रायगढ़ : छत्तीसगढ़ में रायगढ़ औद्योगिक नगरी के रूप में विकसित हो रहा है. लेकिन यहां के खिलाड़ी और खेल प्रेमियों के लिए खेल मैदान का कोई विशेष विकल्प नहीं है. यहां हमेशा से ही खिलाड़ी और खेल प्रेमियों की उपेक्षा होती रही है. शहर के अंदर कई छोटे बड़े मैदान हैं जहां अतिक्रमण और गैर सामाजिक तत्वों के दखल से मैदान पूरी तरह खराब हो चुके हैं.
स्थानीय खिलाड़ियों का कहना है कि इन मैदानों में धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक कार्यक्रम होने की वजह से मैदान मिट्टी की जगह मुरूम और बजरी से पट गया है. जिससे यहां प्रैक्टिस करने वाले खिलाड़ियों को नुकसान पहुंच रहा है. खिलाड़ियों को चोट का खतरा बना रहता है. वहीं ETV भारत ने इस विषय पर नगर निगम प्रशासन से बात की, अधिकारी मैदानों के जीर्णोद्धार की बात कही है.
रायगढ़ के नटवर स्कूल मैदान, रामलीला मैदान, रामभाठा मैदान जैसे कुछ मैदान ही अभी खेल के लिए बचे हैं. बाकी अन्य जगहों पर कब्जा हो चुका है. स्थानीय प्रशासन की अनदेखी के कारण बचे कुचे मैदान भी बदतर हालात में है. खिलाड़ी बताते हैं कि कभी यहां से राष्ट्रीय और राज्य स्तर के खिलाड़ी तैयार होते थे. लेकिन अब जिला स्तर तक भी खिलाड़ी नहीं मिल पा रहा है
सुविधाओं की कमी से खेल प्रतिभा को लग रहा झटका
मैदान में फुटबॉल, वॉलीबॉल, क्रिकेट जैसे खेलों के खिलाड़ी अभी भी प्रैक्टिस के लिए आते हैं. लेकिन पथरीले मैदान, गड्ढे और कीचड़ की वजह से उन्हें वापस लौटना पड़ता है. शहर के सबसे बड़े रामलीला मैदान में चक्रधर समारोह जैसे राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम होते हैं. जिससे मैदान बंजर हो गया है, हेमंत यादव बताते हैं कि वे फुटबॉल में वह राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रह चुके हैं. स्टेट लेवल में उनकी टीम चैंपियन रही है. लेकिन आज नगर में मैदान और कोच के अभाव के कारण कई प्रतिभाएं उभर नहीं पा रही है. कई खिलाड़ियों ने तो घर चलाने के लिए पान ठेला खोल लिया है, जिससे वे अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं.
नगर निगम प्रशासन का दावा
नगर निगम सभापति का कहना है कि मैदानों के जीर्णोद्धार के लिए स्थानीय प्रशासन को बजट के लिए प्रस्ताव भेज दिया गया है. खरसिया विधायक और मंत्री उमेश पटेल को भी जिले के खेल मैदान और खिलाड़ियों की स्थिति से अवगत करा दिया गया है. कोरोना महामारी से राहत के बाद इस पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.