रायपुर: पिछले 30 सालों से टेलीविजन और फिल्म क्षेत्र में काम करने वाले शाहनवाज प्रधान इन दिनों रायपुर पहुंचे हैं. रायपुर से एक्टिंग की शुरूआत करने के बाद उन्होंने दिल्ली और फिर मुंबई में कई चर्चित टीवी सीरियल अलिफ लैला, श्री कृष्णा में काम किया. इसके साथ ही कई फिल्मों में अहम किरदार भी निभाए. हाल ही में चर्चित वेब सीरीज मिर्जापुर में पुलिस ऑफिसर परशुराम गुप्ता का किरदार उन्होंने निभाया है. ईटीवी भारत ने एक्टर शाहनवाज प्रधान से खास बातचीत की है.
आईए सवाल जवाब के माध्यम से जानते हैं कि उन्होंने मनोरंजन जगत में अपने इतने सालों के सफर के दौरान आये उतार-चढ़ाव के बारे में क्या कहा....
जवाब: मेरी पढ़ाई रायपुर में हुई. सरकारी स्कूल से मैंने मैट्रिक की. स्कूल में जो वार्षिक फंक्शन होता है, वहां से मैंने नाटक करने की शुरूआत की. फिर रायपुर में चलने वाले थियेटर ग्रुप के साथ मिलकर काम किया. मेरे गुरु आनंद वर्मा, मिर्जा मसूद, जलील रिजवी और भी बहुत से उस्ताद रहे हैं. जिनके साथ मैंने काम किया. उसके बाद मेरे जीवन में एक नया मोड़ आया. उस दौरान यहां हबीब तनवीर साहब 1984 में रविशंकर विश्वविद्यालय में विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर आए. यहां पर उन्होंने वर्कशॉप किया और मैं उनके साथ में जुड़ गया. उन्होंने मुझे ऑफर किया दिल्ली जाने का. उनके प्रोफेशनल ग्रुप नया थियेटर के साथ जुड़कर मैंने काम किया. वहां से मेरी शुरूआत हुई. मैंने थिएटर से अभिनय की बारीकियां सीखी. 1991 से मैं मुम्बई में हूं, टेलीविजन और फिल्मों में काम कर रहा हूं.
यह भी पढ़ें: Face to face with bjp mp Sunil Soni: छत्तीसगढ़ मॉडल अपराधियों का गढ़, यह यूपी में नहीं चलेगा- सुनील सोनी
सवाल: एक छोटी जगह से निकलकर मुंबई में जाना और एक मुकाम हासिल करना... कितना मुश्किल था?
जवाब: आप एक तालाब से निकलकर समुद्र में जाते हैं. वह एक फर्क सामने दिखता है. मुंबई जाने के बाद मुझे यह सारी चीजों का एहसास हुआ. काफी मुश्किल होता है जब थिएटर से आप फिल्म और टेलीविजन पर आते हैं. सिनेमा और स्टेज दोनों अलग-अलग विधाएं हैं. दोनों जगह एक्टिंग की जाती है. लेकिन इंटेंसिटी का फर्क पड़ता है. जब आप स्टेज पर काम करते हैं, उस दौरान थोड़ा लाउड एक्सप्रेशन होता है. आखिरी आदमी तक आपको अपना एक्सप्रेशन और अपनी आवाज पहुंचानी होती है. लेकिन कैमरा आपके पास तक आता है. वह बेसिक वर्क सीखने में थोड़ा वक्त लगा और वक्त सब कुछ सिखा देता है. करते-करते आज 30 साल गुजर गए हैं. टेलीविजन और फिल्म में काम कर रहा हूं और सभी का प्यार मिल रहा है.
सवाल: छत्तीसगढ़ में आप शूटिंग के सिलसिले में पहुंचे हुए हैं. किस तरह का ये नया प्रोजेक्ट है?
जवाब: मैं एक वेब सीरीज के सिलसिले में शूटिंग के लिए यहां आया हुआ हूं. जिसका नाम "अब क्या" है. यह एक थ्रिलर वेब सीरीज है और इन्वेस्टिगेशन की चीजें शामिल है. लोकल प्रोड्यूसर इसमें शामिल हैं. बॉलीवुड और कोलकाता के कई एक्टर इस प्रोजेक्ट में हैं. बहुत अच्छा प्रोजेक्ट बन रहा है. आने वाले जून-जुलाई तक यह आपको देखने को मिल जाएगा. इतने सालों बाद अपने शहर में आकर काम करना एक अच्छा अनुभव है.
सवाल: थिएटर के बाद फिल्म और अब वेब सीरीज का समय चल रहा है. आज के समय में वेब सीरीज में अश्लील शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है. क्या वेब सीरीज के लिए भी सेंसरशिप की आवश्यकता है?
जवाब: मेरे ख्याल से अगर ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए भी सेंसरशिप हो तो अच्छी बात है. भारतीय संस्कृति इन सब चीजों के लिए इजाजत नहीं देती हैं. जिस तरह का हमारा इतिहास रहा है. उसमें इन सब चीजों को असभ्य और अश्लील माना जाता है. सामान्य तौर पर हम गालियों का प्रयोग नहीं करते हैं. उस लिहाज से अगर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के कंटेंट भी सेंसर होकर आए तो हम घर के सदस्यों के साथ उसे देख सकते हैं. वरना आजकल की जो स्थिति चल रही है, उसमें काफी दिक्कत है आज के समय में गालियों का और अश्लील सीन का बहुत प्रयोग हो रहा है. मेरी यह सोच है कि अगर इसमें सेंसरशिप हो तो बेहतर है.
सवाल: आपने मिर्जापुर वेब सीरीज में काम किया है. इसमें काफी अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया है.
जवाब: मैं वेब सीरीज का हिस्सा रहा हूं. लेकिन जिस वेब सीरीज में अश्लील गालियां .है वह बहुत पॉपुलर है. मिर्जापुर की दोनों सीरीज लोगों ने बहुत पसंद किया और तीसरी सीरीज का लोग इंतजार कर रहे हैं. लोग मुझे फोन करके पूछते हैं इसका तीसरा सीजन कब आ रहा है. वेब सीरीज के टारगेट ऑडियंस 18 साल से 25 साल के बच्चे हैं. आज के समय में मोबाइल खोलते ही सब चीजें एक बटन पर मौजूद रहती हैं. टारगेट ऑडियंस को फोकस करके ही यह सारी चीजें बनाई जाती है. इस तरह के दृश्य परोसे जाते हैं जो उनका मनोरंजन करते हैं. इसलिए वह ज्यादा पॉपुलर है. हमारा पेशा है और हमें यह करना होता है लेकिन मेरे हिस्से में इस तरह का सीन आता है, जिसे मैं अपने परिवार के साथ ना देख सकूं उसमें मैं अपनी तरफ से कोशिश करता हूं कि उसका हिस्सा ना बनूं.
यह भी पढ़ें: फिल्म नीति को लेकर क्या कहते हैं छालीवुड स्टार अनुज, क्या संस्कृति विभाग के अफसरों के रवैये से कलाकार हैं नाराज!
सवाल: छत्तीसगढ़ सिनेमा के भविष्य को आप किस तरह देखते हैं?
जवाब: यह बहुत अच्छी शुरूआत है. शुरूआती दिनों में जब छत्तीसगढ़ राज्य बना और फिल्में बननी शुरू हुई. मैंने उस दौरान छत्तीसगढ़ी फिल्म बनिहार में काम किया था. उसके बाद मुझे छत्तीसगढ़ में काम करने का सौभाग्य नहीं मिला. पिछले दिनों छत्तीसगढ़ में अच्छा काम हुआ है. छत्तीसगढ़ की एक फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है. यह एक अच्छी शुरूआत है. नए लोग आ रहे हैं. सोच अच्छी है. सरकार की तरफ से जो मदद मिल रही है. उसका बड़ा फायदा हो रहा है. बड़े डायरेक्टर यहां पर काम कर रहे हैं. इससे यहां के स्थानीय लोगों को भी काम मिलेगा. छत्तीसगढ़ सिनेमा का भविष्य बहुत अच्छा है.
सवाल: आपने फैंटम फिल्म में हाफिज सईद का किरदार निभाया था.. कितना चैलेंजिंग था?
जवाब: हाफिज सईद का किरदार निभाना बड़ा चैलेंजिंग था..वो एक जिंदा शख्सियत थे. उनका किरदार करना थोड़ा मुश्किल काम था. मैंने उनके पुराने वीडियो देखे. उनका पहनावा, उनके बोलने का तरीका. उस कैरेक्टर के लिए गेटअप पर बड़ा कार्य किया.
सवाल: बहुत से युवा हैं, जो एक्टिंग सीख रहे हैं. अपना भविष्य बनाना चाहते हैं. उन्हें आप क्या संदेश देना चाहेंगे?
जवाब: तालाब से निकलकर समुंदर की ओर जाते हैं. जब मुंबई जाएंगे तो आपको समुंदर में तैरना आना चाहिए. इसके लिए यह जरूरी है कि आपकी बुनियाद मजबूत हो और बुनियाद बनती है थिएटर से. जब आप थिएटर करते हैं तो आपको वक्त मिलता है. अपने आपको तराशने का. जितने भी नए लोग हैं उनके लिए मेरा यह सुझाव है कि अपने शहरों में जहां भी आप रहते हो. थिएटर ग्रुप से जुड़कर काम करें और जितना वक्त आप काम करेंगे. वह आपको कॉन्फिडेंस देगा. अपने आपको मांजने का वक्त मिलेगा. उसके बाद अगर कोई एक्टिंग इंस्टीट्यूट ज्वाइन करले, उसके अलावा भी थिएटर के कई लोगों ने बिना तालीम लिए एक्टिंग की है. एक्टिंग करना एक पैदाइशी गुण होता है. कुछ लोग सीख कर करते हैं. अगर आप अपनी बुनियाद मजबूत करके जाएंगे तो यह बेहतर होगा.
सवाल: क्या आप छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं? आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ को लेकर आपने कभी कुछ प्रोजेक्ट सोचा है?
जवाब: जी यहां मेरी काम करने की इच्छा है. क्योंकि मैं एक एक्टर हूं. लेकिन थोड़ा-बहुत मेरा अनुभव डायरेक्शन में भी रहा है. मैंने कई थियेटर किए है. एक नजदीकी गांव कुरूद मैं मैंने वर्कशॉप किया था. वहां के हमारे मित्र हमें बहुत प्यार करते है. उनसे मुलाकात करके भी मुझे खुशी हुई. मैं चाहता हूं कि यहां के लोगों के लिए मैं कुछ कर पाया तो भविष्य में, मैं उसे जरूर करूंगा.