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SPECIAL : कोरोना में कम होती कैंची की धार, संकट में सैलून व्यापार

रायगढ़ में सैलून व्यापारी कोरोना महामारी की मारअब भी झेल रहे हैं. लोग कोरोना के डर से सैलून नहीं आ रहे हैं, इससे उनकी रोजी-रोटी पर खासा असर पड़ रहा है. सैलून मालिक अपने खर्च से वहां काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन तो दे रहे हैं, लेकिन हालात नहीं सुधरने पर वे भी आगे के लिए चिंता जता रहे हैं. सैलून संचालक और उसमें काम करने वाले कर्मचारियों के क्या हैं हाल, देखिये इसपर ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट...

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कम होती कैंची की धार
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Published : Oct 24, 2020, 7:26 PM IST

रायगढ़: कोरोना ने हर व्यवसाय को प्रभावित किया है. इसमें से एक व्यवसाय सैलून भी है, जो कोरोना संकट के बाद से घाटे में चल रहा था. लॉकडाउन तो खत्म हो गया लेकिन समस्या आज भी वैसी की वैसी ही है. सैलून में लोगों की भीड़ नहीं है, जो आ भी रहे हैं उनके लिए सैलून के नियम बदल चुके हैं. अब आसानी से लोग सैलून का लाभ नहीं ले सकते, बल्कि सैलून जाने से पहले सभी गाइडलाइन को फॉलो करना होता है. ETV भारत ने लोगों से बातचीत की जिसपर उनका कहना है कि कोरोना के डर के कारण वो सैलून नहीं आ रहे हैं. कुछ लोग लगभग 2 से 3 महीने बाद सैलून में आए हैं, लेकिन डर अब भी बना है.

कोरोना में कम होती कैंची की धार

रायगढ़ में छोटे-बड़े कई सैलून है. इन दुकानों से हजारों लोगों को रोजगार मिलता है, जिससे उनका परिवार पलता है. सीधे तौर पर सैलून के कारण इन लोगों के घरों में राशन पहुंचता है, जिससे उनका परिवार चलता है. ये रोज कमाते हैं, रोज खाते हैं. दुकानदारों का कहना है कि रविवार को ज्यादातर लोग सैलून आते थे, लेकिन सप्ताह में एक दिन रविवार को लॉकडाउन लगाया गया है. इसके कारण लोग घरों से नहीं निकल रहे हैं और उन्हें घाटा हो रहा है. बचे हुए बाकि दिन सुबह 8 बजे से रात के 9 बजे तक दुकान खोलने की अनुमति है, ऐसे में देर रात तक अपना काम करने वाले लोग भी सैलून या पार्लर तक नहीं पहुंच पाते हैं.

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कम होती कैंची की धार
25 से 30 फीसद रह गया रोजगार

सैलून और पार्लर संचालक बताते हैं कि रोजगार आधे से भी कम हो गया है. लोग डर की वजह से दुकान तक पहुंच नहीं रहे हैं. पार्लर में खर्चे बढ़ गए हैं, क्योंकि कोरोना संक्रमण को देखते हुए बाल काटने और मेकओवर करने के लिए डिस्पोजेबल एप्रोन का उपयोग कर रहे हैं. दुकान के अंदर थर्मल स्क्रीनिंग, बॉडी सैनिटाइजेशन, हैंड वॉश जैसे खर्च दुकानदार अपने खर्च से कर रहे है.

पढ़ें : SPECIAL : कैंची चलाने की परमिशन, हजामत बनाने की इजाजत, फिर भी निराश हैं सैलून संचालक

सीजन में लाखों का नुकसान

शादी-ब्याह के सीजन में अच्छी कमाई हो जाती थी, लेकिन इस बार भव्य शादी या कोई बड़ा कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं है. ऐसे में सीधे रोजगार पर इसका प्रभाव पड़ा है. ज्यादातर दुकानों की स्थिति यह हो गई है कि काम में रखे हुए कर्मचारियों को वेतन भी घर के पैसे देकर करना पड़ रहा है. उनका कहना है कि लागत के अनुसार आमदनी नहीं हो रही है. इस कारण पूरा खर्च बढ़ गया है, आमदनी घट गई है.

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कोरोना संकट के कारण नुकसान

सैलून संचालक ने प्रशासन से मांगी मदद

सैलून संचालकों ने बताया कि लॉकडाउन से पहले वे अच्छी खासी आमदनी कमा लिया करते थे, जिससे वह आसानी से जीवन यापन करते थे. अब कोरोना काल में उनके सामने दुकानों का किराया देना भी एक चुनौती बन गई है. साथ ही वर्तमान में उनके सामने घर चलाने की समस्या खड़ी हो गई है. सैलून संचालक अब शासन-प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं, ताकि उनका भी गुजर बरस चल सके.

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गाइडलाइन से बढ़े खर्च

रायगढ़: कोरोना ने हर व्यवसाय को प्रभावित किया है. इसमें से एक व्यवसाय सैलून भी है, जो कोरोना संकट के बाद से घाटे में चल रहा था. लॉकडाउन तो खत्म हो गया लेकिन समस्या आज भी वैसी की वैसी ही है. सैलून में लोगों की भीड़ नहीं है, जो आ भी रहे हैं उनके लिए सैलून के नियम बदल चुके हैं. अब आसानी से लोग सैलून का लाभ नहीं ले सकते, बल्कि सैलून जाने से पहले सभी गाइडलाइन को फॉलो करना होता है. ETV भारत ने लोगों से बातचीत की जिसपर उनका कहना है कि कोरोना के डर के कारण वो सैलून नहीं आ रहे हैं. कुछ लोग लगभग 2 से 3 महीने बाद सैलून में आए हैं, लेकिन डर अब भी बना है.

कोरोना में कम होती कैंची की धार

रायगढ़ में छोटे-बड़े कई सैलून है. इन दुकानों से हजारों लोगों को रोजगार मिलता है, जिससे उनका परिवार पलता है. सीधे तौर पर सैलून के कारण इन लोगों के घरों में राशन पहुंचता है, जिससे उनका परिवार चलता है. ये रोज कमाते हैं, रोज खाते हैं. दुकानदारों का कहना है कि रविवार को ज्यादातर लोग सैलून आते थे, लेकिन सप्ताह में एक दिन रविवार को लॉकडाउन लगाया गया है. इसके कारण लोग घरों से नहीं निकल रहे हैं और उन्हें घाटा हो रहा है. बचे हुए बाकि दिन सुबह 8 बजे से रात के 9 बजे तक दुकान खोलने की अनुमति है, ऐसे में देर रात तक अपना काम करने वाले लोग भी सैलून या पार्लर तक नहीं पहुंच पाते हैं.

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कम होती कैंची की धार
25 से 30 फीसद रह गया रोजगार

सैलून और पार्लर संचालक बताते हैं कि रोजगार आधे से भी कम हो गया है. लोग डर की वजह से दुकान तक पहुंच नहीं रहे हैं. पार्लर में खर्चे बढ़ गए हैं, क्योंकि कोरोना संक्रमण को देखते हुए बाल काटने और मेकओवर करने के लिए डिस्पोजेबल एप्रोन का उपयोग कर रहे हैं. दुकान के अंदर थर्मल स्क्रीनिंग, बॉडी सैनिटाइजेशन, हैंड वॉश जैसे खर्च दुकानदार अपने खर्च से कर रहे है.

पढ़ें : SPECIAL : कैंची चलाने की परमिशन, हजामत बनाने की इजाजत, फिर भी निराश हैं सैलून संचालक

सीजन में लाखों का नुकसान

शादी-ब्याह के सीजन में अच्छी कमाई हो जाती थी, लेकिन इस बार भव्य शादी या कोई बड़ा कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं है. ऐसे में सीधे रोजगार पर इसका प्रभाव पड़ा है. ज्यादातर दुकानों की स्थिति यह हो गई है कि काम में रखे हुए कर्मचारियों को वेतन भी घर के पैसे देकर करना पड़ रहा है. उनका कहना है कि लागत के अनुसार आमदनी नहीं हो रही है. इस कारण पूरा खर्च बढ़ गया है, आमदनी घट गई है.

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कोरोना संकट के कारण नुकसान

सैलून संचालक ने प्रशासन से मांगी मदद

सैलून संचालकों ने बताया कि लॉकडाउन से पहले वे अच्छी खासी आमदनी कमा लिया करते थे, जिससे वह आसानी से जीवन यापन करते थे. अब कोरोना काल में उनके सामने दुकानों का किराया देना भी एक चुनौती बन गई है. साथ ही वर्तमान में उनके सामने घर चलाने की समस्या खड़ी हो गई है. सैलून संचालक अब शासन-प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं, ताकि उनका भी गुजर बरस चल सके.

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गाइडलाइन से बढ़े खर्च
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