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रायगढ़ : फाइलों में सिमटकर रह गई बाढ़ राहत योजना, बीते साल टूटे थे 256 मकान - रायगढ़ नगर निगम महापौर

मानसून के चलते रायगढ़ शहर के निचले वार्डों में बाढ़ की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. इन क्षेत्रों में रहने वाले लोग बाढ़ राहत योजना से वंचित हैं.

शहर के निचले वार्डों में घुसता है बारिश का पानी, बनते हैं बाढ़ के हालात
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Published : Jul 21, 2019, 5:57 PM IST

Updated : Jul 21, 2019, 9:35 PM IST

रायगढ़ : मानसून की शुरुआत हो चुकी है और ऐसे में डुबान क्षेत्रों में बाढ़ की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. शहर के निचले वार्डों को आने वाले दिनों में बाढ़ जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है.


हर साल बाढ़ की संभावनाओं को देखते हुए नगर निगम ने नालों के किनारे रिटर्निंग वाल बनाने की योजना बनाई थी, जिसके तहत बाढ़ प्रभावित बस्तियों को राहत मिलती. योजना के तहत तकरीबन 27 करोड़ रुपए का बजट भी रखा गया था, लेकिन अब तक निचले वार्डों के लोग इस योजना से वंचित हैं.


फाइलों में सिमटकर रह गई योजना
48 वार्डों वाले रायगढ़ नगर निगम में तकरीबन 11 वार्ड ऐसे हैं, जो नालों के किनारे बसे हैं और हर साल बारिश में बाढ़ की चपेट में आते हैं. इसके लिए बाढ़ प्रभावित इलाकों का सर्वे भी किया गया था. योजना के तहत शहर के इंदिरा नगर, लक्ष्मीपुर, विनोबा नगर, गुजरातीपारा, पैठु डबरी, राजीव नगर, जैसे इलाकों का चयन किया गया था, जो बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. दुख की बात ये है कि सारी प्रक्रिया पूरी करने के बाद भी योजना आगे नहीं बढ़ पाई है और फाइलों में सिमटकर रह गई है.


बीते साल बाढ़ में टूटे 256 कच्चे मकान
बीते साल बाढ़ की वजह से होने वाले नुकसान पर नजर डालें, तो निचले वार्डों में तकरीबन 256 कच्चे मकान टूटे थे और मवेशियों को भी नुकसान पहुंचा था. नगर निगम ने नुकसान के एवज में 40 लाख का मुआवजा बांटा था.


शासन को पत्र लिखकर करेंगी राशि की मांग : महापौर
मामले में नगर निगम महापौर का कहना है कि योजना उनके कार्यकाल में बनाई गई थी और उन्होंने स्टीमेट तैयार कर राज्य शासन को भेज भी दिया था, लेकिन शासन ने योजना के लिए राशि की स्वीकृति नहीं दी. इस वजह से योजना अब तक अटकी हुई है. महापौर का कहना है कि वे फिर से शासन को पत्र लिखकर राशि की मांग करेंगी.

रायगढ़ : मानसून की शुरुआत हो चुकी है और ऐसे में डुबान क्षेत्रों में बाढ़ की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. शहर के निचले वार्डों को आने वाले दिनों में बाढ़ जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है.


हर साल बाढ़ की संभावनाओं को देखते हुए नगर निगम ने नालों के किनारे रिटर्निंग वाल बनाने की योजना बनाई थी, जिसके तहत बाढ़ प्रभावित बस्तियों को राहत मिलती. योजना के तहत तकरीबन 27 करोड़ रुपए का बजट भी रखा गया था, लेकिन अब तक निचले वार्डों के लोग इस योजना से वंचित हैं.


फाइलों में सिमटकर रह गई योजना
48 वार्डों वाले रायगढ़ नगर निगम में तकरीबन 11 वार्ड ऐसे हैं, जो नालों के किनारे बसे हैं और हर साल बारिश में बाढ़ की चपेट में आते हैं. इसके लिए बाढ़ प्रभावित इलाकों का सर्वे भी किया गया था. योजना के तहत शहर के इंदिरा नगर, लक्ष्मीपुर, विनोबा नगर, गुजरातीपारा, पैठु डबरी, राजीव नगर, जैसे इलाकों का चयन किया गया था, जो बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. दुख की बात ये है कि सारी प्रक्रिया पूरी करने के बाद भी योजना आगे नहीं बढ़ पाई है और फाइलों में सिमटकर रह गई है.


बीते साल बाढ़ में टूटे 256 कच्चे मकान
बीते साल बाढ़ की वजह से होने वाले नुकसान पर नजर डालें, तो निचले वार्डों में तकरीबन 256 कच्चे मकान टूटे थे और मवेशियों को भी नुकसान पहुंचा था. नगर निगम ने नुकसान के एवज में 40 लाख का मुआवजा बांटा था.


शासन को पत्र लिखकर करेंगी राशि की मांग : महापौर
मामले में नगर निगम महापौर का कहना है कि योजना उनके कार्यकाल में बनाई गई थी और उन्होंने स्टीमेट तैयार कर राज्य शासन को भेज भी दिया था, लेकिन शासन ने योजना के लिए राशि की स्वीकृति नहीं दी. इस वजह से योजना अब तक अटकी हुई है. महापौर का कहना है कि वे फिर से शासन को पत्र लिखकर राशि की मांग करेंगी.

Intro:रायगढ़ शहर के निचले वार्डों में हर साल आने वाले बाढ़ को देखते हुए नगर निगम ने नालों के किनारे रिटेनिंग वाल बनाने की योजना बनाई थी। योजना के तहत तकरीबन 27 करोड़ रुपए का बजट भी रखा गया था। योजना थी कि बाढ प्रभावित बस्तियों को इससे राहत मिलेगी। बारिश शुरु हो चुकी है ऐसे में इस बार भी निचले वार्डो में लोग बाढ़ की त्रासदी झेलने को मजबूर होंगे।

Body:48 वार्डों वाले रायगढ़ नगर निगम के तकरीबन 11 वार्ड ऐसे हैं जो कि हर साल बारिश में बाढ़ की चपेट में आते हैं। ये ऐसे वार्ड हैं जो कि नालों के किनारे बसे हुए हैं। बाढ़ से हर साल होने वाले ऩुकसान को देखते हुए नगर निगम ने नालों के किनारे किनारे रिटेनिंग वाल बनाने की योजना बनाई थी। इसके लिए बाढ़ प्रभावित इलाकों का सर्वे भी किया गया था। शहर के इंदिरा नगर, लक्ष्मीपुर, विनोबा नगर, गुजराती पारा, पैठु डबरी, राजीव नगर, जैसे इलाकों का चयन योजना के तहत किया गया था जो कि बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। लेकिन ये विडंबना कही जाएगी कि सब कुछ होने के बाद योजना आगे बढ़ ही नहीं पाई और फाइलों में सिमटकर रह गई। इधऱ लोग हर साल बाढ़ की त्रासदी झेलने को मजबूर हो रहे हैं। अगर बीते साल ही बाढ़ की वजह से होने वाले नुकसान पर नजर डालें तो निचले वार्डों में बाढ़ की वजह से तकरीबन 256 कच्चे मकान टूटे थे। जबकि मवेशियों को भी नुकसान पहुंचा था। नगर निगम ने इसके एवज में 40 लाख का मुआवजा वितरित किया था।
Conclusion:इधर मामले में नगर निगम की महापौर का कहना है कि योजना उनके कार्यकाल में बनाई गई थी और उन्होने स्टीमेट भी तैयार कर राज्य शासन को भेजा था। लेकिन शासन ने योजना के लिए राशि की स्वीकृति ही नहीं दी। नतीजन योजना अब तक अटकी हुई है। महापौर का कहना है कि वे फिर से शासन को पत्र लिखकर राशि की मांग करेंगी।



Byte01 मधुबाई, महापौर नगर निगम रायगढ़
Last Updated : Jul 21, 2019, 9:35 PM IST
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