ETV Bharat / state

SPECIAL: रायगढ़ के 'निकले महादेव' की महिमा है अपरंपार, यहां हर मन्नत होती है पूरी

रायगढ़ शहर के बीच बसे 'निकले महादेव' मंदिर है. आस्था के इस केंद्र में लोग दूर-दूर से दर्शन को पहुंचते हैं. सावन के महीने में यहां कोरोना महामारी के डर से लोगों की भीड़ नहीं देखने को मिली. करीब 200 साल पुराने इस मंदिर की अपनी खास मान्यताएं हैं. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में आकर जो भी मन्नतें मांगी जाती है, पूरी हो जाती हैं.

raigarh nikle mahadev
रायगढ़ के 'निकले महादेव'
author img

By

Published : Jul 27, 2020, 8:12 PM IST

रायगढ़: सावन का महीना महादेव शिव के लिए सबसे प्रिय महीना होता है. सावन में चारों ओर हरियाली के साथ ही शिवालयों में रौनक होती है. रायगढ़ शहर के बीच बसे हैं 'निकले महादेव'. मान्यता है कि यह शिवलिंग स्वयंभू हैं इसलिए इनका नाम 'निकले महादेव' है. हर साल सावन के महीने में यहां रायगढ़ के साथ ही दूसरे जिलों से भी लोग दर्शन को पहुंचते थे. लेकिन कोरोना संकट काल ने मंदिरों में श्रद्धालुओं की संख्या कम कर दी.

रायगढ़ के 'निकले महादेव'

यह शिवालय लोगों की आस्था का केंद्र है. सावन के हर सोमवार यहां भक्त पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं. पहले इस मंदिर में रोजाना 500-600 लोग आया करते थे, लेकिन कोरोना महामारी ने इस पर विराम लगा दिया. इस बार मुश्किल से 50-60 श्रद्धालु ही भगवान शिव के दर्शन को पहुंच रहे हैं. कोरोना वायरस के संक्रमण से लोग इतने डरे हुए हैं कि अब घरों में रहकर ही भगवान की भक्ति कर रहे हैं. स्थानीय बताते हैं कि वे कई साल से इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं. ऐसा माना जाता है कि यहां भोले शंकर के दरबार में मांगी हुई सभी मन्नतें पूरी हो जाती है.

nikle mahadev temple in raigarh
निकले महादेव मंदिर

पुजारी ने बताया मंदिर का इतिहास

बरसों से मंदिर की पूजा करते आ रहे पुजारियों के परिवार के सदस्य बताते हैं कि जिस जगह पर अभी शिव जी का मंदिर है, वहां तालाब हुआ करता था जहां कार्तिक दास भारत नाम का व्यक्ति नहाने जाया करता था. पुजारी ने बताया कि करीब 200 साल पहले कार्तिक दास भारत नाम को सपना आया था कि 'निकले महादेव' यहां पर जमीन से निकले हुए हैं. जिसके बाद पहले एक छोटा गुबंदनुमा मंदिर बनाया गया, जिसके 100 साल बाद भव्य मंदिर का निर्माण किया गया. पुजारी ने बताया कि सामान्य दिनों में यहां सैकड़ों लोग दर्शन को आते थे, वहीं महाशिवरात्रि और सावन के महीने में श्रद्धालुओं की संख्या हजारों में होती है.

nikle mahadev temple in raigarh
यहां नाग के जोड़े की होती है पूजा

मंदिर की मान्यता को लेकर पुजारी बताते हैं कि 'निकले महादेव' मंदिर के पीछे पीपल पेड़ है, जिस पर नारियल बांधने से हर मनोकामना पूरी होती है.

पढ़ें- सावन स्पेशल: प्रकृति की गोद में बसा है भोला पठार, पूरी होती है हर मनोकामना

पुजारी ने बताया कि मंदिर में शासन-प्रशासन की जारी की गई गाइडलाइन का पूरा पालन किया जा रहा है. मंदिर के बाहर ही श्रद्धालु सैनिटाइज होकर अंदर आते हैं. साथ ही मास्क के बिना किसी को मंदिर परिसर में नहीं आने दिया जाता. सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा पालन किया जा रहा है.

लोक कथाओं के मुताबिक सावन महीने में ही समुद्र मंथन हुआ था और हर सोमवार को विशेष रत्नों की प्राप्ति हुई थी. 6 जुलाई से शुरू हुए सावन का समापन 3 अगस्त को पूर्णिमा के साथ होगा. बता दें कि 3 अगस्त को ही रक्षाबंधन का त्योहार भी मनाया जाएगा.

रायगढ़: सावन का महीना महादेव शिव के लिए सबसे प्रिय महीना होता है. सावन में चारों ओर हरियाली के साथ ही शिवालयों में रौनक होती है. रायगढ़ शहर के बीच बसे हैं 'निकले महादेव'. मान्यता है कि यह शिवलिंग स्वयंभू हैं इसलिए इनका नाम 'निकले महादेव' है. हर साल सावन के महीने में यहां रायगढ़ के साथ ही दूसरे जिलों से भी लोग दर्शन को पहुंचते थे. लेकिन कोरोना संकट काल ने मंदिरों में श्रद्धालुओं की संख्या कम कर दी.

रायगढ़ के 'निकले महादेव'

यह शिवालय लोगों की आस्था का केंद्र है. सावन के हर सोमवार यहां भक्त पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं. पहले इस मंदिर में रोजाना 500-600 लोग आया करते थे, लेकिन कोरोना महामारी ने इस पर विराम लगा दिया. इस बार मुश्किल से 50-60 श्रद्धालु ही भगवान शिव के दर्शन को पहुंच रहे हैं. कोरोना वायरस के संक्रमण से लोग इतने डरे हुए हैं कि अब घरों में रहकर ही भगवान की भक्ति कर रहे हैं. स्थानीय बताते हैं कि वे कई साल से इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं. ऐसा माना जाता है कि यहां भोले शंकर के दरबार में मांगी हुई सभी मन्नतें पूरी हो जाती है.

nikle mahadev temple in raigarh
निकले महादेव मंदिर

पुजारी ने बताया मंदिर का इतिहास

बरसों से मंदिर की पूजा करते आ रहे पुजारियों के परिवार के सदस्य बताते हैं कि जिस जगह पर अभी शिव जी का मंदिर है, वहां तालाब हुआ करता था जहां कार्तिक दास भारत नाम का व्यक्ति नहाने जाया करता था. पुजारी ने बताया कि करीब 200 साल पहले कार्तिक दास भारत नाम को सपना आया था कि 'निकले महादेव' यहां पर जमीन से निकले हुए हैं. जिसके बाद पहले एक छोटा गुबंदनुमा मंदिर बनाया गया, जिसके 100 साल बाद भव्य मंदिर का निर्माण किया गया. पुजारी ने बताया कि सामान्य दिनों में यहां सैकड़ों लोग दर्शन को आते थे, वहीं महाशिवरात्रि और सावन के महीने में श्रद्धालुओं की संख्या हजारों में होती है.

nikle mahadev temple in raigarh
यहां नाग के जोड़े की होती है पूजा

मंदिर की मान्यता को लेकर पुजारी बताते हैं कि 'निकले महादेव' मंदिर के पीछे पीपल पेड़ है, जिस पर नारियल बांधने से हर मनोकामना पूरी होती है.

पढ़ें- सावन स्पेशल: प्रकृति की गोद में बसा है भोला पठार, पूरी होती है हर मनोकामना

पुजारी ने बताया कि मंदिर में शासन-प्रशासन की जारी की गई गाइडलाइन का पूरा पालन किया जा रहा है. मंदिर के बाहर ही श्रद्धालु सैनिटाइज होकर अंदर आते हैं. साथ ही मास्क के बिना किसी को मंदिर परिसर में नहीं आने दिया जाता. सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा पालन किया जा रहा है.

लोक कथाओं के मुताबिक सावन महीने में ही समुद्र मंथन हुआ था और हर सोमवार को विशेष रत्नों की प्राप्ति हुई थी. 6 जुलाई से शुरू हुए सावन का समापन 3 अगस्त को पूर्णिमा के साथ होगा. बता दें कि 3 अगस्त को ही रक्षाबंधन का त्योहार भी मनाया जाएगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.