नारायणपुर: नारायणपुर अपने घने वन क्षेत्र के किए जाना जाता है. नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले का ज्यादातर हिस्सा अबूझमाड़ के घने जंगलों से घिरा हुआ है. जंगलों से मिलने वाली वनोपज ही अबूझमाड़ के आदिवासी जनजाति के ग्रामीणों की आर्थिक आय का मुख्य जरिया भी है. वनोपज का समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग पिछले कई सालों से ग्रामीण कर रहे हैं. अब मांगें पूरी नहीं होने पर अबूझमाड़ के ग्रामीणों ने मोर्चा खोल दिया है. हजारों की संख्या में ग्रामीण सड़कों पर उतर गए हैं. ग्रामीण वनोपज का समर्थन मूल्य बढ़ाने के लिए सरकार से सालों से मांग कर रहे हैं.
SDM को ज्ञापन: नारायणपुर जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर जम्हरी गांव में हजारों ग्रामीण जुटे. ग्रामीणों ने SDM को ज्ञापन दिया. ग्रामीणों की सभी वनोपज के समर्थन मूल्य बढ़ाने के साथ ही तेंदूपत्ता का नगद भुगतान और तेंदूपत्ता का समर्थन मूल्य प्रति सैकड़ा 600 रुपए करने की मांग शामिल हैं. तेंदूपत्ता संग्राहक के मुखिया की मौत होने पर उसे मुआवजा दिया जाए.
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ग्रामीण ने कही ये बात: आदिवासी ग्रामीण ने बताया कि "हम सालों से अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन सरकार हमारी मांग को पूरा नहीं कर रही है. हमारे लिए अब घर चलाना भी मुश्किल हो गया है. तेंदूपत्ता प्रति सैकड़ा 100 गड्डी 600 रुपये दिए जाने की मांग हम कर रहे हैं. इसके साथ ही तेंदूपत्ता का भुगतान हम नगद में करने की मांग कर रहे हैं."