रायगढ़: तमनार ब्लॉक में महाजेनको कंपनी को सैकड़ों एकड़ जंगल की जमीन पर कोयला उत्खनन के लिए पर्यावरण विभाग की अनुमचि मिलने के बाद लोगों का विरोध बढ़ गया है.
'लाखों की संख्यां में काटे जाएंगे पेड़'
लोगों का कहना है कि, 'महाजेनको को उत्खनन की अनुमति नहीं देनी चाहिए, इससे पर्यावरण असंतुलित होगा, क्योंकि जिस जगह पर उत्खनन का काम होगा, वहां जंगल होने की वजह से लाखों की संख्या में पेड़ काटे जाएंगे'.
लोगों ने शुरू किया हस्ताक्षर अभियान
महाजेनको को प्रस्तावित कोल माइंस की पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए आयोजित जनसुनवाई से पहले ही स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया है. लोगों ने पर्यावरण नियमों का हवाला देते हुए कोल माइंस की स्थापना के विरोध में मोर्चा खोलते हुए पोस्ट कार्ड और हस्ताक्षर अभियान शुरू कर दिया है.
ग्रामसभा से नहीं ली गई अनुमति
ग्रामीण नुक्कड़ सभाएं लेते हुए अनुमति दिए जाने का विरोध कर जनसमर्थन की अपील भी कर रहे हैं. तमनार में लोगों ने हस्ताक्षर अभियान चलाकर इसका विरोध किया. उनका कहना है कि, 'ये क्षेत्र पूरी तरह से अनुसूचित क्षेत्र 5 के अंतर्गत आता है. प्रबंधन ने जनसुनवाई के लिए ग्राम सभा से अनुमति भी नहीं ली है'.
'हाथियों का इलाका होगा प्रभावित'
ग्रामीणों का कहना है कि, 'माइंस से न सिर्फ जंगल प्रभावित होंगे. बल्कि हाथियों का इलाका भी प्रभावित होगा. इतना ही नहीं इससे लोगों की आवास से लेकर अन्न जल-की व्यवस्थाएं भी प्रभावित होंगी. प्रबंधन को जनसुनवाई के पहले सोशल असिस्टमेंट रिपोर्ट बनानी थी, जो कि कंपनी ने नहीं बनाई है'.
'जंगल कटने से बढ़ेगा प्रदूषण'
ग्रामीणों का कहना है कि, 'अगर महाजेनको की ओर से जंगल की कटाई कर वहां कोयला उत्खनन किया जाएगा, तो इस जिले में प्रदूषण का स्तर और भी बढ़ जाएगा'.