नारायणपुर : कोरोना संकट के दौरान बच्चों की पढ़ाई का नुकसान न हो इसलिए राज्य सरकार ने 'पढ़ई तुंहर दुआर' की शुरुतात की थी. लेकिन ग्रामीण अंचलों में बच्चों की पढ़ाई में कई दिक्कतें आ रही है. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में और भी बुरा हाल है. नारायणपुर जिले के पहाड़ और घने जंगलो के बीच बसे गांव में नेटवर्क की समस्या हमेशा बनी रहती है. इसे देखते हुए शिक्षक ग्रुप बनाकर ऑफलाइन वर्चुअल क्लास ले रहे है. स्कूल के प्रधान पाठक, प्राचार्य और संकुल समन्वयकों को नोडल अधिकारी बनाया गया है.
पढ़ई तुंहर दुआर के तहत कक्षा पहली से दसवीं तक के छात्र-छात्राओं को पढ़ाने के लिए साप्ताहिक समय सारिणी भी तैयार की गई है. कोरोना संकट के कारण अन्य प्रदेशों के साथ ही छत्तीसगढ़ के हर जिले के स्कूल बंद है. मिली जानकारी अनुसार नारायणपुर ब्लॉक के संकुल केन्द्र नारायणपुर, गढ़बेंगाल, भरण्डा और माहका संकुलो को छोड़कर अन्य 14 संकुलों में नेटवर्क नहीं है. इसी प्रकार ओरछा ब्लॉक के अंतर्गत ओरछा संकुल में समय-समय पर नेटवर्क आता-जाता है. बाकी 12 संकुल केंद्रों में नेटवर्क नहीं है. जिस कारण ऑनलाइन क्लासेस नहीं हो पाती. यहां वर्चुअल ऑफलाइन शिक्षा टीचर बच्चों को दे रहे हैं.
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पढ़ई तुंहर दुआर योजना के तहत नारायणपुर जिले में ऑनलाइन शिक्षक विद्यार्थी पंजीयन, मोबाइल उपलब्धता और नेटवर्क कवरेज की पड़ताल ETV भारत ने की है.
- जिले में बच्चों की कुल दर्ज संख्या 26,861 है.
- 5930 स्कूली बच्चें ऑनलाइन जुड़ रहे हैं.
- 1401 शिक्षकों में से 1,380 शिक्षक को ऑनलाइन पोर्टल से जोड़ा गया है.
- जिले में 19839 विद्यार्थी और पैरेंट्स के पास मोबाइल नहीं है.
- वे ऑफलाइन वर्चुअल क्लास के माध्यम से जुड़ रहे हैं.
विषम परिस्थितियों में भी नारायणपुर के शिक्षक बच्चों की पढ़ाई को नुकसान न हो इसलिए जी जान से जुटे हुए हैं. जंगल-पहाड़ों के बीच खुले आसमान के नीचे शिक्षक विद्यार्थियों को पढ़ाई करा रहे हैं. शिक्षक कोविड-19 से बचाव का भी पूरा ध्यान रख रहे हैं. सभी बच्चे मास्क लगाते हैं, बकायदा उनके हाथों को सैनिटाइज किया जाता है. क्लास में शिक्षक अपने मोबाइल से आने वाली शिक्षण सामग्री को बच्चों को दिखाते हैं, फिर उसे समझाते हैं. पढ़ई तुंहर दुआर योजना भले ही वनांचल क्षेत्र में दम तोड़ रही हो. लेकिन इन शिक्षकों की कोशिशों ने शिक्षा की अलख जगा रखी है.