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Terror funding case में सिमी के 4 आतंकियों को सजा, रायपुर कोर्ट ने सुनाया फैसला

रायपुर कोर्ट (Raipur court) ने टेरर फंडिंग (terror funding case) मामले में सिमी (SIMI, Students Islamic Movement of India) आतंकी संगठन (SIMI terrorists) से जुड़े 4 आरोपियों को दोषी करार दिया है.

Raipur court gave the verdict
रायपुर कोर्ट ने सुनाया फैसला
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Published : Nov 24, 2021, 6:15 PM IST

Updated : Nov 24, 2021, 8:58 PM IST

रायपुरः टेरर फंडिंग (Terror funding case) मामले में रायपुर कोर्ट (Raipur court) ने सिमी (SIMI, Students Islamic Movement of India) आतंकी संगठन (SIMI terrorists) से जुड़े 4 आरोपियों को दोषी करार दिया है. विशेष न्यायाधीश अजय सिंह राजपूत ने यह फैसला सुनाया है. चारों आरोपी धीरज साव, जुबैर हुसैन, आयशा बानो और पप्पू मंडल को 10-10 साल की सजा दी गई है. दोषी धीरज और पप्पू मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं. धीरज रायपुर में रहकर टेरर फंडिंग का काम कर रहा था.

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पाकिस्तान से धीरज के खाते में पैसा आता था. धीरज उन पैसों को बांटने का काम करता था. उनके साथ कर्नाटक के रहने वाले जुबैर और आयशा भी इसमें शामिल थे. 2013 में खमतराई थाने में यह केस दर्ज हुआ था

आतंकी खालिद से होती थी धीरज की बातचीत

टेरर फंडिंग मामले में कोर्ट के फैसले के मुताबिक दोषी धीरज पाकिस्तान के खालिद से लगातार बातचीत कर रहा था. उसी के कहने पर उसने कुछ लोगों से परिचय पत्र और फोटो को फर्जी तरीके से प्राप्त कर सिम खरीदा और ICICI बैंक में अकाउंट खुलवाया. जिसमें खालिद द्वारा समय-समय पर कई बार 20-25 लाख रुपए डाले गए. इतना ही नहीं उसके निर्देश पर 13% राशि कमीशन काटकर शेष राशि को धीरज ने आतंकवादी संगठन के सदस्यों को बांटने का काम कर रहा था. धीरज के नाम से दो खाते उसके गृह जिला जुमई बिहार में भी हैं. उसमें से भी लगातार फंडिंग हो रही थी. वहीं इस मामले में दर्जन भर आरोपी भी शामिल हैं, जो लंबे समय से फरार चल रहे हैं.

देश की एकता और अखंडता को खंडित करने वाला कृत्य-कोर्ट

इस मामले पर विशेष न्यायाधीश अजय सिंह राजपूत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रकरण ने देश की एकता और अखंडता को खंडित किया है. जिसे न्यूनतम दंड से दंडित किया जाना विधि संगत प्रतीत नहीं होता है. अभियुक्त गण को उनके दोष सिद्ध अपराध में अलग-अलग धाराओं के तहत 10-10 साल की सजा और 500-500 रुपये जुर्माना से दंडित किया जाता है.

आरोपी धीरज अंडा और चिकन का लगाता था ठेला

दोषी धीरज खमतराई थाना क्षेत्र में चिकन और अंडे का ठेला लगाया करता था. एटीएस ने 2013 में धीरज को गिरफ्तार किया. जिसमें खुलासा हुआ था कि उसने 57 अलग-अलग खातों से 3 करोड़ रुपये आतंकवादी गुटों को पहुंचाएं हैं. उसके खातों में रकम पहुंचाने वाले मेंगलुरु के जुबेर हुसैन और उसकी पत्नी आयशा बानो को भी गिरफ्तार किया था. दोनों पति-पत्नी के लिंक एटीएस को धीरज के खाते से ट्रांजेक्शन के आधार पर मिले. ये दोनों दो से तीन बार रायपुर भी आ चुके हैं.

2017 में एटीएस ने संपत्ति की थी कुर्क

गौरतलब है कि इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े जुबेर हुसैन और धीरज साहू की संपत्ति प्रवर्तन निदेशालय रायपुर ने कुर्क कर दी थी. यह संपत्ति कर्नाटक के बेंगलुरु में है. साल 2014 से शुरू की गई जांच में एटीएस ने इनकी 5.20 लाख की संपत्ति कुर्क की थी. वहीं एटीएस ने बंगाल के एक और आरोपी को गिरफ्तार किया था. हालांकि कोर्ट ने कोई साक्ष्य नहीं मिलने पर उसे दोषमुक्त कर दिया है.

रायपुरः टेरर फंडिंग (Terror funding case) मामले में रायपुर कोर्ट (Raipur court) ने सिमी (SIMI, Students Islamic Movement of India) आतंकी संगठन (SIMI terrorists) से जुड़े 4 आरोपियों को दोषी करार दिया है. विशेष न्यायाधीश अजय सिंह राजपूत ने यह फैसला सुनाया है. चारों आरोपी धीरज साव, जुबैर हुसैन, आयशा बानो और पप्पू मंडल को 10-10 साल की सजा दी गई है. दोषी धीरज और पप्पू मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं. धीरज रायपुर में रहकर टेरर फंडिंग का काम कर रहा था.

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पाकिस्तान से धीरज के खाते में पैसा आता था. धीरज उन पैसों को बांटने का काम करता था. उनके साथ कर्नाटक के रहने वाले जुबैर और आयशा भी इसमें शामिल थे. 2013 में खमतराई थाने में यह केस दर्ज हुआ था

आतंकी खालिद से होती थी धीरज की बातचीत

टेरर फंडिंग मामले में कोर्ट के फैसले के मुताबिक दोषी धीरज पाकिस्तान के खालिद से लगातार बातचीत कर रहा था. उसी के कहने पर उसने कुछ लोगों से परिचय पत्र और फोटो को फर्जी तरीके से प्राप्त कर सिम खरीदा और ICICI बैंक में अकाउंट खुलवाया. जिसमें खालिद द्वारा समय-समय पर कई बार 20-25 लाख रुपए डाले गए. इतना ही नहीं उसके निर्देश पर 13% राशि कमीशन काटकर शेष राशि को धीरज ने आतंकवादी संगठन के सदस्यों को बांटने का काम कर रहा था. धीरज के नाम से दो खाते उसके गृह जिला जुमई बिहार में भी हैं. उसमें से भी लगातार फंडिंग हो रही थी. वहीं इस मामले में दर्जन भर आरोपी भी शामिल हैं, जो लंबे समय से फरार चल रहे हैं.

देश की एकता और अखंडता को खंडित करने वाला कृत्य-कोर्ट

इस मामले पर विशेष न्यायाधीश अजय सिंह राजपूत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रकरण ने देश की एकता और अखंडता को खंडित किया है. जिसे न्यूनतम दंड से दंडित किया जाना विधि संगत प्रतीत नहीं होता है. अभियुक्त गण को उनके दोष सिद्ध अपराध में अलग-अलग धाराओं के तहत 10-10 साल की सजा और 500-500 रुपये जुर्माना से दंडित किया जाता है.

आरोपी धीरज अंडा और चिकन का लगाता था ठेला

दोषी धीरज खमतराई थाना क्षेत्र में चिकन और अंडे का ठेला लगाया करता था. एटीएस ने 2013 में धीरज को गिरफ्तार किया. जिसमें खुलासा हुआ था कि उसने 57 अलग-अलग खातों से 3 करोड़ रुपये आतंकवादी गुटों को पहुंचाएं हैं. उसके खातों में रकम पहुंचाने वाले मेंगलुरु के जुबेर हुसैन और उसकी पत्नी आयशा बानो को भी गिरफ्तार किया था. दोनों पति-पत्नी के लिंक एटीएस को धीरज के खाते से ट्रांजेक्शन के आधार पर मिले. ये दोनों दो से तीन बार रायपुर भी आ चुके हैं.

2017 में एटीएस ने संपत्ति की थी कुर्क

गौरतलब है कि इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े जुबेर हुसैन और धीरज साहू की संपत्ति प्रवर्तन निदेशालय रायपुर ने कुर्क कर दी थी. यह संपत्ति कर्नाटक के बेंगलुरु में है. साल 2014 से शुरू की गई जांच में एटीएस ने इनकी 5.20 लाख की संपत्ति कुर्क की थी. वहीं एटीएस ने बंगाल के एक और आरोपी को गिरफ्तार किया था. हालांकि कोर्ट ने कोई साक्ष्य नहीं मिलने पर उसे दोषमुक्त कर दिया है.

Last Updated : Nov 24, 2021, 8:58 PM IST
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