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शहरी क्षेत्रों में नहीं मिल रहा है काम, दिनों-दिन बढ़ती जा रही है दिहाड़ी मजदूरों की परेशानी

कोरोना के कारण किए गए लॉकडाउन में सभी के काम ठप हो गए थे, लेकिन अनलॉक-1 में निर्माण कार्य और कुछ क्षेत्रों में राहत मिली है, जिसके बाद मजदूर वापस काम करने के लिए निकल पड़े हैं. ऐसे ही दिहाड़ी मजदूरी करने वाले मजदूरों से ETV भारत की टीम ने बात की तो उनका कहना है कि उन्हें कोई रोजगार नहीं मिल रहा है, जिसकी वजह से उनके सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है.

Urban Labours are not getting employment in raigarh
शहरी क्षेत्रों में मजदूरों को नहीं मिल रहा है काम
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Published : Jun 16, 2020, 8:33 PM IST

Updated : Jun 16, 2020, 9:23 PM IST

रायगढ़: कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए 25 मार्च को पूरे देश में लाॉकडाउन लगा दिया गया था. जिसके बाद वैश्विक महामारी के कारण देश के लगभग सभी सेक्टर प्रभावित हुए. लाखों लोगों से रोजगार छीन गए. इस लॉकडाउन में सबसे ज्यादा कोई प्रभावित हुआ है, तो वह मजदूर वर्ग है. क्योंकि मजदूर रोजाना कमाते हैं और उसी से अपना परिवार चलाते हैं. इस महामारी की वजह से कहीं भी मजदूरों से काम नहीं लिया जा रहा है. सभी काम लगभग बंद है. ऐसे में मजदूरों के सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है.

शहरी क्षेत्रों में नहीं मिल रहा है काम

हालांकि, 1 जून से छत्तीसगढ़ में अनलॉक -1 लागू हो गया है, जिसमें निर्माण कार्य और कुछ क्षेत्रों में राहत मिली है, जिसके बाद मजदूर वापस काम करने के लिए शहर के चौक-चौराहे पर इकट्ठा हो रहे हैं. दिहाड़ी मजदूरी करने वाले ऐसे ही मजदूरों से ETV भारत की टीम ने जब बात की तो उन्होंने बताया कि उनको परिवार चलाना मुश्किल हो गया है. रोजगार नहीं मिल रहे हैं. मजदूरों का कहना है कि जब वो कमाते हैं तभी उनको खाने को मिलता है. बीते 2 महीने से कोई काम नहीं हुआ है. इसलिए उनके सामने भूखे मरने वाली नौबत आ गई है.

Urban Labours are not getting employment in raigarhUrban Labours are not getting employment in raigarh
शहरी क्षेत्रों में मजदूरों को नहीं मिल रहा है काम

शहरी क्षेत्रों के मजदूरों ने बताई अपनी परेशानी

दिहाड़ी मजदूरों का कहना है कि घर की जमा पूंजी लॉकडाउन में खत्म हो चुकी है और अब लोग काम नहीं दे रहे हैं, न ही शासन से कोई मदद मिल रही है. शहरी मजदूरों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जिस तरह मनरेगा के तहत काम मिलता है, उसी तरह शहरी मजदूरों के लिए भी योजना शुरू करनी चाहिए और मजदूरी भत्ता के लिए भी सरकार को सोचना चाहिए.

पढ़ें: मनरेगा में अव्वल: सबसे ज्यादा रोजगार और काम कराने वाला राज्य बना छत्तीसगढ़

बता दें, छत्तीसगढ़ में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) के तहत ग्रामीण मजदूरों को रोजगार मिल रहा है. वहीं रायगढ़ जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में 1 लाख 4 हजार से ज्यादा मजदूर रोजगार प्राप्त कर रहे हैं, जबकि पंचायतों में लगभग 3 हजार काम चल रहे हैं. मनरेगा के तहत सड़क, पुल, पुलिया, भवन और तालाब निर्माण जैसे काम किया जा रहा है.

मनरेगा के तहत काम देने में छत्तीसगढ़ बना नंबर 1

वहीं छत्तीसगढ़ लॉकडाउन के बीच देशभर में मनरेगा के तहत कार्य कराने के मामले में पहले स्थान पर है. छत्तीसगढ़ ने अब तक मनरेगा के तहत 37 फीसदी कार्य पूरे कर लिए हैं, जिससे छत्तीसगढ़ देशभर में मनरेगा के तहत लोगों को रोजगार देने के मामले में पहले स्थान पर है. वहीं छत्तीसगढ़ सर्वाधिक परिवारों को 100 दिनों का रोजगार देने में देश में दूसरे स्थान पर है. इस साल अब तक 25.97 लाख ग्रामीणों को काम दिया गया, जिसमें 1 हजार 114 करोड़ रुपए का मजदूरी भुगतान किया गया है.

रायगढ़: कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए 25 मार्च को पूरे देश में लाॉकडाउन लगा दिया गया था. जिसके बाद वैश्विक महामारी के कारण देश के लगभग सभी सेक्टर प्रभावित हुए. लाखों लोगों से रोजगार छीन गए. इस लॉकडाउन में सबसे ज्यादा कोई प्रभावित हुआ है, तो वह मजदूर वर्ग है. क्योंकि मजदूर रोजाना कमाते हैं और उसी से अपना परिवार चलाते हैं. इस महामारी की वजह से कहीं भी मजदूरों से काम नहीं लिया जा रहा है. सभी काम लगभग बंद है. ऐसे में मजदूरों के सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है.

शहरी क्षेत्रों में नहीं मिल रहा है काम

हालांकि, 1 जून से छत्तीसगढ़ में अनलॉक -1 लागू हो गया है, जिसमें निर्माण कार्य और कुछ क्षेत्रों में राहत मिली है, जिसके बाद मजदूर वापस काम करने के लिए शहर के चौक-चौराहे पर इकट्ठा हो रहे हैं. दिहाड़ी मजदूरी करने वाले ऐसे ही मजदूरों से ETV भारत की टीम ने जब बात की तो उन्होंने बताया कि उनको परिवार चलाना मुश्किल हो गया है. रोजगार नहीं मिल रहे हैं. मजदूरों का कहना है कि जब वो कमाते हैं तभी उनको खाने को मिलता है. बीते 2 महीने से कोई काम नहीं हुआ है. इसलिए उनके सामने भूखे मरने वाली नौबत आ गई है.

Urban Labours are not getting employment in raigarhUrban Labours are not getting employment in raigarh
शहरी क्षेत्रों में मजदूरों को नहीं मिल रहा है काम

शहरी क्षेत्रों के मजदूरों ने बताई अपनी परेशानी

दिहाड़ी मजदूरों का कहना है कि घर की जमा पूंजी लॉकडाउन में खत्म हो चुकी है और अब लोग काम नहीं दे रहे हैं, न ही शासन से कोई मदद मिल रही है. शहरी मजदूरों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जिस तरह मनरेगा के तहत काम मिलता है, उसी तरह शहरी मजदूरों के लिए भी योजना शुरू करनी चाहिए और मजदूरी भत्ता के लिए भी सरकार को सोचना चाहिए.

पढ़ें: मनरेगा में अव्वल: सबसे ज्यादा रोजगार और काम कराने वाला राज्य बना छत्तीसगढ़

बता दें, छत्तीसगढ़ में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) के तहत ग्रामीण मजदूरों को रोजगार मिल रहा है. वहीं रायगढ़ जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में 1 लाख 4 हजार से ज्यादा मजदूर रोजगार प्राप्त कर रहे हैं, जबकि पंचायतों में लगभग 3 हजार काम चल रहे हैं. मनरेगा के तहत सड़क, पुल, पुलिया, भवन और तालाब निर्माण जैसे काम किया जा रहा है.

मनरेगा के तहत काम देने में छत्तीसगढ़ बना नंबर 1

वहीं छत्तीसगढ़ लॉकडाउन के बीच देशभर में मनरेगा के तहत कार्य कराने के मामले में पहले स्थान पर है. छत्तीसगढ़ ने अब तक मनरेगा के तहत 37 फीसदी कार्य पूरे कर लिए हैं, जिससे छत्तीसगढ़ देशभर में मनरेगा के तहत लोगों को रोजगार देने के मामले में पहले स्थान पर है. वहीं छत्तीसगढ़ सर्वाधिक परिवारों को 100 दिनों का रोजगार देने में देश में दूसरे स्थान पर है. इस साल अब तक 25.97 लाख ग्रामीणों को काम दिया गया, जिसमें 1 हजार 114 करोड़ रुपए का मजदूरी भुगतान किया गया है.

Last Updated : Jun 16, 2020, 9:23 PM IST
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