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SPECIAL : बंदूक छोड़ थामी कलम, शिक्षा की तरफ बढ़ चले ये कदम

आत्मसमर्पण करने वाले कई नक्सली पढ़-लिख नहीं पाए हैं, जिससे उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है, लिहाजा पुलिस प्रशासन ने इनके पढ़ने के लिए स्कूल खोला है, जहां से पढ़ाई करते हैं.

शिक्षा की तरफ बढ़ चले आत्मसमर्पित नक्सली
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Published : Jul 22, 2019, 10:55 PM IST

नारायणपुर : आओ स्कूल चलें में हम अब तक आपको सरकारी स्कूलों की पॉजीटिव और नेगेटिव तस्वीरें दिखाते रहे, लेकिन इस बार हम जो स्कूल आपको दिखाने वाले हैं उसकी जितनी तारीफ करें वो कम है. यहां पढ़ने वाले 3 सौ छात्र ऐसे हैं, जो या तो आत्मसमर्पित नक्सली हैं या फिर नक्सलियों के सताए हुए हैं.

शिक्षा की तरफ बढ़ चले आत्मसमर्पित नक्सली
  • लोगों का ब्रेन वॉश करने के लिए नक्सली प्रभावित क्षेत्र के लोगों को पढ़ने से रोकते हैं. ऐसा खुद सरेंडर करने वाले नक्सलियों या उनके साथ काम करने वालों ने बताया है.
  • जिला पुलिस ने सरेंडर करने वाले नक्सलियों या उनसे पीड़ितों की शिक्षा पाने में मदद कर रही है. नारायणपुर पुलिस अधीक्षक की इस पहल के तहत जो आत्मसमर्पित नक्सली बिल्कुल नहीं पढ़ पाए हैं, उन्हें आठवीं तक की शिक्षा दी जा रही है.
  • नारायणपुर एसपी मोहित गर्ग ने बताया कि आज के जमाने में साइबर क्राइम बढ़ गए हैं. उन्होंने बताया कि समर्पित नक्सली को पुलिस की मदद करने के लिए नौकरी तो मिल गई है लेकिन इनको जागरूक करने के लिए शिक्षा दी जा रही है.
  • उन्होंने बताया कि जिले में करीब 300 से अधिक नक्सल पीड़ित, सरेंडर करने वालों को फोर्स में जगह मिली हुई है. ये या तो पहले नक्सली संगठन में रहने के कारण स्कूल नहीं जा पाए या फिर आधा ही पढ़ पाए, ऐसे लोगों को सक्षम बनाने का बीड़ा उठाया गया है.
  • साथी नक्सल पीड़ित बच्चों को कंप्यूटर क्लास लैब में मुफ्त कंप्यूटर ज्ञान दिया जा रहा है. नक्सल पीड़ित बच्चे बड़े उत्साह से कंप्यूटर ज्ञान ले रहे हैं.
  • खास बात ये है कि आत्मसमर्पण नक्सलियों ने भी खुद पढ़ने के लिए अपील की थी. अब उनके लिए विशेष क्लासेस का इंतजाम किया गया है. उम्मीद है कि शिक्षा का ये उजियारा इनके जीवन को रोशनी से भर देगा.

नारायणपुर : आओ स्कूल चलें में हम अब तक आपको सरकारी स्कूलों की पॉजीटिव और नेगेटिव तस्वीरें दिखाते रहे, लेकिन इस बार हम जो स्कूल आपको दिखाने वाले हैं उसकी जितनी तारीफ करें वो कम है. यहां पढ़ने वाले 3 सौ छात्र ऐसे हैं, जो या तो आत्मसमर्पित नक्सली हैं या फिर नक्सलियों के सताए हुए हैं.

शिक्षा की तरफ बढ़ चले आत्मसमर्पित नक्सली
  • लोगों का ब्रेन वॉश करने के लिए नक्सली प्रभावित क्षेत्र के लोगों को पढ़ने से रोकते हैं. ऐसा खुद सरेंडर करने वाले नक्सलियों या उनके साथ काम करने वालों ने बताया है.
  • जिला पुलिस ने सरेंडर करने वाले नक्सलियों या उनसे पीड़ितों की शिक्षा पाने में मदद कर रही है. नारायणपुर पुलिस अधीक्षक की इस पहल के तहत जो आत्मसमर्पित नक्सली बिल्कुल नहीं पढ़ पाए हैं, उन्हें आठवीं तक की शिक्षा दी जा रही है.
  • नारायणपुर एसपी मोहित गर्ग ने बताया कि आज के जमाने में साइबर क्राइम बढ़ गए हैं. उन्होंने बताया कि समर्पित नक्सली को पुलिस की मदद करने के लिए नौकरी तो मिल गई है लेकिन इनको जागरूक करने के लिए शिक्षा दी जा रही है.
  • उन्होंने बताया कि जिले में करीब 300 से अधिक नक्सल पीड़ित, सरेंडर करने वालों को फोर्स में जगह मिली हुई है. ये या तो पहले नक्सली संगठन में रहने के कारण स्कूल नहीं जा पाए या फिर आधा ही पढ़ पाए, ऐसे लोगों को सक्षम बनाने का बीड़ा उठाया गया है.
  • साथी नक्सल पीड़ित बच्चों को कंप्यूटर क्लास लैब में मुफ्त कंप्यूटर ज्ञान दिया जा रहा है. नक्सल पीड़ित बच्चे बड़े उत्साह से कंप्यूटर ज्ञान ले रहे हैं.
  • खास बात ये है कि आत्मसमर्पण नक्सलियों ने भी खुद पढ़ने के लिए अपील की थी. अब उनके लिए विशेष क्लासेस का इंतजाम किया गया है. उम्मीद है कि शिक्षा का ये उजियारा इनके जीवन को रोशनी से भर देगा.
Intro:cg_nyp_naxal ne rakha shicsha se dur_CG10020

एंकर नारायणपुर के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र अबूझमाड़ का वन क्षेत्र में गांव में बसने वाले लोगों को नक्सलियों ने जागरूक होने से रोके की रखा है वहां रहने वाले लोग पढ़ाई लिखाई से कोसों दूर है जहां शिक्षा का नामोनिशान को रोके रखा है यहां बसने वाले लोग अगर शिक्षित हो गए तो सबसे बड़ा समस्या नक्सलियों को होगा जिसके कारण यहां रहने वाले लोगों को नक्सली पढ़ाई लिखाई से दूर रखते हैं यह बात सामने आया है पहले नक्सलियों के साथ रहे और उनके साथ काम किए हैं आत्मा समर्पित करने वाले नक्सलियों से जो आज पुलिस की मदद कर नक्सलियों को अबूझमाड़ से दूर करने में मदद कर रही है आत्मा समर्पित नक्सलियों से चर्चा करने पर पता चला है कि वहां रहने से उनको स्कूलों से कोसों दूर रहने की बात नक्सली कहते हैं

नक्सलियों के इस गंदे सोच को खत्म करने के लिए नारायणपुर पुलिस अधीक्षक ने एक पहल किया है शिक्षा देने का जो आत्मानं समर्पित नक्सली बिल्कुल भी पढ़ लिख नहीं पाए हैं उनको पांचवी आठवीं पास कराने का बीड़ा उठाया है और शाम होते ही आत्म समर्पित नक्सलियों का स्कूल शुरू हो जाता है और यहां पढ़ाई होता है अनार के अ और आम की आ भले शुरुआत में शिक्षकों को पढ़ाने में काफी दिक्कत हो रही है फिर भी नारायणपुर एसपी का यह सराहनीय कार्य आत्मसमर्पण नक्सलियों को जीवन जीने में बहुत बड़ा काम आएगा नारायणपुर एसपी मोहित गर्ग ने बताया आज के जमाने में साइबर क्राइम बढ़ गए हैं जिसके कारण हाथ में समर्पित नक्सली को पुलिस की मदद करने के लिए नौकरी तो मिल गई है पर इनको बैंक में एटीएम में और मोबाइल क्राइम में कुछ हद तक फ्रॉड होने से बचाए जाने की कोशिश की जा रही है इनको हर तरह से जागरूक करने की कोशिश हमारे सारे टीम का है

नारायणपुर जिला में लगभग 300 से अधिक नक्सल पीड़ित आत्मा समर्पित लोगों को फोर्स में जगह मिला हुआ है जो पहले नक्सली संगठन में रहने के कारण स्कूल नहीं पढ़ पाए या फिर आधा ही पढ़ पाए ऐसे लोगों को सक्षम बनाने का बीड़ा उठाया गया है
साथी नक्सल पीड़ित बच्चों को कंप्यूटर क्लास लैब में निशुल्क कंप्यूटर ज्ञान दिया जा रहा है जोकि यह नक्सल पीड़ित बच्चे बड़ी उत्साह से कंप्यूटर ज्ञान ले रहे हैं


बाइक मोहित गर्ग नारायणपुर पुलिस अधीक्षक
बाइक अमर पोटाई आत्मसमर्पण नक्सली हेड कांस्टेबल
बाइट सोनी मरकाम आत्म समर्पित नक्सली डीआरजी फोर्स
बाइट रोहित पटेल


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नारायणपुर नक्सलियों के संगठन में रहने के बाद नक्सलियों ने शिक्षा से कोसों दूर रखा था फिर भी आत्मसमर्पण नक्सलियों ने हिम्मत नहीं हारी और दोबारा पढ़ाई करने के लिए नारायणपुर किसी को गुहार लगाई और स्कूल जाना शुरू कर दिया है जिनके लिए विशेष क्लास लगाया जा रहा है।


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नारायणपुर पूरे अबूझमाड़ में नक्सलियों ने शिक्षा को लोगों तक पहुंचने से पहले ही रोके रखा है ताकि अबूझमाड़ के लोगों को अपने काबू में रख सके लोग अगर पढ़ाई लिखाई नहीं करेंगे तो उनके पास काम भी नहीं होगा और वहां गरीब रहेंगे इस वजह से नक्सली ने लोगों पर अपना कब्जा किया है ताकि देश दुनिया में हो रहे बदलाव को अबूझमाड़ ना दे सके और सरकार का कोई भी योजना गांव तक नहीं पहुंच पाएगी।
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