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काहे की जननी सुरक्षा योजना, मां की मौत के 4 घंटे बाद तक दूध को तरसता रहा मासूम

हॉस्पीटल की लापरवाही का मामला धरमजयगढ़ सिविल अस्पताल में देखने को मिला. यहां प्रसव के दौरान खून की कमी से मां की मौत हो गई. मौत के बाद करीब 4 घंटे के बाद तक नवजात दूध के लिए रोता-बिलखता रहा.

जननी सुरक्षा योजना में लापरवाही
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Published : May 14, 2019, 7:20 PM IST

धरमजयगढ़ : मां और उसकी ममता के किस्से यूं ही नहीं सुनाए जाते हैं. मां वो होती है जो मासूम के बिना कुछ कहे और बिना सुने सब कुछ समझ जाती है लेकिन जब उसका ही साया सिर से उठ जाए तो बच्चे की भूख-प्यास ही कोई नहीं जान पाता. धरमजयगढ़ के सरकारी अस्पताल में नवजात 4 घंटे दो बूंद दूध के लिए तरसता रहा.

जननी सुरक्षा योजना में लापरवाही

हॉस्पीटल की लापरवाही का मामला धरमजयगढ़ सिविल अस्पताल में देखने को मिला. यहां प्रसव के दौरान खून की कमी से मां की मौत हो गई. मौत के बाद करीब 4 घंटे के बाद तक नवजात दूध के लिए रोता-बिलखता रहा, लेकिन ड्यूटी पर तैनात किसी भी डॉक्टर का दिल नहीं पसीजाऔर न ही किसी डॉक्टर ने मासूम को दूध पिलाना जरूरी समझा.

जच्चा-बच्चा को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया
मंगलवार 11 बजे गेरसा गांव से गर्भवती महिला केवरा बाई अपने परिवार के साथ प्रसव पीड़ा होने पर स्वास्थ्य मितानिन के साथ बायसी अस्पताल पहुंची. जहां केवरा बाई ने लड़के को जन्म दिया. वहीं कुछ घंटों बाद उसकी हालत बिगड़ गई. मौजूद डॉक्टरों ने महिला को सिविल अस्पताल ले जाने की सलाह दे दी. परिजनों ने तत्काल जच्चा-बच्चा को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां खून की कमी की वजह से मां की मौत हो गई.

अस्पताल में जो मंजर सामने आया वो बेहद निराशा जनक
मां की मौत बाद अस्पताल में जो मंजर सामने आया वो बेहद निराशा जनक था. 4 घंटे बीतने के बाद भी मासूम को दूध की एक बूंद तक नसीब नहीं हुई. जबकि जननी सुरक्षा योजन के तहत जच्चा बच्चा दोनों के लिए दूध से लेकर सारे प्रोटीन आहार का इंतजाम रहता है. वहीं गेरसा मितानिन इंदर बाई ने इंसानियत का परिचय देते हुए अपने पैसे से दूध खरीद कर बच्चे को दूध पिलाया. साथ ही वहां मौजूद स्वास्थ्य मितानिन ब्लॉक समन्वयक ने फिर बच्चे के लिए दूध की व्यवस्था की.

अस्पताल प्रबंधन के सामने हुआ सबकुछ
यह सब कुछ धरमजयगढ़ सिविल अस्पताल प्रबंधन डॉ एस एस भगत और डॉ लकड़ा के नजरों के सामने हुआ पर उन्हें न किसी बात की परवाह भी नहीं. जबकि सरकार की ओर से जननी सुरक्षा योजना के तहत जच्चा-बच्चा के स्वस्थ जीवन के लिए लाखो करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. वहीं धरमजयगढ़ सिविल अस्पताल में आलम यह है की मासूम के लिए दूध की एक बूंद तक नसीब नहीं.

धरमजयगढ़ : मां और उसकी ममता के किस्से यूं ही नहीं सुनाए जाते हैं. मां वो होती है जो मासूम के बिना कुछ कहे और बिना सुने सब कुछ समझ जाती है लेकिन जब उसका ही साया सिर से उठ जाए तो बच्चे की भूख-प्यास ही कोई नहीं जान पाता. धरमजयगढ़ के सरकारी अस्पताल में नवजात 4 घंटे दो बूंद दूध के लिए तरसता रहा.

जननी सुरक्षा योजना में लापरवाही

हॉस्पीटल की लापरवाही का मामला धरमजयगढ़ सिविल अस्पताल में देखने को मिला. यहां प्रसव के दौरान खून की कमी से मां की मौत हो गई. मौत के बाद करीब 4 घंटे के बाद तक नवजात दूध के लिए रोता-बिलखता रहा, लेकिन ड्यूटी पर तैनात किसी भी डॉक्टर का दिल नहीं पसीजाऔर न ही किसी डॉक्टर ने मासूम को दूध पिलाना जरूरी समझा.

जच्चा-बच्चा को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया
मंगलवार 11 बजे गेरसा गांव से गर्भवती महिला केवरा बाई अपने परिवार के साथ प्रसव पीड़ा होने पर स्वास्थ्य मितानिन के साथ बायसी अस्पताल पहुंची. जहां केवरा बाई ने लड़के को जन्म दिया. वहीं कुछ घंटों बाद उसकी हालत बिगड़ गई. मौजूद डॉक्टरों ने महिला को सिविल अस्पताल ले जाने की सलाह दे दी. परिजनों ने तत्काल जच्चा-बच्चा को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां खून की कमी की वजह से मां की मौत हो गई.

अस्पताल में जो मंजर सामने आया वो बेहद निराशा जनक
मां की मौत बाद अस्पताल में जो मंजर सामने आया वो बेहद निराशा जनक था. 4 घंटे बीतने के बाद भी मासूम को दूध की एक बूंद तक नसीब नहीं हुई. जबकि जननी सुरक्षा योजन के तहत जच्चा बच्चा दोनों के लिए दूध से लेकर सारे प्रोटीन आहार का इंतजाम रहता है. वहीं गेरसा मितानिन इंदर बाई ने इंसानियत का परिचय देते हुए अपने पैसे से दूध खरीद कर बच्चे को दूध पिलाया. साथ ही वहां मौजूद स्वास्थ्य मितानिन ब्लॉक समन्वयक ने फिर बच्चे के लिए दूध की व्यवस्था की.

अस्पताल प्रबंधन के सामने हुआ सबकुछ
यह सब कुछ धरमजयगढ़ सिविल अस्पताल प्रबंधन डॉ एस एस भगत और डॉ लकड़ा के नजरों के सामने हुआ पर उन्हें न किसी बात की परवाह भी नहीं. जबकि सरकार की ओर से जननी सुरक्षा योजना के तहत जच्चा-बच्चा के स्वस्थ जीवन के लिए लाखो करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. वहीं धरमजयगढ़ सिविल अस्पताल में आलम यह है की मासूम के लिए दूध की एक बूंद तक नसीब नहीं.

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छत्तीसगढ़ -रायगढ़ ,धरमजयगढ़ संवाददाता -शेख आलम 10044,

स्लग - माँ की मौत,भूख से तड़पा तड़प मासूम

एंकर - हॉस्पिटल में डिलीवरी दौरान खून की कमी से माँ की मौत हो जाने के बाद जन्मे ,नवजात की अस्पताल में हालत देख किसी का भी दिल पसीज जाए लेकिन ड्यूटी में तैनात डॉक्टरों को मासूम पर रहम नहीं आया, मानवता को शर्मसार कर देने वाला दुखद मामला सामने आया है माँ की मौत बाद 4 घंटे तक मासूम भूख से तड़पता रहा लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने दूध तक नहीं पिलाया ,ये मामला न केवल दिल को झकझोर देने वाली है बल्कि धरमजयगढ़ सिविल अस्पताल की घोर लापरवाही को खुले तौर पे बयाँ कर रही है ।

पूरा मामला धरमजयगढ़ क्षेत्र के बायसी और धरमजयगढ़ सिविल अस्पताल का है कल करीब 11 बजे गेरसा गाँव से गर्भवती महिला केवरा बाई अपने पति और माँ के साथ प्रसव पीड़ा होने पर स्वास्थय मितानिन के साथ धरमजयगढ़ के बायसी अस्पताल पहुंचे जहाँ केवरा बाई ने बालक को जन्म दिया पर कुछ घंटो बाद उसकी हालत बिगड़ गई बताया जा रहा है मौजूद डॉक्टर और सिस्टर ने धरमजयगढ़ सिविल अस्पताल ले जाने की सलाह दे दी.परिजन तत्काल जच्चा बच्चा को लेकर अस्पताल पहुंचे लेकिन यहाँ भी कुछ न हो सका और कुछ देर बाद माँ हमेशा के लिए आँख बंद कर ली उपचार दौरान पता चला महिला के शरीर में मात्र 4 ग्राम खून था जो मौत की वजह बनी, माँ की मौत बाद अस्पताल में जो मंजर सामने आया, वो बेहद दुखद था सदमे में परिजन बदहवास थे ऐसे में मासूम बच्चा स्वास्थ्य मितानिन इंदर बाई की देख रेख था मगर 4 घंटे से ज्यादा का समय गुजर चूका था और अस्पताल से बच्चे को महज दूध का एक कतरा न सका जबकि जननी सुरक्षा योजन के तहत जच्चा बच्चा दोनों के लिए दूध से लेकर सारे प्रोटीन आहार का इंतेजाम रहता है वहीँ गेरसा मितानिन इंदर बाई इंसानियत का परिचय देते हुए अपने पैसे से दूकान से दूध लाकर बच्चे को पिलाई साथ ही वहाँ मौजूद स्वास्थ्य मितानिन ब्लॉक समन्वयक के कलिस्ता एक्का ,सोभा विशवास और सुकवारा साहू ने भी बच्चे के लिए दूध और इंदर बाई के लिए नास्ते की व्यवस्था की ,लेकिन बड़ी शर्म की बात है ये सबकुछ धरमजयगढ़ सिविल अस्पताल प्रबंधन डॉ एस एस भगत और डॉ लकड़ा के नज़रों के सामने हुआ पर उन्हें शर्म तक नहीं आई जबकि सरकार जननी सुरक्षा योजना के तहत जच्चा बच्चा के स्वस्थ जीवन के लिए लाखो करोड़ों रुपए खर्च कर रही है,और धरमजयगढ़ सिविल अस्पताल में आलम यह है की मासूम के लिए दूध का एक कतरा नसीब न हो सका ,अब इसे लापरवाही कहलें या फिर भ्रष्टाचार ?  

बाईट (1) BMO डॉ.एस एस भगत ।
बाईट (2) स्वास्थ मितानिन इंदर मोती ।Conclusion:
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