रायगढ़: जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर बरमकेला ब्लॉक के पुजेरी पाली में छठवीं शताब्दी का शिव मंदिर है. जिसे पुजेरी पाली के ग्रामीणों ने संजो कर रखा हुआ है. सावन में इस भग्नावशेष और खंडित मंदिर का विशेष महत्व है.
'एक रात में बना मंदिर'
मंदिर के पुजारी का कहना है कि छठवीं शताब्दी में बने इस मंदिर का निर्माण खुद भगवान विश्वकर्मा ने किया था. और पूरे मंदिर का निर्माण सिर्फ एक रात में किया गया है. जब सुबह हुई तब मंदिर का निर्माण बंद हो गया और भगवान विश्वकर्मा निर्माण कार्य छोड़ कर वापस चले गए. इस मंदिर में भगवान शिव स्वयंभू हैं जो भग्नावशेष स्थिति में है. पुजारी का कहना है कि शिवलिंग में कितना भी जल चढ़ाया जाए वो नीचे नहीं गिरता है और पूरा जल शिवलिंग में समा जाता है. मंदिर के पुजारी अभिमन्यु गोस्वामी का कहना है कि उनकी पिछली 6 पीढ़ियां इसी मंदिर में पूजा करती थी. उनका कहना है कि गांव की पूरी सुरक्षा मंदिर के सामने स्थापित मूर्ति करती है. और इसे गांव के सभी लोग रखवाल के नाम से जानते हैं.
मंदिर के बाहर राजा-रानी के पैर के निशान
यही नहीं इस जगह से कई कहानियां भी जुड़ी है. जिसे गांव के लोग अपने पूर्वजों से सुनकर आज खुद उसका बखान कर रहे हैं. ऐसे स्थान पर पहुंचने के बाद लोगों के मन में उसे जानने के लिए कई तरह की जिज्ञासा उठने लगती है. काली पत्थर में उकेरी गई भगवान विष्णु, भगवान शिव और काली माता से लेकर भगवान गणेश की यहां पूजा अर्चना की जाती है. वहीं मंदिर के बाहर राजा-रानी के पैर के निशान भी देखे जा सकते हैं. उसे मंदिर के ही मुख्य द्वार के सामने रखा गया है.
मंदिर की हिफाजत कर रहे है यहां के लोग
पुजेरी पाली गांव जाने के बाद हर कोई इतिहास में वापस चला जाता है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं के मुताबिक 6वीं शताब्दी के इस शिव मंदिर में सैकड़ों साल पुराने पुरातत्व अवशेष रखे गए हैं. जानकारों के मुताबिक छठवीं शताब्दी के पुरातत्व अवशेष मानकर गांव के लोग भी बड़ी जिम्मेदारी के साथ न सिर्फ इस शिव मंदिर की हिफाजत कर रहे हैं, बल्कि शिव मंदिर में हर रोज सुबह शाम पूजा भी करते हैं.