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Kelo Canal Project : केलो नहर परियोजना में फसल बर्बाद करने का आरोप - नेतनागर

रायगढ़ के नेतनागर में किसानों केलो नहर परियोजना के अफसरों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है.किसानों का कहना है कि अफसरों ने उनकी खड़ी फसल में जेसीबी चलवाई है.जिससे उन्हें काफी नुकसान हुआ है.

Farmers surrounded the jute mill police station
किसानों ने जूटमिल थाने का किया घेराव
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Published : Apr 4, 2023, 2:27 PM IST

Updated : Apr 4, 2023, 7:39 PM IST

फसल बर्बाद करने वाले अफसरों पर FIR की मांग

रायगढ़ : नेतनागर में केलो नहर परियोजना को लेकर ग्रामीणों का गुस्सा कम नहीं हो रहा है. किसान नहर परियोजना के कारण खराब हुई फसल का दोषी, अफसरों को मान रहे हैं. ग्रामीणों ने मांग की है कि अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए. जिसके लिए ग्रामीण जूटमिल थाना पहुंचे.लेकिन जब पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया तो सभी लोग कोर्ट परिसर में जाकर हल्ला करने लगे.आखिरकार अफसरों की समाझाइश के बाद पुलिस ने शिकायत दर्ज की है.

क्या है पुलिस पर आरोप : किसानों ने पुलिस पर आरोप लगाया कि एफआईआर दर्ज नहीं की जा रही है. प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद जूटमिल थाने में किसानों ने जेसीबी चलवाने वाले अधिकारी, तहसीलदार और सिंचाई विभाग के अधिकारी के खिलाफ लिखित में शिकायत दी है. इस संबंध में नेतनागर के किसान लल्लू सिंह ने कहा कि '' पिछली 27 तारीख को हमारी खड़ी फसलों को रौंद दिया गया. जिससे किसान आहत हैं.इसी मामले को लेकर हम किसान दोषी अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने आए हैं. हम किसानों को न्याय चाहिए. जिसके लिए हम अंतिम लड़ाई लड़ने को तैयार हैं.''

किसानों की जमीन का सीमांकन : किसानों का कहना है कि राजस्व विभाग ने खड़ी फसल पर ही सीमांकन कर दिया. जिसके चलते काफी नुकसान हुआ है.ऐसे में अब क्षेत्र के किसान एकजुट होकर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. किसानों ने ये भी आरोप लगाया कि डैम से 8 साल से उद्योगों को पानी दिया जा रहा है.लेकिन किसानों को पानी से वंचित रखा गया है. प्रशासन सिर्फ सूखी नहर बनाकर शासकीय पैसों का दुरुपयोग कर रही है.

ये भी पढ़ें- केलो नहर परियोजना के विरोध में उतरे किसान



10 वर्ष पहले हो चुका है भू अर्जन : इस मामले में केलो परियोजना के कार्यपालन अभियंता पीआर फुलेकर ने बताया कि '' परियोजना का कार्य 2009 से शुरू हुआ है.इसमें बांध के साथ नहरों के निर्माण के लिए वर्षों पहले ही भू अर्जन किया जा चुका है.नेतनागर में भी 10 वर्ष पहले ही जमीन अधिग्रहित की जा चुकी है. इसके लिए मुआवजा भी विभाग ने दिया है. जो जमीन अधिग्रहित की गई है. वह रिकॉर्ड में सिंचाई विभाग के नाम दर्ज है. इन्हीं जमीनों पर ही विभाग नहर निर्माण का कार्य करवा रहा है.नेतनागर में अर्जित भूमि का मुआवजा तैयार कर विभाग ने जारी किया है. इसे बांटने के लिए गांव में कई बार कैंप लगाया गया. परियोजना पूरा करने के लिए दिसंबर 2023 की समय सीमा तय की गई है. यह शासकीय कार्य है. इसमें बाधा पहुंचाने वालों पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है.इस परियोजना की लागत 891 करोड़ रुपए है.''


फसल बर्बाद करने वाले अफसरों पर FIR की मांग

रायगढ़ : नेतनागर में केलो नहर परियोजना को लेकर ग्रामीणों का गुस्सा कम नहीं हो रहा है. किसान नहर परियोजना के कारण खराब हुई फसल का दोषी, अफसरों को मान रहे हैं. ग्रामीणों ने मांग की है कि अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए. जिसके लिए ग्रामीण जूटमिल थाना पहुंचे.लेकिन जब पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया तो सभी लोग कोर्ट परिसर में जाकर हल्ला करने लगे.आखिरकार अफसरों की समाझाइश के बाद पुलिस ने शिकायत दर्ज की है.

क्या है पुलिस पर आरोप : किसानों ने पुलिस पर आरोप लगाया कि एफआईआर दर्ज नहीं की जा रही है. प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद जूटमिल थाने में किसानों ने जेसीबी चलवाने वाले अधिकारी, तहसीलदार और सिंचाई विभाग के अधिकारी के खिलाफ लिखित में शिकायत दी है. इस संबंध में नेतनागर के किसान लल्लू सिंह ने कहा कि '' पिछली 27 तारीख को हमारी खड़ी फसलों को रौंद दिया गया. जिससे किसान आहत हैं.इसी मामले को लेकर हम किसान दोषी अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने आए हैं. हम किसानों को न्याय चाहिए. जिसके लिए हम अंतिम लड़ाई लड़ने को तैयार हैं.''

किसानों की जमीन का सीमांकन : किसानों का कहना है कि राजस्व विभाग ने खड़ी फसल पर ही सीमांकन कर दिया. जिसके चलते काफी नुकसान हुआ है.ऐसे में अब क्षेत्र के किसान एकजुट होकर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. किसानों ने ये भी आरोप लगाया कि डैम से 8 साल से उद्योगों को पानी दिया जा रहा है.लेकिन किसानों को पानी से वंचित रखा गया है. प्रशासन सिर्फ सूखी नहर बनाकर शासकीय पैसों का दुरुपयोग कर रही है.

ये भी पढ़ें- केलो नहर परियोजना के विरोध में उतरे किसान



10 वर्ष पहले हो चुका है भू अर्जन : इस मामले में केलो परियोजना के कार्यपालन अभियंता पीआर फुलेकर ने बताया कि '' परियोजना का कार्य 2009 से शुरू हुआ है.इसमें बांध के साथ नहरों के निर्माण के लिए वर्षों पहले ही भू अर्जन किया जा चुका है.नेतनागर में भी 10 वर्ष पहले ही जमीन अधिग्रहित की जा चुकी है. इसके लिए मुआवजा भी विभाग ने दिया है. जो जमीन अधिग्रहित की गई है. वह रिकॉर्ड में सिंचाई विभाग के नाम दर्ज है. इन्हीं जमीनों पर ही विभाग नहर निर्माण का कार्य करवा रहा है.नेतनागर में अर्जित भूमि का मुआवजा तैयार कर विभाग ने जारी किया है. इसे बांटने के लिए गांव में कई बार कैंप लगाया गया. परियोजना पूरा करने के लिए दिसंबर 2023 की समय सीमा तय की गई है. यह शासकीय कार्य है. इसमें बाधा पहुंचाने वालों पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है.इस परियोजना की लागत 891 करोड़ रुपए है.''


Last Updated : Apr 4, 2023, 7:39 PM IST
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