रायगढ़: पिछले कुछ माह से रायगढ़ तहसील न्यायालय काफी विवादों में है. बिना नोट दिये यहां के कर्मचारी काम नहीं करते. यह हम नहीं कह रहे यहां जो लोग अपने जमीन-जायदाद के काम के लिए आते हैं, यह उनका कहना है. पिछले कुछ माह में यह तीसरा मामला है, जिसमें तहसील न्यायालय के पटेल बाबू पर ग्रामीण ने स्टे ऑर्डर लेने के एवज में 10 हजार रुपये रिश्वत मांगने का आरोप लगाया.
यहां तक कि स्टे ऑर्डर के नाम से आवेदक छबीलाल 1 हजार रुपया दे चुका है. उसके बावजूद उससे 10 हजार रुपये और मांगे जा रहे हैं. उसके बाद स्टे ऑर्डर देने की बात कही गई है. गरीब आदिवासी परिवार खुद की जमीन बचाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है.
क्या है मामला: रायगढ़ शहर से महज 15 किलोमीटर दूर पंडरीपानी (पू.) के आदिवासी परिवार ने कल रायगढ़ तहसील न्यायालय में अपनी जमीन 24 /1, पटवारी हल्का नंबर 38 जिसमें सुरेश रोहड़ा और यशपाल के द्वारा अवैध कब्जा कर बाउंड्री वॉल निर्माण करने का आरोप लगाया था. वे तहसील न्यायालय में स्टे ऑर्डर लेने गए थे. तहसील न्यायालय में आवेदक से आवेदन लेकर स्टे ऑर्डर दे भी दिया गया. जबकि महज 15 से 20 मिनट के बाद उस स्टे ऑर्डर को निरस्त भी कर दिया गया.
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बताया गया कि अनावेदक सुरेश रोहड़ा और यशपाल की जमीन 22 -1, और 22 /2 है. जबकि आवेदक छबीलाल और पूरन सिंह की जमीन 24 / 1 है. कहा गया कि अनावेदक सुरेश अरोड़ा और यशपाल ने पटवारी आरआई की जांच रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गयी है. इस कारण इस स्टे ऑर्डर को निरस्त किया जाता है. कुछ जानकारों ने बताया कि स्टे आर्डर देने के बाद मौका मुआयना किया जाता है. उसके बाद ही स्टे को निरस्त किया जाता है. दूसरी ओर तहसील के पटेल बाबू ने 10000 रुपये की मांग की थी. आवेदक द्वारा पैसे नहीं दिये जाने के कारण इस स्टे ऑर्डर को निरस्त करने पर सवाल खड़ा हो रहा है.
नायब तहसीलदार श्रुति शर्मा ने बताया कि कल आवेदक पूरन सिंह न्यायालय आए थे. उन्होंने बताया कि इनकी जमीन 24 /1 पर अनावेदक निर्माण कर रहे हैं. मैंने इस पर स्टे दे दिया था. उसके बाद अनावेदक सुरेश रोहड़ा और यशपाल न्यायालय आए और बताया कि इनकी जमीन 22 /1 और 22 /2 है. इसमें इनकी सीमांकन रिपोर्ट भी है. इसके आधार पर दोनों की जमीन अलग-अलग जगह है. दोनों जमीन के बीच में शासकीय जमीन है. अनावेदक सुरेश अरोड़ा और यशपाल अपनी जमीन पर निर्माण कर रहे हैं. इसकी वजह से इस आदेश को निरस्त किया गया है.
जबकि आवेदक पूरन सिंह और उसके पुत्र छबिलाल ने तहसील कार्यालय के बाबू पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि हमसे तहसील के पटवारी पटेल 10 हजार रुपये मांग रहे थे. हमने पैसे नहीं दिये, इसलिए उन्होंने हमें स्टे आर्डर की ओरिजिनल कॉपी नहीं दी.
रायगढ़ तहसील न्यायालय का यह तीसरा एपिसोड है : पहले अधिवक्ताओं ने रायगढ़ तहसील न्यायालय के खिलाफ अवैध उगाही और अधिवक्ताओं से बदतमीजी के मामले में अब तक प्रदेश स्तर पर मुहिम छेड़ दी है. अब तक तहसील न्यायालय रायगढ़ में कोई भी अधिवक्ता खड़े नहीं हो रहे हैं.
दूसरा मामला पिछले दिनों कौहाकुंडा में सरकारी जमीन और तालाब पर अवैध कब्जा के नाम पर 10 लोगों को नोटिस जारी किया गया था. जिसमें भगवान शिव को भी नोटिस जारी हुआ था. इस पर कल ही तहसील के कुछ कर्मचारियों के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.
तीसरा मामला आज देखने को मिला जिसमें स्टे ऑर्डर देने के बाद 15 मिनट बाद उसे निरस्त कर दिया गया. फिर अनावेदक को तत्काल इस बात की जानकारी मिल गई कि उनके खिलाफ किसी ने स्टे ऑर्डर लिया है. फिर 10 मिनट के अंदर वह भी अपना पक्ष रखने तहसील न्यायालय पहुंच जाते हैं. 15 मिनट बाद उस स्टे ऑर्डर को निरस्त भी कर दिया जाता है. इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि रायगढ़ तहसील कार्यालय में सबकुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है.