लगाने के लिए सभी कलेक्टरों को निर्देश जारी किए थे. इसके बाद भी शिक्षकों को स्कूलों में कागजी कामों और करोना संक्रमण के दौरान सर्वे काम में लगाया गया है. सिर्फ रायपुर में ही 1 हजार से ज्यादा शिक्षकों को कोरोना संबंधित सर्वे का काम दिया गया है. इसके चलते ऑनलाइन कक्षाएं भी प्रभावित हो रही है.

सुविधाओं की मांग

शहर के स्कूलों के टीचर ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे हैं वहीं ग्रामीण इलाकों से आने वाले शिक्षकों को शहर में सर्वे के लिए लगा दिया गया है. ड्यूटी खत्म होने के बाद वे गांव जाते हैं, ऐसे में संक्रमण का खतरा और बढ़ जाता है. शिक्षाकर्मी कहते हैं कि वे लगातार मांग कर रहे हैं कि शिक्षकों को बीमा कवर दिया जाए या दूर से आने वाले शिक्षकों उन्हें TA-DA दिया जाए. लेकिन उन्हें ऐसी कोई सुविधा नहीं दी गई है.

पढ़ें- SPECIAL: 'पढ़ई तुंहर दुआर' और नेटवर्क का रोड़ा, शिक्षक ले रहे ऑफलाइन क्लास

जान जोखिम में डालकर काम कर रहे शिक्षक

उन्होंने बताया कि जान जोखिम में डालकर सभी टीचर ड्यूटी कर रहे हैं. प्रशासन किसी तरह की कोई जिम्मेदारी भी नहीं ले रहा है. एक ओर सर्वे का काम दिया गया है तो दूसरी ओर ऑनलाइन क्लास और मोहल्ले में जाकर पढ़ाने का भी दबाव है. शिक्षकों को प्रताड़ित और परेशान किया जा रहा है.

महिला शिक्षकों को दोहरी परेशानी

कोरोना संकट में वैसे तो सभी शिक्षकों की ड्यूटी लगा दी गई है. लेकिन महिला शिक्षकों के सामने अब दोहरी परेशानी है. घर परिवार के काम के साथ ही अब कोरोना की ड्यूटी बहुत ही चैलेंजिंग है. घर में भी संक्रमण का खतरा बना रहता है. पहले तो सर्वे का दबाव था. अब तो सर्वे के साथ हमें ऑक्सीमीटर भी थमा दिया गया है.

दूसरे काम भी हो रहे प्रभावित

छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में शिक्षकों की कोरोना वायरस से संबंधित ड्यूटी लगाई जा रही है. ऐसे में पूरे राज्य में विद्यालयों में प्रवेश, निशुल्क गणवेश, निशुल्क साइकिल वितरण, छात्रवृत्ति, मध्यान भोजन, ऑनलाइन पढ़ाई अन्य कामों पर भी ड्यूटी लगा दी गई है. जिसके चलते तमाम काम प्रभावित हो रहे हैं. ऐसे हालात में शिक्षकों का अन्य स्थानों में ड्यूटी लगाया जाना भी उचित नजर नहीं आता है.

रायपुर: कोरोना वायरस का संक्रमण छत्तीसगढ़ में तेजी से पैर पसार रहा. कोरोना ने आम लोग ही नहीं बल्कि, राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र के लोगों को भी प्रभावित किया है. वहीं राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की कोविड-19 से जुड़े कार्यों में ड्यूटी लगा दी है. कोरोना संकट के कारण प्रदेश में स्कूल नहीं खुल पाए हैं. डिजिटल क्लास और मोहल्लों में लाउडस्पीकर से पढ़ाए जाने जैसे तमाम प्रयोग किए जा रहे है. शिक्षक पहले ही तमाम तरह की परेशानियों को झेलते हुए काम कर रहे हैं. लेकिन अब शिक्षकों को राजधानी रायपुर समेत प्रदेश के दूसरे हिस्सों के गली मोहल्लों में सर्वे के लिए लगा दिया है. यहीं नहीं अब शिक्षकों को स्वास्थ्यकर्मियों की तरह लोगों का ऑक्सीजन और हेल्थ चेकअप करने का भी जिम्मा दिया जा रहा है. जिसे लेकर प्रदेशभर के शिक्षकों में नाराजगी है.

दोहरी जिम्मेदारी से शिक्षक परेशान

कोरोना संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार ने 31 अगस्त तक स्कूल कॉलेज बंद रखने का फैसला लिया है. इसके बावजूद शिक्षकों को स्कूल के अलावा अन्य कामों से मुक्त नहीं किया गया है. पहले स्कूल बंद होने के हालात में भी शिक्षकों को मोबाइल और डिजिटल तरीके से ही बच्चों को पढ़ाने के लिए जिम्मा सौंपा गया है. इसके बाद कोविड-19 के बढ़ते हालात के बीच शिक्षकों को गली मोहल्लों में जाकर कॉपी पुस्तक बांटने और अन्य कामों की ड्यूटी लगा दी गई. इतना ही नहीं शिक्षकों को स्कूलों में कागजी काम के अलावा कोरोना संकट के दौरान सर्वे के काम में भी लगा दिया गया है.

शिक्षाकर्मियों का नहीं हुआ स्वास्थ्य बीमा

शिक्षकों को कंटेनमेंट जोन में भी जाकर लोगों को अवेयर करना पड़ रहा है. इसके चलते कई शिक्षक भी अब कोरोना की चपेट में आ गए हैं. प्रदेश के 3 शिक्षकों की कोविड-19 से मौत भी हो चुकी है. इसे लेकर अब शिक्षाकर्मी संगठनों ने भी खुलकर आपत्ति जताई है. शालेय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने कहा है कि शिक्षकों को कोरोनावायरस से संबंधित ड्यूटी लगाई जा रही है जो गलत है. शिक्षाकर्मियों को ना किसी स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया जा रहा है और ना ही किसी तरह की कोई ट्रेनिंग. सीधे कोरोना की आग में धकेलने का काम सरकार कर रही है.

पढ़ें-SPECIAL: कांकेर में हांफ रही 'पढ़ई तुंहर दुआर' योजना, बिना नेटवर्क डगमगा रहा बच्चों का भविष्य

राजधानी रायपुर के कंटेनमेंट जोन में शिक्षाकर्मियों की ड्यूटी लगा दी गई है. इन्हे कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग से लेकर मरीजों को अस्पताल पहुंचाने तक की जिम्मेदारी दी गई है. अब शिक्षकों को स्वास्थ्य कर्मियों का भी काम कराया जा रहा है.

गांव के शिक्षकों की शहर में लगाई गई ड्यूटी

कुछ दिनों पहले शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने शिक्षकों के शिक्षण कार्य के अलावा अन्य कामों में ड्यूटी नहीं लगाने के लिए सभी कलेक्टरों को निर्देश जारी किए थे. इसके बाद भी शिक्षकों को स्कूलों में कागजी कामों और करोना संक्रमण के दौरान सर्वे काम में लगाया गया है. सिर्फ रायपुर में ही 1 हजार से ज्यादा शिक्षकों को कोरोना संबंधित सर्वे का काम दिया गया है. इसके चलते ऑनलाइन कक्षाएं भी प्रभावित हो रही है.

सुविधाओं की मांग

शहर के स्कूलों के टीचर ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे हैं वहीं ग्रामीण इलाकों से आने वाले शिक्षकों को शहर में सर्वे के लिए लगा दिया गया है. ड्यूटी खत्म होने के बाद वे गांव जाते हैं, ऐसे में संक्रमण का खतरा और बढ़ जाता है. शिक्षाकर्मी कहते हैं कि वे लगातार मांग कर रहे हैं कि शिक्षकों को बीमा कवर दिया जाए या दूर से आने वाले शिक्षकों उन्हें TA-DA दिया जाए. लेकिन उन्हें ऐसी कोई सुविधा नहीं दी गई है.

पढ़ें- SPECIAL: 'पढ़ई तुंहर दुआर' और नेटवर्क का रोड़ा, शिक्षक ले रहे ऑफलाइन क्लास

जान जोखिम में डालकर काम कर रहे शिक्षक

उन्होंने बताया कि जान जोखिम में डालकर सभी टीचर ड्यूटी कर रहे हैं. प्रशासन किसी तरह की कोई जिम्मेदारी भी नहीं ले रहा है. एक ओर सर्वे का काम दिया गया है तो दूसरी ओर ऑनलाइन क्लास और मोहल्ले में जाकर पढ़ाने का भी दबाव है. शिक्षकों को प्रताड़ित और परेशान किया जा रहा है.

महिला शिक्षकों को दोहरी परेशानी

कोरोना संकट में वैसे तो सभी शिक्षकों की ड्यूटी लगा दी गई है. लेकिन महिला शिक्षकों के सामने अब दोहरी परेशानी है. घर परिवार के काम के साथ ही अब कोरोना की ड्यूटी बहुत ही चैलेंजिंग है. घर में भी संक्रमण का खतरा बना रहता है. पहले तो सर्वे का दबाव था. अब तो सर्वे के साथ हमें ऑक्सीमीटर भी थमा दिया गया है.

दूसरे काम भी हो रहे प्रभावित

छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में शिक्षकों की कोरोना वायरस से संबंधित ड्यूटी लगाई जा रही है. ऐसे में पूरे राज्य में विद्यालयों में प्रवेश, निशुल्क गणवेश, निशुल्क साइकिल वितरण, छात्रवृत्ति, मध्यान भोजन, ऑनलाइन पढ़ाई अन्य कामों पर भी ड्यूटी लगा दी गई है. जिसके चलते तमाम काम प्रभावित हो रहे हैं. ऐसे हालात में शिक्षकों का अन्य स्थानों में ड्यूटी लगाया जाना भी उचित नजर नहीं आता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.