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25-30 स्टॉप मिलकर चला रहे हैं 100 बिस्तरों का अस्पताल

रायगढ़ में करोड़ों की लागत से मेडिकल कॉलेज अस्पताल के लिए नया भवन तो बना दिया गया है, लेकिन लोग यहां आने से कतरा रहे हैं.

अस्पताल
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Published : Nov 12, 2019, 3:16 PM IST

रायगढ़: करोड़ों की लागत से सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के तर्ज पर शहर से दूर मातृ-शिशु अस्पताल का निर्माण कराया गया है, लेकिन करोड़ों की लागत से बने इस भवन में लोग आने से कतरा रहे हैं. लोगों का कहना है कि नये अस्पताल भवन में कोई सुविधा नहीं है. जिससे यहां आने वाले मरीजों और उनके परिजनों को परेशानियों का सामना करना पढ़ रहा है.

वीराने में अस्पताल, जाने से कतराते हैं लोग

नहीं हैं मूलभूत सुविधाएं

बताते हैं, कई साल पहले से ही मेडिकल कॉलेज अस्पताल के लिए नया भवन बनकर तैयार हो चुका है, लेकिन मूलभूत सुविधाओं के अभाव में अस्पताल को अभी वहां नहीं शिफ्ट किया गया है. जिसके कारण लोग यहां नहीं आना चाहते हैं.

चंद लोगों के भरोसे चल रहा है अस्पताल
अस्पताल कहने को तो सुपर स्पेशलिटी है, लेकिन 100 बिस्तर वाले अस्पताल में गिनती के ही स्टॉफ हैं. वर्तमान में 25 से 30 कर्मचारी हैं. जबकी अस्पताल में 20 से 30 डॉक्टरों की जरूरत है. अस्पताल में 50 से 60 नर्स और उतनी ही आया और सफाई कर्मी की भी आवश्यकता है.

शहर से दूर होने के कारण नहीं आते हैं मरीज
अस्पताल के प्रभारी डॉक्टर का कहना है कि शहर से दूर होने के कारण लोग यहां नहीं आते हैं. इसके अलावा अस्पताल तक आने की सुविधा भी नहीं है, जिसके कारण लोग यहां आने से कतरा हैं. हालांकि कुछ लोग अपने निजी वाहन से यहां तक पहुंचते हैं.

रायगढ़: करोड़ों की लागत से सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के तर्ज पर शहर से दूर मातृ-शिशु अस्पताल का निर्माण कराया गया है, लेकिन करोड़ों की लागत से बने इस भवन में लोग आने से कतरा रहे हैं. लोगों का कहना है कि नये अस्पताल भवन में कोई सुविधा नहीं है. जिससे यहां आने वाले मरीजों और उनके परिजनों को परेशानियों का सामना करना पढ़ रहा है.

वीराने में अस्पताल, जाने से कतराते हैं लोग

नहीं हैं मूलभूत सुविधाएं

बताते हैं, कई साल पहले से ही मेडिकल कॉलेज अस्पताल के लिए नया भवन बनकर तैयार हो चुका है, लेकिन मूलभूत सुविधाओं के अभाव में अस्पताल को अभी वहां नहीं शिफ्ट किया गया है. जिसके कारण लोग यहां नहीं आना चाहते हैं.

चंद लोगों के भरोसे चल रहा है अस्पताल
अस्पताल कहने को तो सुपर स्पेशलिटी है, लेकिन 100 बिस्तर वाले अस्पताल में गिनती के ही स्टॉफ हैं. वर्तमान में 25 से 30 कर्मचारी हैं. जबकी अस्पताल में 20 से 30 डॉक्टरों की जरूरत है. अस्पताल में 50 से 60 नर्स और उतनी ही आया और सफाई कर्मी की भी आवश्यकता है.

शहर से दूर होने के कारण नहीं आते हैं मरीज
अस्पताल के प्रभारी डॉक्टर का कहना है कि शहर से दूर होने के कारण लोग यहां नहीं आते हैं. इसके अलावा अस्पताल तक आने की सुविधा भी नहीं है, जिसके कारण लोग यहां आने से कतरा हैं. हालांकि कुछ लोग अपने निजी वाहन से यहां तक पहुंचते हैं.

Intro:फ़ॉलोअप स्टोरी,

जिले में करोड़ों की लागत से सुपरस्पेशलिटी के तर्ज पर मातृ शिशु अस्पताल निर्माण कराया गया जहां साल भर बीत जाने के बाद भी डिलीवरी के लिए नहीं आ रहे हैं। प्रभारी डॉक्टर का कहना है कि शहर से दूर और आवागमन की सुविधा नहीं होने के कारण लोग गर्भवती महिलाओं को लेकर यहां आने से कतराते हैं जबकि यहां सभी सुविधाएं उपलब्ध है।

byte 01 अशोक अग्रवाल, प्रभारी डॉक्टर।




Body:बता दे कई साल पहले से ही मेडिकल कॉलेज अस्पताल के लिए नया भवन बनकर तैयार हो चुका है लेकिन मूलभूत सुविधाओं के अभाव में वहां अस्पताल को शिफ्ट नहीं किया गया है जिससे लोग वहां जाने से कतराते हैं। इस मातृ शिशु अस्पताल को जिला चिकित्सा विभाग ने यहां लोगों के नहीं पहुंचने के कारण मेडिकल कॉलेज से संबंध करके इस मातृ शिशु अस्पताल को संचालित किया जा रहा है। लेकिन मेडिकल कॉलेज अस्पताल ही नए भवन में नहीं पहुंचा है इसलिए लोग मातृ शिशु अस्पताल तक नहीं जाते। कहने को तो सुपर स्पेशलिटी के तर्ज पर करोड़ों की लागत से साल भर पहले अस्पताल बनाया गया। लेकिन 100 बिस्तर वाले अस्पताल में गिनती के ही स्टाफ हैं वर्तमान में 25 से 30 कर्मचारी हैं। जबकी 20 से 30 तो डॉक्टर ही होने थे वही 50 से 60 नर्स और उतने ही आया और सफाई कर्मी की आवश्यकता है लेकिन चंद लोगों के भरोसे ही 100 बिस्तर का मातृ शिशु अस्पताल चलाया जा रहा है।

पूरे मामले में अस्पताल के प्रभारी डॉ का कहना है कि शहर से दूर होने के कारण लोग वहां तक नहीं जाते और आवागमन के लिए वाहन की सुविधा भी नहीं है ऐसे में कुछ लोग अपनी ही निजी वाहनों से वहां तक पहुंचते हैं। अस्पताल को खुले हुए लगभग साल भर हो गया जिसमें 13 सफल डिलीवरी की गई है जबकि लगभग 550 महिलाओं के नसबंदी की गई है। फिलहाल अस्पताल में सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं डाक्टर और स्टाफ की कमी के कारण कुछ समस्याएं आती है लेकिन जितने स्टाफ हैं 3 पाली में ड्यूटी करके 24 घंटे सेवा देने की कोशिश कर रहे हैं।


Conclusion:note:- मेडिकल कॉलेज अस्पताल नए भवन में नहीं पहुंचा है इसलिए मातृ शिशु अस्पताल में भी ज्यादा मरीज नहीं पहुंच रहे हैं यह शहर से बाहर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के नए भवन के पास बना है।
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