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'पहले खुद हिंदी से प्रेम करना सीखिए, तभी विश्व हिंदी दिवस होगा सार्थक'

हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है. जिसका उद्देश्य विश्वभर में हिंदी का प्रचार-प्रसार करना और हिंदी को अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है.

world hindi day 2020
विश्व हिंदी दिवस 2020
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Published : Jan 9, 2020, 11:52 PM IST

रायपुर: 10 जनवरी को हर साल विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है. जिसका उद्देश्य विश्वभर में हिंदी का प्रचार-प्रसार करना और हिंदी को अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है. विदेशों में भारत के दूतावास इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं.

विश्व हिंदी दिवस 2020

इस दिन सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिंदी के अनूठे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. विश्व हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी 2006 को की थी. तभी से हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसके साथ ही हिंदी दिवस 14 सितंबर को भारत में मनाया जाता है.

विश्व हिंदी दिवस से जुड़ी कुछ बातें
दुनिया भर में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए पहला विश्व हिंदी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित किया गया था. इसके बाद से विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को विश्व भर में मनाया जाता है. इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए 30 देशों के 122 प्रतिनिधि शामिल हुए थे.

14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया था, इसलिए विश्व हिंदी दिवस के अलावा हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है.

कई देशों में किया जाता है हिंदी का उपयोग
हिंदी भाषा का उपयोग पाकिस्तान, नेपाल ,बांग्लादेश, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, न्यूज़ीलैंड, संयुक्त अरब, युगांडा, सूरीनाम, मलेशिया, साउथ अफ्रीका समेत कई देशों में किया जाता है.

'हिंदी को अपना मानने और लिखने-बोलने में है अंतर'
डॉक्टर रमेश अनुपम ने बताया कि, 'भले देश का हर व्यक्ति हिंदी भाषा का उपयोग करता है, पर कभी हिंदी भाषा को अपना नहीं मानता. हिंदी भाषा का बोलचाल और लिखने में उपयोग करना और अपना मानना दोनों में काफी अंतर होता है.'

उन्होंने कहा कि, 'यहां तक कि जो हिंदी के बड़े-बड़े साहित्यकार और लेखक हैं वह भी अंग्रेजी में अपना सिग्नेचर करते हैं. इसके साथ ही कई घरों के बाहर नेम प्लेट में भी इंग्लिश ही होता है. इससे पता चलता है कि हिंदी का उनके जीवन में कितना महत्व है.'

'मातृभाषा को जानिए'
डॉ. अनुपम ने कहा कि, 'जब तक लोग हिंदी को अपना नहीं मानेंगे तब तक दूसरे देश के लोग हिंदी को नहीं स्वीकार सकते. हिंदी से ही हिंदुस्तान का अस्तित्व है. यह लोगों को समझने की आवश्यकता है. अंग्रेजी या अन्य भाषा सीखने और पढ़ने में आपत्ति किसी को नहीं है, पर जब तक आप अपनी मातृभाषा को नहीं जान सकते तब तक आप किसी और भाषा को कैसे जानेंगे.'

रायपुर: 10 जनवरी को हर साल विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है. जिसका उद्देश्य विश्वभर में हिंदी का प्रचार-प्रसार करना और हिंदी को अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है. विदेशों में भारत के दूतावास इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं.

विश्व हिंदी दिवस 2020

इस दिन सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिंदी के अनूठे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. विश्व हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी 2006 को की थी. तभी से हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसके साथ ही हिंदी दिवस 14 सितंबर को भारत में मनाया जाता है.

विश्व हिंदी दिवस से जुड़ी कुछ बातें
दुनिया भर में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए पहला विश्व हिंदी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित किया गया था. इसके बाद से विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को विश्व भर में मनाया जाता है. इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए 30 देशों के 122 प्रतिनिधि शामिल हुए थे.

14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया था, इसलिए विश्व हिंदी दिवस के अलावा हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है.

कई देशों में किया जाता है हिंदी का उपयोग
हिंदी भाषा का उपयोग पाकिस्तान, नेपाल ,बांग्लादेश, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, न्यूज़ीलैंड, संयुक्त अरब, युगांडा, सूरीनाम, मलेशिया, साउथ अफ्रीका समेत कई देशों में किया जाता है.

'हिंदी को अपना मानने और लिखने-बोलने में है अंतर'
डॉक्टर रमेश अनुपम ने बताया कि, 'भले देश का हर व्यक्ति हिंदी भाषा का उपयोग करता है, पर कभी हिंदी भाषा को अपना नहीं मानता. हिंदी भाषा का बोलचाल और लिखने में उपयोग करना और अपना मानना दोनों में काफी अंतर होता है.'

उन्होंने कहा कि, 'यहां तक कि जो हिंदी के बड़े-बड़े साहित्यकार और लेखक हैं वह भी अंग्रेजी में अपना सिग्नेचर करते हैं. इसके साथ ही कई घरों के बाहर नेम प्लेट में भी इंग्लिश ही होता है. इससे पता चलता है कि हिंदी का उनके जीवन में कितना महत्व है.'

'मातृभाषा को जानिए'
डॉ. अनुपम ने कहा कि, 'जब तक लोग हिंदी को अपना नहीं मानेंगे तब तक दूसरे देश के लोग हिंदी को नहीं स्वीकार सकते. हिंदी से ही हिंदुस्तान का अस्तित्व है. यह लोगों को समझने की आवश्यकता है. अंग्रेजी या अन्य भाषा सीखने और पढ़ने में आपत्ति किसी को नहीं है, पर जब तक आप अपनी मातृभाषा को नहीं जान सकते तब तक आप किसी और भाषा को कैसे जानेंगे.'

Intro:विश्व हिंदी दिवस हर साल 10 जनवरी को मनाया जाता है विश्व हिंदी दिवस का उद्देश्य विश्व भर में हिंदी को प्रचार प्रसार के लिए वातावरण निर्मित करना है और हिंदी को अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है विदेश में भारत में इस दिन सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिंदी के अनूठे कार्यक्रम आयोजित किए जाता हैं विश्व हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी 2006 को की थी तभी से हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसके साथ ही हिंदी दिवस 14 सितंबर को भारत में मनाया जाता है।




Body:विश्व हिंदी दिवस से जुड़ी कुछ बातें

दुनिया भर में हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए पहला विश्व हिंदी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित किया गया था इसके बाद से विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को विश्व भर में मनाया जाता है इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए 30 देशों के 122 प्रतिनिधि शामिल हुए थे।

विश्व हिंदी दिवस के अलावा हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया था।

हिंदी भाषा का उपयोग पाकिस्तान , नेपाल , बांग्लादेश , अमेरिका , ब्रिटेन , जर्मनी , न्यूज़ीलैंड , संयुक्त अरब , युगांडा , सूरीनाम , मलेशिया , साउथ अफ्रीका समेत कई देश करते हैं।




Conclusion:डॉ रमेश अनुपम ने बताया कि भले देश का हर व्यक्ति हिंदी भाषा का उपयोग करता है पर कभी हिंदी भाषा को अपना नहीं मानता हिंदी भाषा का बोलचाल और लिखने में उपयोग करना और अपना मानना दोनों में काफी अंतर होता है यहां तक कि जो हिंदी के बड़े-बड़े साहित्यकार और लेखक हैं वह भी अंग्रेजी में अपना सिग्नेचर करते हैं इसके साथ ही अपने घर के बाहर नाम और एड्रेस का बोर्ड रहता है उसे भी इंग्लिश में नाम और पता लिखा रहता हैं इससे पता चलता है कि हिंदी का उनके जीवन में कितना महत्व है।

डॉ अनुपम द्वारा बताया गया कि जब तक लोग हिंदी को अपना नहीं मानेंगे तब तक दूसरे देश के लोग हिंदी को नहीं स्वीकार सकते , हिंदी से ही हिंदुस्तान का अस्तित्व है यह लोगों को समझने की आवश्यकता है अंग्रेजी या अन्य भाषा सीखने वह पढ़ने में आपत्ति किसी को नहीं है पर जब तक आप अपनी मातृभाषा को नहीं जान सकते तब तक आप किसी और भाषा को कैसे जानेंगे।

बाइट :- डॉ रमेश अनुपम (लेखक , कवि)
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