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PETROL DIESEL PRICE IN CG : वैट में कमी से 1000 करोड़ का घाटा, खपत बढ़ाकर इसे पाटने की थी सरकार की मंशा...!

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Published : Nov 22, 2021, 10:31 PM IST

छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार (Bhupesh Baghel Government) की कैबिनेट मीटिंग में पेट्रोल-डीजल पर वैट घटाए जाने के बाद से एक बार फिर से सरकार विपक्ष समेत आम लोगों के निशाने पर है. एक तरफ जहां भाजपा इसे छलावा बता रही है, वहीं लोगों का कहना है कि यह ऊंट के मुंह में जीरा के समान है.

Slight reduction in petrol diesel prices in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में पेट्रोल डीजल की कीमतों में मामूली कमी

रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) की अध्यक्षता में सोमवार को कैबिनेट की बैठक हुई. हालांकि इसमें कई मुद्दों पर अलग-अलग निर्णय लिये गए. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण निर्णय पेट्रोल-डीजल को लेकर लिया गया. पेट्रोल-डीजल के वैट (VAT Cut In Diesel Petrol) में क्रमशः 1 प्रतिशत और 2 प्रतिशत की कटौती की गई. इस कटौती के बाद एक मोटे तौर पर जारी आंकड़ों के हिसाब से सरकार को करीब 1000 करोड़ रुपये का (1000 Crore Loss) घाटा होगा. सरकार की मंशा तेल की खपत बढ़ाकर इस घाटे को पाटने की थी.

मोदी सरकार ने दिवाली पर दिया था लोगों को तोहफा, तभी से सिलसिला शुरू

मोदी सरकार ने दिवाली पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी कर लोगों को तोहफा दिया था. वहीं डीजल-पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में कटौती के बाद भाजपा शासित राज्यों में वैट घटाने (vat reduced on diesel petrol) की होड़ लग गई. अभी तक करीब 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने पेट्रोल-डीजल पर वैट में कटौती की है, लेकिन 14 ऐसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश (States and Union Territories) हैं जिन्होंने अभी तक कोई कटौती नहीं की.

आइये समझें पेट्रोल-डीजल के दाम घटने-बढ़ने का फंडा...

पेट्रोल और डीजल की बेस प्राइज काफी कम है, लेकिन राज्य और केंद्र सरकार की तरफ से लगाए जाने वाले अलग-अलग टैक्स के कारण कीमतें इस स्तर तक पहुंच गई हैं. पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी और बेस प्राइस के ऊपर वैट वसूला जाता है. यह अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होता है. एक्साइज ड्यूटी में कमी करने के बाद वैट के रेट भी घट जाते हैं.

छत्तीसगढ़ में एक्साइज ड्यूटी सहित पेट्रोल का बेस प्राइस अभी 78.22 रुपए प्रति लीटर है. वर्तमान में 25 प्रतिशत की दर से 19.55 रुपये वैट लगता है. वैट घटकर 24 प्रतिशत होने पर 18.77 रुपये का टैक्स लगेगा. मतलब 78 पैसे दाम कम होंगे. इसी तरह डीजल का बेस प्राइस 73.54 रुपये है. इसपर 25 प्रतिशत की दर से 18.38 रुपये वैट लगता है. इसपर वैट घटकर 23 प्रतिशत होने पर टैक्स 16.91 रुपये होगा. मतलब लोगों को महज 1.47 रुपये की ही राहत मिलेगी.

एक्साइज ड्यूटी से केंद्र सरकार की कितनी हुई है कमाई?

एक्साइज ड्यूटी से केंद्र सरकार के खजाने में काफी वृद्धि हुई है. चालू वित्तीय वर्ष के पहले 6 महीने में केंद्र ने पेट्रोलियम उत्पादों पर एक्साइज ड्यूटी से 1.71 लाख करोड़ रुपये की कमाई की है. पिछले वर्ष की तुलना में यह 33 फीसदी ज्यादा है. जबकि कोविड से पहले के मुकाबले यानी अप्रैल से सितंबर 2019 के 95, 930 करोड़ रुपये के आंकड़े से यह 79 फीसदी अधिक है. पूरे वित्तीय वर्ष 2020-21 में पेट्रोलियम उत्पादों से सरकार का एक्साइज ड्यूटी कलेक्शन 3.89 लाख करोड़ रुपये रहा था, जबकि वित्तीय वर्ष 2019-20 में यह 2.39 लाख करोड़ रुपये था.

तेल की खपत बढ़ाकर वैट की कमी पूरी करने की थी सरकार की योजना...

प्रदेश में पेट्रोल-डीजल की पर वैट में कमी के बाद तेल की कीमतों में आई कमी को आम लोगों ने महज एक लॉलीपॉप करार दिया है. छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने तेल के दाम कम करने की योजना बनाई थी, ताकि छत्तीसगढ़ के सीमाई इलाके के लोग पेट्रोल-डीजल के लिए दूसरे प्रदेश न जाएं. सरकार का मानना था कि तेल की कीमतें सीमा से लगे राज्यों के लगभग बराबर हो जाएंगी, जिससे इंटर स्टेट परिवहन वाले करने वाले बस संचालक प्रदेश में ही तेल की खरीद करेंगे. इससे तेल की खपत में भारी इजाफा होगा और वैट कम करने की भरपाई भी इससे हो जाएगी.

रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) की अध्यक्षता में सोमवार को कैबिनेट की बैठक हुई. हालांकि इसमें कई मुद्दों पर अलग-अलग निर्णय लिये गए. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण निर्णय पेट्रोल-डीजल को लेकर लिया गया. पेट्रोल-डीजल के वैट (VAT Cut In Diesel Petrol) में क्रमशः 1 प्रतिशत और 2 प्रतिशत की कटौती की गई. इस कटौती के बाद एक मोटे तौर पर जारी आंकड़ों के हिसाब से सरकार को करीब 1000 करोड़ रुपये का (1000 Crore Loss) घाटा होगा. सरकार की मंशा तेल की खपत बढ़ाकर इस घाटे को पाटने की थी.

मोदी सरकार ने दिवाली पर दिया था लोगों को तोहफा, तभी से सिलसिला शुरू

मोदी सरकार ने दिवाली पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी कर लोगों को तोहफा दिया था. वहीं डीजल-पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में कटौती के बाद भाजपा शासित राज्यों में वैट घटाने (vat reduced on diesel petrol) की होड़ लग गई. अभी तक करीब 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने पेट्रोल-डीजल पर वैट में कटौती की है, लेकिन 14 ऐसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश (States and Union Territories) हैं जिन्होंने अभी तक कोई कटौती नहीं की.

आइये समझें पेट्रोल-डीजल के दाम घटने-बढ़ने का फंडा...

पेट्रोल और डीजल की बेस प्राइज काफी कम है, लेकिन राज्य और केंद्र सरकार की तरफ से लगाए जाने वाले अलग-अलग टैक्स के कारण कीमतें इस स्तर तक पहुंच गई हैं. पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी और बेस प्राइस के ऊपर वैट वसूला जाता है. यह अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होता है. एक्साइज ड्यूटी में कमी करने के बाद वैट के रेट भी घट जाते हैं.

छत्तीसगढ़ में एक्साइज ड्यूटी सहित पेट्रोल का बेस प्राइस अभी 78.22 रुपए प्रति लीटर है. वर्तमान में 25 प्रतिशत की दर से 19.55 रुपये वैट लगता है. वैट घटकर 24 प्रतिशत होने पर 18.77 रुपये का टैक्स लगेगा. मतलब 78 पैसे दाम कम होंगे. इसी तरह डीजल का बेस प्राइस 73.54 रुपये है. इसपर 25 प्रतिशत की दर से 18.38 रुपये वैट लगता है. इसपर वैट घटकर 23 प्रतिशत होने पर टैक्स 16.91 रुपये होगा. मतलब लोगों को महज 1.47 रुपये की ही राहत मिलेगी.

एक्साइज ड्यूटी से केंद्र सरकार की कितनी हुई है कमाई?

एक्साइज ड्यूटी से केंद्र सरकार के खजाने में काफी वृद्धि हुई है. चालू वित्तीय वर्ष के पहले 6 महीने में केंद्र ने पेट्रोलियम उत्पादों पर एक्साइज ड्यूटी से 1.71 लाख करोड़ रुपये की कमाई की है. पिछले वर्ष की तुलना में यह 33 फीसदी ज्यादा है. जबकि कोविड से पहले के मुकाबले यानी अप्रैल से सितंबर 2019 के 95, 930 करोड़ रुपये के आंकड़े से यह 79 फीसदी अधिक है. पूरे वित्तीय वर्ष 2020-21 में पेट्रोलियम उत्पादों से सरकार का एक्साइज ड्यूटी कलेक्शन 3.89 लाख करोड़ रुपये रहा था, जबकि वित्तीय वर्ष 2019-20 में यह 2.39 लाख करोड़ रुपये था.

तेल की खपत बढ़ाकर वैट की कमी पूरी करने की थी सरकार की योजना...

प्रदेश में पेट्रोल-डीजल की पर वैट में कमी के बाद तेल की कीमतों में आई कमी को आम लोगों ने महज एक लॉलीपॉप करार दिया है. छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने तेल के दाम कम करने की योजना बनाई थी, ताकि छत्तीसगढ़ के सीमाई इलाके के लोग पेट्रोल-डीजल के लिए दूसरे प्रदेश न जाएं. सरकार का मानना था कि तेल की कीमतें सीमा से लगे राज्यों के लगभग बराबर हो जाएंगी, जिससे इंटर स्टेट परिवहन वाले करने वाले बस संचालक प्रदेश में ही तेल की खरीद करेंगे. इससे तेल की खपत में भारी इजाफा होगा और वैट कम करने की भरपाई भी इससे हो जाएगी.

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