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रायगढ़: गिरदावरी में भारी गड़बड़ी, सत्यापन के लिए 70 से अधिक कर्मचारियों को दिया गया काम

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Published : Oct 16, 2020, 8:07 PM IST

खरीफ वर्ष 2020-21 के लिए की जा रही गिरदावरी में खामियां सामने के बाद 70 से अधिक अधिकारी-कर्मचारियों की ड्यूटी जांच के लिए दोबारा लगा दी गई है. करीब 10 आरआई सर्किल ऐसे हैं. जहां सबसे ज्यादा गड़बड़ी सामने आई है.

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गिरदावरी में भारी गड़बड़ी

रायगढ़: जिले में खरीफ वर्ष 2020-21 के लिए सितंबर महीने से गिरदावरी रिपोर्ट तैयार की जा रही है. अधिकारियों की जांच के बावजूद इस काम में खामियां सामने आ रही है. काम में ज्यादातर गलतियां कंप्यूटर से एंट्री में हुई है. इसकी जांच के लिए 70 से ज्यादा कर्मचारियों और आधिकारियों को नियुक्त किया गया है. कंप्यूटर एंट्री में सुधार भी की जा रही है. लगातार इलाके के ग्राम पंचायत के ग्रामीण गिरदावरी रिपोर्ट पर दावा आपत्ति दाखिल कर रहे हैं.

पिछले साल 2019 में 1 लाख 54 हजार हेक्टेयर रकबा का पंजीयन हुआ था. इस बार यह आंकड़ा बढ़ गया है. गिरदावरी रिपोर्ट की शुरुआती जांच में ही इस बात को गौर किया गया है. इससे प्रशासन की चिंता भी बढ़ गई है. इस साल प्रदेश सरकार ने गिरदावरी रिपोर्ट को अनिवार्य कर दिया है.

पढ़ें: दुर्ग: फिर एक किसान ने की आत्महत्या, पारिवारिक कारणों से तंग आकर उठाया ये कदम

70 अधिक कर्मचारी कर रहे काम

भूपेश बघेल सरकार ने गिरदावरी रिपोर्ट को अनिवार्य किया है. राजस्व विभाग 185 हल्कों में जांच करावा रही है. जिले के 410 पटवारियों में एक-एक को 8 से 10 हल्के दिए गए हैं. लगातार दावा आपत्ति दाखिल होते देख रिपोर्ट संदिग्ध मिलने पर जांच के लिए 70 से अधिक अधिकारी-कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है. करीब 10 आरआई सर्किल ऐसे हैं. जहां सबसे ज्यादा गड़बड़ी सामने आई है. इन सर्किलों पर दोबारा जांच कराई जा रही है.

गिरदावरी क्या है

किसा इलाके के किसी किसान ने कितने रकबे में कौन सी फसल की किस सीजन में बोवनी की है. इसकी जानकारी पटवारी खेत का सर्वे कर शासन के दस्तावेज में दर्ज कराता है. इस दस्तावेज को भू -अभिलेख विभाग रिकॉर्ड में दर्ज कर शासन को पहुंचाता है. शासन गिरदावरी के आधार पर ही धान और अन्य फसलों की खरीदी भी करती है.

रायगढ़: जिले में खरीफ वर्ष 2020-21 के लिए सितंबर महीने से गिरदावरी रिपोर्ट तैयार की जा रही है. अधिकारियों की जांच के बावजूद इस काम में खामियां सामने आ रही है. काम में ज्यादातर गलतियां कंप्यूटर से एंट्री में हुई है. इसकी जांच के लिए 70 से ज्यादा कर्मचारियों और आधिकारियों को नियुक्त किया गया है. कंप्यूटर एंट्री में सुधार भी की जा रही है. लगातार इलाके के ग्राम पंचायत के ग्रामीण गिरदावरी रिपोर्ट पर दावा आपत्ति दाखिल कर रहे हैं.

पिछले साल 2019 में 1 लाख 54 हजार हेक्टेयर रकबा का पंजीयन हुआ था. इस बार यह आंकड़ा बढ़ गया है. गिरदावरी रिपोर्ट की शुरुआती जांच में ही इस बात को गौर किया गया है. इससे प्रशासन की चिंता भी बढ़ गई है. इस साल प्रदेश सरकार ने गिरदावरी रिपोर्ट को अनिवार्य कर दिया है.

पढ़ें: दुर्ग: फिर एक किसान ने की आत्महत्या, पारिवारिक कारणों से तंग आकर उठाया ये कदम

70 अधिक कर्मचारी कर रहे काम

भूपेश बघेल सरकार ने गिरदावरी रिपोर्ट को अनिवार्य किया है. राजस्व विभाग 185 हल्कों में जांच करावा रही है. जिले के 410 पटवारियों में एक-एक को 8 से 10 हल्के दिए गए हैं. लगातार दावा आपत्ति दाखिल होते देख रिपोर्ट संदिग्ध मिलने पर जांच के लिए 70 से अधिक अधिकारी-कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है. करीब 10 आरआई सर्किल ऐसे हैं. जहां सबसे ज्यादा गड़बड़ी सामने आई है. इन सर्किलों पर दोबारा जांच कराई जा रही है.

गिरदावरी क्या है

किसा इलाके के किसी किसान ने कितने रकबे में कौन सी फसल की किस सीजन में बोवनी की है. इसकी जानकारी पटवारी खेत का सर्वे कर शासन के दस्तावेज में दर्ज कराता है. इस दस्तावेज को भू -अभिलेख विभाग रिकॉर्ड में दर्ज कर शासन को पहुंचाता है. शासन गिरदावरी के आधार पर ही धान और अन्य फसलों की खरीदी भी करती है.

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