दरअसल, 1 मार्च 2014 को गांधीनगर गुजरात में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर के अधिवक्ताओं के हित में हितार्थ योजनाएं लागू करने का वचन दिया था, लेकिन मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने इस ओर कोई काम नहीं किया है. जिससे अधिवक्ता नाराज हैं. अधिवक्ताओं ने मांग पूरी न होने पर आगे उग्र आंदोलन करने की बात कही है.
ये हैं अधिवक्ताओं की मांग
- अधिवक्ताओं और उसके परिवार के आश्रितों को 20 लाख तक बीमा कवरेज.
- अधिवक्ताओं को विशेष दर्जे का मेडिकल क्लेम कार्ड मिले.
- विधि व्यवसाय शुरू करनेवाले जुनियर अधिवक्ताओं को 5 साल तक 10 हजार रुपए स्टायफंड.
- वृद्ध और गरीब अधिवक्ता के असामयिक निधन होने पर परिवार को प्रतिमाह निश्चित आर्थिक सहायता.
- अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम.
- अधिवक्ता संघ भवन, निवास, बैठक व्यवस्था और ई-लाइब्रेरी जैसी सुविधा.
- विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम में संशोधन.
- ब्याज मुक्त होम और वाहन लोन.
- सेवा निवृत्त न्यायाधीश के बजाय विभिन्न अधिकरण, आयोग, फोरम और प्राधिकरणों में अधिवक्ताओं की नियुक्ति.
- दुर्घटना में 65 वर्ष से कम उम्र के अधिवक्ताओं की मौत पर 50 लाख तक की क्षतिपूर्ति.
जिला अधिवक्ता संघ का कहना है कि वे किसी एक पार्टी पर निशाना नहीं साध रहे हैं. उनका किसी पार्टी से कोई लेना देना नहीं है. वे प्रदेश की भूपेश सरकार और केंद्र की मोदी सरकार दोनों से ही इस ओर ध्यान देने का निवेदन कर रहे है.