नारायणपुर: नारायणपुर और कांकेर जिले के बीच में रावघाट है. रावघाट परियोजना के अंतर्गत नारायणपुर जिले के खोड़गांव अंजरेल में बीएसपी का लौह अयस्क खदान संचालित है. जहां लौह अयस्क खनन से परिवहन तक का काम निजी कंपनी देव माइनिंग कर रही है.परियोजना के दूसरे छोर पर कांकेर जिले के भैंसगांव क्षेत्र के सैकड़ों ग्रामीण 8 अप्रैल से अनिश्चितकालीन आंदोलन पर हैं. ये ग्रामीण माइंस खुलने का विरोध कर रहे हैं.
क्या कहते हैं ग्रामीण: ग्रामीणों का कहना है कि " हम 8 अप्रैल से धरने पर हैं. यहां माइंस खुलने जा रहा है. लेकिन इसके लिए हमसे न तो किसी ने बात की. ना ही हमसे पूछा गया. ये हमारी धरती है. हम शुरू से ही यहां रह रहे हैं. आज तक यहां कोई ग्राम सभा नहीं हुई है. बिना ग्राम सभा के और लोगों से बगैर पूछे रावघाट माइंस खोली जा रही है. सरकार और बीएसपी यहां के लोगों से मिलकर बात करें. तब सबकी सहमति से जो होगा वो करें."
जल जंगल जमीन को ना छेड़ें: पांचवी अनुसूची क्षेत्र के किसी भी गांव में ग्राम सभा का अधिकार व्यवस्था में आता है. गांव की पारंपरिक सीमा में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और ओबीसी निवासरत सभी जाति के लोगों का हक भी है. ग्रामीणों का कहना है कि," जब तक नार्र व्यवस्था से अनुमति ना हो तब तक जल, जंगल, जमीन को कोई ना छेड़े. क्योंकि आदिवासी प्रकृति के पुजारी हैं. माइंस खुलने से प्रकृति और नार्र व्यवस्था खत्म हो जाएगी. आदिवासी संस्कृति को नुकसान पहुंचेगा.
नार्र व्यवस्था क्या है: नार्र व्यवस्था आदिवासियों की पुरखों के द्धारा शुरू किया गया था. इस व्यवस्था के तहत जल जंगल जमीन पर गांव की मर्जी के अनुसार ही कोई कार्य किया जा सकता है. इस सिस्टम के मुताबिक आदिवासी इलाकों में जल जंगल और जमीन पर आदिवासी लोगों का हक होता है. नार्र व्यवस्था को ग्राम व्यवस्था कहते हैं. इसका संचालन गांव के गायता और पुजारी के द्धारा किया जाता है.
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माइंस खुलने से विकास भी होगा और नुकसान भी: ग्रामीणों का कहना है कि "रावघाट एरिया पांचवी अनुसूची क्षेत्र में आता है. पेसा कानून अधिनियम के तहत जल जंगल जमीन और माइंस क्षेत्र है. जब तक ग्राम सभा की अनुमति ना हो तब तक माइंस खोलने की बात तो दूर उस पर नजर भी ना डाले. माइंस खुलने से विकास भी होगा और उससे नुकसान भी होगा. पेसा कानून के नियमों का पालन हमारे लिए जरूरी है. इसलिए पहले उसका पालन किया जाए"
प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों की मांगें: भैंसगांव दंडकवन भूमकाल क्षेत्र के ग्रामीणों ने ग्राम सभा का आयोजन कर इस समस्या के समाधान की मांग की है. अब देखना होगा कि प्रशासन इस ओर क्या कदम उठाता है.