नारायणपुर: ग्रामीण इलाकों के हर क्षेत्र के लगभग सभी गांव के ग्रामीण अब दो रायों में बंट गए हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि 'ईसाई मिशनरी' के लोग नारायणपुर के भोले-भाले गरीब और अनपढ़ आदिवासियों को बहला-फुसलाकर उन्हें ईसाई बना रहे हैं. जिससे आदिवासी संस्कृति नष्ट हो रही है. 'ईसाई मिशनरी' अपने धर्म को श्रेष्ठ बताकर लोगों को धर्मांतरित कर रहे हैं. इसके लिए ये लोग ग्रामीणों को कई तरीके के प्रलोभन देकर उनका मन बदलने में सफल हो रहे हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि 'ईसाई मिशनरी' के लोग भोले-भाले लोगों को कई तरह की काल्पनिक कहानियां और वीडियो दिखाकर भ्रमित करते हैं.
जिसके बाद सैकड़ों ग्रामीण शिकायत लेकर कलेक्टर के पास पहुंचे और राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा. ग्रामीणों का प्रतिनिधित्व कर रहे सरपंच शान्तु राम दुग्गा ने बताया कि हम सभी लोग राज्यपाल के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने आये हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि गांव के भोले-भाले आदिवासियों को ईसाई मिशनरी के लोग अपने धर्म में शामिल कर रहे हैं. जिसके बाद यह लोग ईसाई धर्म के अनुसार प्रार्थना करते हैं और गांव के रीति-रिवाजों और पारंपरिक तरीकों को मानने से इनकार कर देते हैं.
बीजेपी शासनकाल में सबसे ज्यादा हुए धर्मांतरण-कवासी लखमा
सरपंच का कहना है कि गांव में ही रहते हुए यह लोग गायता एवं पुजारी की बात नहीं मानते हैं. सरपंच का कहना है कि जिला प्रसाशन इन्हें पूर्ण रूप से ईसाई माने और इन्हें आदिवासी वर्ग का लाभ से वंचित किया जाए. इनसे साथ ही किसी की मृत्यु होने पर उन्हें गांव की जमीन में दफनाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. बल्कि उन्हें ईसाई कब्रिस्तान में दफनाया जाए.
सरपंच ने आरोप लगाया कि इन दिनों नारायणपुर जिले में मंदिरों और देव गुड़ी से ज्यादा लोग, चर्चों में दिखने लगे हैं, जो इस बात की ओर इशारा करता है कि आने वाला समय आदिवासी समाज एवं संस्कृति के लिए बड़ा खतरा हो सकता है.
ज्ञापन देने वालों का कहना है कि ईसाई बन चुके लोग ना तो सामाजिक कार्य में और ना ही धार्मिक कार्य में शामिल होते हैं. ईसाई धर्म को अपना चुके परिवार के सदस्य गांव में शामिल नहीं होते. ये लोग अब इन सभी त्योहारों का पुरजोर विरोध करते है. गांव के गायता पटेल पुजारी एवं और क्षेत्र में पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र में जिसमें गायता ग्राम पटेल पंच एवं गांव के प्रमुख लोग है. इनकी बात को भी मानने तैयार नहीं है. ग्रामीण ने बताया कि ये सभी विषय को ध्यान केंद्रित कर गांव की धरोहर संस्कृति आदिवासी समाज को बचाने एवं तेजी से हो रहे धर्मांतरण को लेकर बचाव की जाने ज्ञापन दिया है.